Sucheta Kriplani | Biography & Facts |summary

Sucheta Kriplani Biography Facts|सुचेता सुचेताकृपलानी की जीवनी

Sucheta Kriplani Biography Facts|सुचेता सुचेताकृपलानी की जीवनी


सुचेता सुचेताकृपलानी की जीवनी


Sucheta Kriplani| Biography & Facts


Sucheta Kriplani |Summary


सुचेता सुचेताकृपलानी जीवनी , परिवार, शिक्षा, मृत्यु


Sucheta Kriplani Biography

  

सुचेता सुचेताकृपलानी

★★ जन्म :

25 जून, 1908

★★★ स्वर्गवास :

1 दिसंबर, 1974

★★★ कार्य/पद: भारत के किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री :

सुचेता कृपलानी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिग्य थीं। एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली सुचेता बाद में उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनीं जो भारत की प्रथम महिला मुख्य मंत्री थीं।

★★★प्रारंभिक जीवन :

सुचेता कृपलानी का जन्म एक बंगाली परिवार में 25 जूनए 1908 को भारत के हरियाणा राज्य के अम्बाला शहर में हुआ और उनकी शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई। उनके पिता एस.एन मजूमदार राष्ट्रिय आन्दोलन के समर्थक थे।

सुचेता कृपलानी ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और सेंट स्टीफन कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद सुचेता बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी में लेक्चरार बनीं गयीं। 1936 में उनका विवाह आचार्य जे. बी. कृपलानी से हुआ।

★★★ राजनैतिक जीवन :

स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ी सुचेता कई बार जेल भी गयीं। सन 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गयीं और 15 अगस्त 1947 को संविधान सभा में वन्देमातरम् भी गाया।

सन 1958 से लेकर सन 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव भी रहीं। 1963 से 1967 तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाली सुचेता कृपलानी न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्य मंत्री थीं।

2 अक्टूबर 1963 से लेकर 14 मार्च 1967 तक वह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहीं। इससे पहले वह दो बार लोकसभा के लिए भी चुनी गयीं थीं।

★★★ स्वाधीनता आंदोलन व आज़ादी :

वह अरुणा आसफ अली और ऊषा मेहता के साथ आजादी के आंदोलन में शामिल हुई। सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान दिया और नोआखली में महात्मा गांधी के साथ दंगा पीडित इलाकों में गांधी जी के साथ चलते हुए पीड़ित महिलाओं की मदद की।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ हड़ताल वापस लेने पर मजबूर किया। वह एक ऐसी महिला थीं, जिसमें जुझारूपन कूट-कूट कर भरा था। अपने जुझारूपन और सूझ-बूझ का उदहारण उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब अंग्रेजी सरकार ने सारे पुरुष नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तब सुचेता कृपलानी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए कहा, बाकियों की तरह मैं भी जेल चली गई तो आंदोलन को आगे कौन बढ़ाएगा।

इस दौरान भूमिगत होकर उन्होंने कांग्रेस का महिला विभाग बनाया और पुलिस से छुपते-छुपाते दो साल तक आंदोलन भी चलाया। उन्होंने इसके अंतर्गत अंडरग्राउण्ड वालंटियर फोर्स भी बनाई और महिलाओं और लड़कियों को ड्रिल, लाठी चलाना, प्राथमिक चिकित्सा और आत्मरक्षा के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी।

इसके साथ-साथ वह राजनैतिक कैदियों के परिवार की सहायता की जिम्मेदारी भी उठाती रहीं।

★★★ आजादी के बाद :

आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में सुचेता कृपलानी नई दिल्ली लोकसभा सीट से 1952 व 57 में लगातार 2 बार सांसद चुनी गईं। इसके बाद 1962 में कानपुर से  उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनीं गयीं। सन 1963 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री बनाया गया।

5 साल तक प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने के बाद वह वापस केंद्र में पहुंची। चौथी लोकसभा में उत्तर प्रदेश के गोंडा से वह सांसद चुनीं गयीं। सन 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था।

1 दिसंबर 1974 को उनकी मृत्यु हो गई थीं।


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