Bhulabhai Desai | Biography & Facts Bhulabhai Desai |Summary

Bhulabhai Desai | Biography & Facts

भूलाभाई देसाई  की जीवनी

Bhulabhai Desai | Biography & Facts

Bhulabhai Desai |Summary

भूलाभाई देसाई  जीवनी , परिवार, शिक्षा, मृत्यु

Bhulabhai Desai Biography


भूलाभाई देसाई  की जीवनी
भूलाभाई देसाई  की जीवनी  Bhulabhai Desai | Biography & Facts Bhulabhai Desai |Summary भूलाभाई देसाई  जीवनी , परिवार, शिक्षा, मृत्यु Bhulabhai Desai Biography

★★★ जन्म :

13 अक्टूबर 1877, वलसाड़, गुजरात

★★★ स्वर्गवास :

6 मई 1946

★★★ कार्य: स्वाधीनता कर्मी, गाँधी जी के सहयोगी :

भूलाभाई देसाई एक प्रसिद्ध स्वाधीनता कर्मी, अपने समय के जाने-माने अधिवक्ता और गाँधी जी के महत्वपूर्ण सहयोगी थे। उन्होंने आजाद हिंद फौज के सैनिकों शहनवाज खान, गुरबक्श सिंह ढिल्लन तथा प्रेम कुमार सहगल पर लगे राजद्रोह के मुकदमें में उनका पक्षसमर्थन बहुत कुशलता से किया, जिससे उनकी कीर्ति सम्पूर्ण देश में फैल गई।

उन्हें देसाई-लिआकत संधि के लिए भी जाना जाता है, जो मुस्लिम लीग के नेता लियाकत अली खान और भूलाभाई देसाई के मध्य गुप्त रूप से हुई थी।

ऐसा माना जाता है कि आधिकारिक तौर पर न तो कांग्रेस और न ही मुस्लिम लीग ने इन दोनों को इस संधि की स्वीकृति प्रदान की थी और जब इस गुप्त संधि की बात बाहर आई तब कांग्रेस के अन्दर उनकी बहुत आलोचना हुई और मुस्लिम लीग ने भी इस बात की खिल्ली उड़ाई।

★★★ प्रारंभिक जीवन :

भूलाभाई देसाई का जन्म 13 अक्टूबर 1877 को गुजरात के वलसाड़ शहर में हुआ था। आरम्भ में उनके मामा ने ही उन्हें पढाया। उसके बाद उन्होंने वलसाड़ के अवाबाई स्कूल और फिर बॉम्बे के भरदा हाई स्कूल से शिक्षा ग्रहण की।

सन 1895 में उन्होंने भरदा हाई स्कूल से ही मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस परीक्षा में वे अपने स्कूल में प्रथम स्थान पर रहे। जब वे स्कूल में थे तब उनका विवाह इच्छाबेन से करा दिया गया।

उनकी पत्नी ने एक पुत्र धीरुभाई को जन्म दिया पर सन 1923 में कैंसर से इच्छाबेन की मृत्यु हो गयी। इसके पश्चात उन्होंने बॉम्बे के एल्फिन्सटन कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने उच्च अंकों के साथ अंग्रेजी साहित्य और इतिहास में स्नातक किया।

इतिहास और राजनैतिक अर्थव्यवस्था विषयों में प्रथम आने पर उन्हें वर्ड्सवर्थ पुरस्कार और एक छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। इसके पश्चात भूलाभाई ने अंग्रेजी साहित्य विषय में स्नातकोत्तर किया।

स्नातकोत्तर के बाद उन्हें गुजरात कॉलेज में अंग्रेजी और इतिहास का प्रोफेसर नियुक्त किया गया। अध्यापन के दौरान उन्होंने कानून की पढ़ाई की और बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत के लिए पंजीकरण कराया और धीरे-धीरे वे बॉम्बे और फिर बाद में देश के अग्रणी विधिवेत्ताओं में गिने जाने लगे।

★★★ राजनैतिक जीवन :

एनी बेसेंट के आल इंडिया होम रूल लीग के साथ जुड़ने के बाद उनका राजनैतिक जीवन प्रारंभ हुआ। वे ब्रिटिश प्रभाव वाले इंडियन लिबरल पार्टी से भी जुड़े थे पर साइमन कमीशन के मुद्दे पर सन 1928 में उसे छोड़ दिया।

साइमन कमीशन का गठन भारत में सैवधानिक सुधार सुझाने के लिए किया गया था पर इसके सभी सदस्य यूरोपिय थे जिसके फलस्वरूप पूरे देश में इसका घोर विरोध हुआ।

सन 1928 के बारडोली सत्याग्रह के बाद ब्रिटिश सरकार के जांच दल के समक्ष किसानों का पक्ष रखने के दौरान वे कांग्रेस पार्टी के संपर्क में आये। भूलाभाई ने बड़ी बुद्धिमत्ता के साथ किसानों का पक्ष रखा और आन्दोलन के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सन 1930 में वे औपचारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार उन्हें एक प्रभावशाली माध्यम लगता था इसलिए उन्होंने स्वदेशी सभा का गठन किया और लगभग 80 मिल मालिकों को विदेशी माल नहीं खरीदने के लिए राजी भी कर लिया।

सरकार ने उनके संगठन को अवैध घोषित कर सन 1932 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और वे इलाज के लिए यूरोप चले गए।

जब कांग्रेस कार्य समिति का पुनर्गठन हुआ तब सरदार पटेल के कहने पर उन्हें समिति में शामिल किया गया। सन 1934 में वे गुजरात से केन्द्रीय विधान सभा के लिए चुने गए। विधान सभा में उन्होंने कांग्रेस सदस्यों का नेतृत्व किया।

द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को शामिल किये जाने के मुद्दे पर पूरे देश में इसका विरोध हुआ और भूलाभाई देसाई ने भी विधान सभा में इसका विरोध किया। गाँधीजी द्वारा प्रारंभ किये गए सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के लिए सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर पुणे के येरवदा जेल भेज दिया।

जेल में उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया जिसके स्वरुप उन्हें रिहा कर दिया गया। ख़राब स्वास्थ्य के कारण ही वे भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नहीं ले पाए।

★★★ देसाई-लियाकत पैक्ट :

भारत छोड़ो आन्दोलन के समय कांग्रेस कार्य समिति के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। सन 1942 और 1945 के मध्य भूलाभाई देसाई जेल न जाने वाले चंद कांग्रेस नेताओं में शामिल थे।

अँगरेज़ सरकार पर राजनैतिक बंदियों की रिहाई के लिए दबाव बनाने के साथ-साथ भूलाभाई मुस्लिम लीग के दूसरे सबसे बड़े नेता लियाकत अली खान से समझौते के लिए गुप्त वार्ता कर रहे थे।

ऐसा माना जाता है कि दोनों नेताओं ने ये वार्ता गुप्त रखी थी और इसकी खबर दोनों ही पार्टियों के दूसरे नेताओं को नहीं थी। जब प्रेस में इससे सम्बंधित खबर छपी तब दोनों ओर से प्रतिक्रियाएं आयीं और मुस्लिम लीग ने इस बात को ख़ारिज कर दिया पर कांग्रेस के अन्दर भूलाभाई देसाई की साख गिर गयी।

★★★ आजाद हिंद फौज के सैनिकों पर मुकदमा :

भूलाभाई देसाई ने आजाद हिंद फौज के अधिकारियों शहनवाज खान, गुरबक्श सिंह  ढिल्लन तथा प्रेम कुमार सहगल पर लगे राजद्रोह के मुकदमे में उनका पक्षसमर्थन बहुत कुशलता तथा योग्यता के साथ किया।

हालांकि जज ने अपने फैसले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई पर भूलाभाई ने जिस कुशलता के साथ उनका बचाव किया उससे उनकी ख्याति पूरे देश में फ़ैल गयी।

★★★ निधन :

भूलाभाई देसाई 1930 और 1940 के दशक में कई बार बीमार हुए। 6 मई 1946 को उन्होंने अंतिम सांसे लीं।

टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)

1877: भूलाभाई देसाई का जन्म 13 अक्टूबर हुआ

1895: मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की

1905: बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ

1923: उनकी पत्नी की कैंसर से मौत

1928: गुजरात के बारडोली सत्याग्रह में भाग लिया

1930: कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए

1932: स्वदेशी सभा (जिसे सरकार ने अवैध घोषित किया था) के नेतृत्व के लिए गिरफ्तार किया गए

1934: गुजरात से केन्द्रीय विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए

1935: भारत सरकार अधिनियम का विरोध किया

1940: द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को शामिल किये जाने पर अंग्रेजी सरकार का खुलकर विरोध किया

1945: मुस्लिम लीग के लियाकत अली खान के साथ गुप्त संधि की – देसाई-लियाकत पैक्ट

1945: ऑय.एन.ए. के सैनिकों का बचाव किया

1946: 6 मई को स्वर्ग सिधार गए


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