भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की भूमिका एवं प्रभाव की समीक्षा करें||आधुनिक भारत में प्रेस का विकास

आधुनिक भारत में प्रेस का विकास
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की भूमिका एवं प्रभाव की समीक्षा करें
19वीं शताब्दी में भारतीय प्रेस का विकास

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आधुनिक भारत में प्रेस का विकास
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की भूमिका एवं प्रभाव की समीक्षा करें
19वीं शताब्दी में भारतीय प्रेस का विकास


*भारत में प्रेस की स्थापना पुर्तगलियों ने की थी।


* गोवा के पादरियों ने 1557 ई. में पहली 

पुस्तक भारत में छापी।


* 1684 ई.में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई में 

एक मुद्रालय लगाया।


* आधुनिक भारत में प्रेस का प्रारम्भ 1766

ई. में विलियम बोल्ट्स द्वारा एक समाचार पत्र

के प्रकाशन से हुआ। 


परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनको इंग्लैंड भेज

दिया।


* 1780 ई. में जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने प्रथम

समाचार पत्र प्रकाशित किया।


*इसका नाम द बंगाल गजट अथवा द कलकत्ता

 जनरल एडवरटाइजर था।


* 1782 ई. में इस समाचार पत्र को बंद 

  करवा दिया गया।


* नवंबर 1780 ई. में प्रकाशित भारत गजट दूसरा

 भारतीय पत्र था।


* 1784 ई. में कलकत्ता गजट

 1785 ई. में बंगाल जनरल

 1785 ई. में Oriental Megazine of

 kalkatta/ kalkatta amusement

 1786 ई. में कलकत्ता क्रोनिकल

 1788 ई. में मद्रास कूरियर

 समाचार पत्र प्रकाशित हुआ।










स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालें

सर्वप्रथम भारत में प्रेस की स्थापना कब और कहां हुई


18वीं सदी के अंत तक


* बंगाल मे कलकत्ता कैरियर,एशियाटिक

 मिरर, ओरिएंटल स्टार


* मुंबई में मुंबई गजट,


* हेराल्ड और मद्रास में मद्रास कैरियर, मद्रास

  गजट समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे थे।


19वीं सदी के समाचार पत्र


किसी भी भारतीय द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित 

समाचार पत्र गंगाधर भट्टाचार्य का सप्ताहिक

बंगाल गजट था।


1816 ई. में बंगाल गजट का प्रकाशन शुरू हुआ।


मार्शमैन ने 1818 ई.में  दिग्दर्शन नामक मासिक

पत्रिका बंगाली में प्रदर्शित की. 


1818 ई. ही मार्शमैन के सन्म्पादन में समाचार 

दर्पण का निकलना प्रारम्भ हुआ।


पत्रकारिता के इतिहास में बार्किंघम की 

महत्वपूर्ण भूमिका है।


बार्किंगहम ने ही प्रेस को जनता का प्रतिबन्ध 

बनाया था। 


जेम्स सिल्क बार्किंघम ने 1818 ई. में कलकत्ता

जनरल का सम्पादन करके लॉर्ड हेस्टिंग्स तथा 

एडम्स को समस्या में डाल दिया था


राजा राम मोहन राय राष्ट्रीय प्रवत्ति के समाचार-

पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया।


1821 ई. में  राजा राम मोहन राय ने बांग्ला में 

संवाद कोमुदी और 1822 ई. में  फ़ारसी में 

मिरात उल अख़बार का प्रकाशन किया।


राजा राम मोहन राय को राष्ट्रीय प्रेस की 

स्थापना का श्रेय दिया जाता है


राजा राम मोहन राय ने समाचार-पत्र के माध्यम 

से समाज सुधार और प्रचार किया ही साथ ही

इनको धार्मिक और दार्शनिक समस्याओं पर 

विचार और विवाद का माध्यम भी बना दिया।


अंग्रेजी में राजा राम मोहन राय ने ब्रह्मा 

क्रॉनिकल मैगजीन भी निकालना शुरू किया।


राजा राम मोहन राय के सामाजिक तथा धार्मिक

विचारों का विरोध करने के लिए 1822 ई. में

चंद्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ।


1822 ई. में मुंबई से गुजराती भाषा में दैनिक

बंबई समाचार निकलने लगा,

इसके संस्थापक फर्टुनजी थे।


1830 ई. में बांग्ला में बंगदत्त!द्वारकानाथ टैगोर, 

प्रसन्न कुमार तथा राजा राम मोहन राय के 

प्रयासों द्वारा कलकत्ता से प्रकाशित हुआ।


1831 ई. में जामे जमशेद गुजराती भाषा में 

पी.एम.मोतीबाला के नेत्रत्व में बंबई से

समाचार प्रकाशित हुआ।


1851 ई. में राफ्त गोफ्तार का संपादन दादा 

भाई नोरोजी ने गुजराती भाषा में मुंबई

से प्रकाशित किया।


1853 ई. में हिंदू देशभक्त (patriot) अंग्रेजी में

कलकत्ता से प्रकाशित हुआ।


इसके संपादक हरिश्चब्द्र मुखर्जी और गिरिन्द्र घोष थे।


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19वीं सदी में भारत में प्रेस के विकास को रेखांकित करें

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की भूमिका एवं प्रभाव की समीक्षा करें


प्रमुख समाचार-पत्र व पत्रिकाएँ / भारत

में समाचार-पत्र  का इतिहास


1. बंगाल गजट - 1780 ई


    संस्थापक - जे. ऑगस्टस हिक्की

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - अंग्रेजी


2. बंगाल गजट - 1816 ई. 


    संस्थापक - गंगाधर भट्टाचार्य

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - अंग्रेजी


3. समाचार दर्पण - 1818 ई


    संस्थापक - मार्शमैन

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - बांग्ला


4. दिग्दर्शन - 1818 ई


    संस्थापक - मार्शमैन

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - बांग्ला


5. संवाद कोमुदी - 1821 ई


    संस्थापक - राजा राम मोहन राय

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - बांग्ला


6. मिरातुल अख़बार - 1822 ई


    संस्थापक - राजा राम मोहन राय

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - फ़ारसी


7. बॉम्बे समाचार - 1822 ई


    संस्थापक - फ़ार्तुन जी

   स्थान - बंबई

   भाषा - गुजराती


8. बंगदत्त - 1830 ई


    संस्थापक - द्वारकानाथ टैगोर, प्रसन्न टैगोर

   स्थान - कलकत्ता

   भाषा - बांग्ला


9. जेम्स जमशेद - 1831 ई


    संस्थापक - पी.एम.मोतीबाला

   स्थान - बंबई

   भाषा - फ़ारसी


10. राफ्त गोफ्तार - 1851 ई


      संस्थापक - दादा भाई नोरोजी

     स्थान - बंबई

     भाषा - गुजराती


11. सत्य प्रकाश - 1852 ई


      संस्थापक - करसोनदास मूलजी

     स्थान - अहमदाबाद

     भाषा - गुजराती


12. हिन्दू देशभक्त - 1853 ई


      संस्थापक - गिरीशचंद्र घोष, हरिश्चंद्र मुखर्जी

     स्थान - कलकत्ता

     भाषा - अंग्रेजी


13. सोम प्रकाश - 1859 ई


      संस्थापक - ईश्वरचंद्र विद्यासागर

     स्थान - कलकत्ता

     भाषा - बांग्ला


14. भारतीय दर्पण - 1861 ई


      संस्थापक - देवेन्द्रनाथ टैगोर, मनमोहन घोष

     स्थान - कलकत्ता

     भाषा - अंग्रेजी


15. टाइम्स ऑफ़ इण्डिया - 1861 ई


      संस्थापक - अंग्रेजी प्रेस

     स्थान - बंबई

     भाषा - अंग्रेजी


16. इन्दु प्रकाश - 1862 ई


      संस्थापक - जस्टिस रानाडे

     स्थान - बंबई

     भाषा - मराठी


17. नेटिव opinion - 1864 ई


      संस्थापक - V. माण्डलिक

     स्थान - बंबई

     भाषा - अंग्रेजी


18. पायनियर - 1865 ई


संस्थापक- अंग्रेजी प्रेस

स्थान-इलाहाबाद

भाषा - अंग्रेजी


19. ज्ञान प्रदायिनी - 1866 ई


संस्थापक - नवीनचन्द्र राय 

स्थान - लाहौर

भाषा - हिंदी/बंगाली


20. कविवचन सुधा - 1867 ई


संस्थापक - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

स्थान - वाराणसी

भाषा - हिन्दी


21.अमृत बाजार पत्रिका -1868 ई


संस्थापक - मोतीलाल घोष, शिशिर घोष

स्थान - कलकत्ता

भाषा - बांग्ला


22. मद्रास मेल - 1868 ई


संस्थापक-अंग्रेजी प्रेस

स्थान - मद्रास

भाषा - अंग्रेजी


23. बंग दर्शन - 1873 ई


संस्थापक - बंकिम चन्द्र चटर्जी

स्थान - कलकत्ता

भाषा - बांग्ला


24. त्रिब्युन - 1877 ई


संस्थापक - सर दयाल सिंह मजीठिया

स्थान - लाहौर

भाषा - अंग्रेजी


25. हिन्दी प्रदीप - 1877 ई


संस्थापक - बाल कृष्ण भट्ट

स्थान - वाराणसी

भाषा - हिन्दी


26. स्टेट्समैन - 1878 ई


संस्थापक - रॉबर्ट night

स्थान - कलकत्ता

भाषा - अंग्रेजी


27. हिन्दू - 1878 ई


संस्थापक - V. राघवाचारी

स्थान - मद्रास

भाषा - अंग्रेजी


28. बंगाली - 1879 ई


संस्थापक - एस.एन.बेनरजी

स्थान - कलकत्ता

भाषा - अंग्रेजी


29. बंगवाशी - 1881 ई


संस्थापक - जोगिंदरनाथ बोष

स्थान - कलकत्ता

भाषा - बांग्ला


30. मराठा - 1881 ई


संस्थापक - बाल गंगाधर तिलक

स्थान - बंबई

भाषा - अंग्रेजी


31. केशरी - 1881 ई


संस्थापक - बाल गंगा धर तिलक

स्थान - बंबई

भाषा - मराठी


32. भारत - 1890 ई


संस्थापक - दादा भाई नोरोजी

स्थान - बंबई

भाषा - अंग्रेजी


33. हिंदुस्तान time - 1899 ई


संष्ठापक - सच्चिदानंद सिन्हा

जगह - दिल्ली

भाषा - अंग्रेजी


34. भारतीय पुनरावलोकन - 1900 ई


संस्थापक -  G.A. Natesan

स्थान - मद्रास

भाषा - अंग्रेजी


35. भारतीय opinion - 1903 ई


संस्थापक - महात्मा गांधी

स्थान - दक्षिण अफ़्रीका

भाषा - अंग्रेजी


36. भारतीय समाजशास्त्री - 1905 ई


संस्थापक - श्यामजी कृष्ण वर्मा

जगह - लंदन

भाषा - अंग्रेजी


37. युगान्तर - 1906 ई


संस्थापक - भूपेन्द्र दत्त, बारीन्द्र घोष

स्थान - कलकत्ता

भाषा - बांग्ला


38. वंदेमातरम - 1909 ई


संस्थापक - हरदयाल, श्यामजी कृष्ण वर्मा

स्थान - पेरिस

भाषा - अंग्रेजी


39. प्रताप - 1910 ई


संस्थापक - गणेश शंकर विद्यार्थी

स्थान - कानपुर

भाषा - हिन्दी


40. अल हिलाल - 1912 ई


संस्थापक - अबुल कलाम आज़ाद

स्थान - कलकत्ता

भाषा - उर्दू


41. बम्बई क्रोनिकल - 1913 ई


संस्थापक - फिरोजशाह मेहता

स्थान - बंबई

भाषा - अंग्रेजी


42. गदर - 1913 ई


संस्थापक - लाला हरदयाल

जगह - सैन फ्रांसिस्को

भाषा - अंग्रेजी


43. कॉमनवेल - 1914 ई


संस्थापक - ऐनी बेसेंट

स्थान - बंबई

भाषा - अंग्रेजी


44. नया भारत - 1914 ई New india


संस्थापक - ऐनी बेसेंट

स्थान - बंबई

भाषा - अंग्रेजी


45. भारत के सेवक - 1918 ई servants of india 


संस्थापक - श्री निवास शास्त्री

स्थान - मद्रास

भाषा - अंग्रेजी


46. ​​स्वतंत्र - 1919 ई independent


संस्थापक - मोतीलाल नेहरू

स्थान - इलाहाबाद

भाषा - अंग्रेजी


47. नवजीवन - 1919 ई


संस्थापक - महात्मा गांधी

स्थान - अहमदाबाद

भाषा - गुजराती


48. यंग इंडिया - 1919 ई


संस्थापक - महात्मा गांधी

जगह - अहमदाबाद

भाषा - अंग्रेजी


49. हिंदुस्तान टाइम्स - 1922 ई


संस्थापक - के. एम. पाडिक्कर

स्थान - बंबई

भाषा - अंग्रेजी


50. हरिजन - 1933 ई


संस्थापक - महात्मा गांधी

स्थान - पुणे

भाषा - हिन्दी


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19वीं शताब्दी में भारतीय प्रेस का विकास PDF


भारतीय समाचार पत्र के मुक्तिदाता


1823 ई. के नियमों को कार्यवाहक गवर्नर जनरल

चार्ल्स मेटकोफ ने भारत सरकार के लिए विधि 

सदस्य लॉर्ड मेकाले की मदद से 1835 ई. को 

खारिज कर दिया तथा नया नियम भारतीय 

प्रेस का उत्थान

(livration of the indian press act)

अधिनियम बनाया।


जिसके अंतर्गत प्रकाशको एवं पत्र स्वामियों को

केवल प्रकाशन स्थल का नाम सरकार को बताना

पड़ेगा।


इस प्रकार मेटकोफ़ ने भारतीय प्रेस को प्रतिबन्धों 

से मुक्त कर दिया


चार्ल्स मेटकोफ को भारतीय समाचार पत्र का

मुक्तिदाता कहा जाता है।


        समाचार पत्र आयोग


1851 ई. के समाचार पत्र अधिनियम के विरोध के

परिनाम स्वरूप भारत सरकार ने भारतीय 

समाचार पत्रों के कार्य की समीक्षा करने

के लिए न्यायाधीश जी.एस. राजाध्यक्ष की

अध्यक्षता में समाचार पत्र आयोग की

नियुक्ति की।


आयोग ने 1954 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की 

थी,जिसमें कहा गया था कि भारतीय समाचार

वेतन परिषद का गठबंधन करके पन्ना मूल्य

पध्धति अपनाई जाए।


वर्ग पहेलियों को बंद किया जाए और विज्ञापनों 

की कड़ी संहिता बनाई जाए।


         समाचार पत्र जांच समिति 1947


भारत सरकार ने 1947 ई. में श्री गंगानाथ झा के

अध्यक्षता में समाचार पत्र जांच समिति 1947 का

गठन किया था।


इस समिति ने 1931 ई., 1934 ई. के समाचार 

पत्र अधिनियम एवं भारतीय दंड संहिता की

धारा 124-ए एवं 153-ए को संशोधित

करने की  सिफ़ारिशें प्रस्तुत की थीं।


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आधुनिक भारत में प्रेस का विकास


1857 के विद्रोह में समाचार पत्रों की भूमिका


1857 ई. के विद्रोह के बाद भारतीय प्रेस 2 वर्ग में

विभक्त हो गई।


1.भारतीय प्रेस

2.आंग्ल-भारतीय प्रेस


भारतीय प्रेस भारतीयों का प्रतिनिधित्व करती थी।


जबकी एंग्लो-इंडियन प्रेस पर विदेशियों का 

प्रभाव था,ये ब्रिटिश सरकार के प्रति

वफ़ादार थी।


पायनियर, इंग्लिशमैन तथा सिविल एंड मिलिट्री

गजट, मद्रास मेल एंड स्टेट्समैन ये ब्रिटिश

सरकार के मुख्य अखबार थे।

 

पायनियर अख़बार सिविल सर्विस का समर्थक था

और ब्रिटिश सरकार का प्रमुख समाचार पत्र था।


मद्रास मेल, युरोपीय वाणिज्य, भू स्वामीयो व 

महाजनो का प्रतिनिधित्व करने वाला समाचार    

पत्र था।


       महत्वपूर्ण तथ्य


* भारत में समाचार पत्र निकालने का प्रथम 

प्रयास 1766 ई. में विलियम बोल्ट्स 

ने किया था।


* 1818 ई. में कलकत्ता जनरल का सम्पादन 

करने वाले जेम्स सिल्क बार्किंघम ने प्रेस को 

जनता के प्रतिबिम्ब के रूप में प्रस्तुत किया


* 1780 ई. में प्रकाशित भारत गजट दूसरा भारतीय

 पत्र था।

* 1816 ई. में गंगाधर भट्टाचार्य ने प्रथम भारतीय

अंग्रेजी समाचार-पत्र बंगाल गजट का प्रकाशन 

किया।

* जेम्स ऑगस्टस हिक्की को भारत में पत्रकारिता

 के इतिहास का अग्रदूत माना जाता है।


* हिंदू देशभक्त के सम्पादक क्रिस्टोफर पॉल 

को भारतीय पत्रकार का राजकुमार

माना जाता है।


*भारत में राष्ट्रीय प्रेस की स्थापना का श्रेय राजा 

राम मोहन राय को दिया जाता है।


*भारत का प्रथम हिन्दी समाचार-पत्र उद्दण्ड 

मार्तण्ड था, जिसका प्रकाशन जुगल किशोर

ने 1826 ई. में कानपुर में किया था।


* गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक का द्रष्टिकोण्

भारतीय समाचार पत्र के प्रति उदार था।













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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की भूमिका एवं प्रभाव की समीक्षा करें

19वीं शताब्दी में भारतीय प्रेस का विकास PDF


         प्रमुख समाचार-पत्र अधिनियम


1. पत्रेक्षण अधिनियम - 1799 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - लॉर्ड वेलेजली


2. अनुज्ञप्ति नियम - 1823 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - जौन एडम्स


3. अनुज्ञप्ति अधिनियम - 1857 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - लॉर्ड कनिंग


4. पंजीकरण अधिनियम - 1867 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - जॉन लोरेंस


5. वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट - 1878 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - लॉर्ड लिटन


6. समाचार-पत्र अधिनियम - 1908 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - लॉर्ड मिंटो-2


7. भारतीय समाचार-पत्र अधिनियम - 1910 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - लॉर्ड मिंटो-2


8. भारतीय समाचार-पत्र अधिनियम - 1931 ई

गवर्नर जनरल/वायसराय - लॉर्ड इरविन


            प्रेस जाँच समिति 1923 ई


1921 ई. में श्री सर तेजबहादुर सप्रू की अध्यक्षता

में प्रेस जांच समिति की नियुक्ति हुई।


इस समिति की अनुशंसा पर 1908 ई. और 1910 ई.

के प्रेस अधिनियमों को निरस्त कर दिया गया था।








स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालें

सर्वप्रथम भारत में प्रेस की स्थापना कब और कहां हुई



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            उर्दू पत्रकारिता


1912 ई. में अबुल कलाम आज़ाद ने अल हिलाल

तथा 1913 ई. में अल विलाग का प्रकाशन 

कलकत्ता से किया।


मोहम्मद अली ने अंग्रेजी में कॉमरेड तथा उर्दू में

हमदर्द का प्रकाशन आरंभ किया।


हमीद अल अंसारी ने बिजनौर से मदीना का 

प्रकाशन किया।


अब्दुल बरी साहब ने लखनऊ से हमदम का 

प्रकाशन किया।


गणेश शंकर विद्यार्थी ने 1910 ई. में कानपुर से

प्रताप का प्रकाशन किया


1913 ई. में गदर पत्र का प्रकाशन फ्रांसिस्को से

लाला हरदयाल ने उर्दू भाषा में किया था।


19वीं शताब्दी में भारतीय प्रेस का विकास PDF

19वीं सदी में भारत में प्रेस के विकास को रेखांकित करें


भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की क्या भूमिका है?

प्रेस तथा समाचार-पत्रों ने ब्रिटिश उपनिवेशवादी तंत्र की मानसिकता से लोगों को परिचित कराया तथा देशवासियों के मन में एकता की भावना को जागृति किया, समाचार-पत्रों के माध्यम से विभिन्न विषयों पर लिखे गए लेखों ने देशवासियों को अधिकार बोध की चेतना से भर दिया, जिसके फलस्वरूप एक संगठित आंदोलन का सूत्रपात हुआ।

प्रेस की क्या भूमिका थी?

भारत में आजादी के आंदोलन में प्रेस की अहम् भूमिका थी। प्रेस ने बहुत जिम्मेदारी के साथ जनता की आवाज बुलंद की। इसीलिए यह माना और स्वीकार किया गया कि आजादी के आंदोलन में प्रेस की बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी जिसने बिना भय और लोभ लालच के अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया।

भारत में प्रेस का विकास कैसे हुआ?

भारत में प्रेस की शुरुआत सन 1780 ई. में हुयी. इसकी शुरुआत जेम्स ऑगस्टस हिकी द्वारा द बंगाल गजट या कलकत्ता जनरल एडवर्टाइज़र समाचार पत्र के साथ हुई थी. अपने शुरुआती चरण में प्रेस मुख्य रूप से ब्रिटिश प्रशासन और उसके अधिकारियों के कुकर्मों की आलोचना करने का एक प्रमुख साधन था.

स्वतंत्रता संग्राम में प्रेस की क्या भूमिका है?

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रेस की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी । समाचार पत्रों ने विचारों के प्रचार- प्रसार में मदद की जिससे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जनमत बनाने में मदद मिली ।

भारतीय आंदोलन को भारतीय प्रेस ने कैसे प्रभावित किया?

भारतीय प्रेस ने स्वतंत्रता संघर्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, लोगों को उनके राजनीतिक अधिकारों का ज्ञान, सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति की आलोचना, शिक्षा का प्रचार-प्रसार, राष्ट्रीय नेताओं द्वारा आंदोलनों की सूचना के प्रसार आदि में प्रेस का सराहनीय योगदान रहा।

भारत में राष्ट्रवाद के विकास में प्रेस की क्या भूमिका थी?

प्रिंटिंग प्रेस ने विचारों को लोगों तक पहुँचाने में बड़ी भूमिका निभाई। कई राष्ट्रवादी पत्रिकाएँ प्रकाशित हुईं जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय जनता की भावनाओं को जागृत किया। कई पत्रों ने हमारे देश में देशभक्ति और स्वतंत्रता और न्याय के विचारों को बढ़ावा दिया।

प्रेस के जनक कौन थे?

छपाई की प्रेस की रचना सबसे पहले जर्मनी के जोहान गुटेनबर्ग (Johann Gutenberg) ने सन १४३९ में की थी।

प्रेस की स्थापना कब हुई?

पुर्तगालियों ने वर्ष 1550 में। भारत में पहला प्रेस 1550 में पुर्तगालियों द्वारा शुरू किया गया था। भारत का पहला प्रिंटिंग प्रेस 1556 में सेंट पॉल कॉलेज, गोवा में स्थापित किया गया था।

भारतीय प्रेस की विशेषता क्या है?

भारतीय प्रेस की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं - (i) यह न सिर्फ विचारों की तेजी से फैलानेवाली अनिवार्य सामाजिक संस्था बन गयी बल्कि ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीयों की भावना को एक रूप देने, उसकी नीतियों एवं शोषण के विरुद्ध जागृति लाने एवं देशप्रेम की भावना जागृत कर राष्ट्र निर्माण में इसने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन ...

भारत में प्रेस का जनक कौन है?

जेम्स ऑगस्टस हिक्की को देश में स्वतंत्र प्रेस की परंपरा स्थापित करने में अग्रणी भूमिका के लिए भारतीय पत्रकारिता के जनक के रूप में जाना जाता है। 1780 में, जब उन्होंने कलकत्ता से बंगाल गजट लॉन्च किया, तब जनसंचार के माध्यम के रूप में समाचार पत्र भारत में अनसुने थे।

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता क्या है?

विभिन्न एलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित परम्परागत रूप से प्रकाशित अखबारों को प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रेस की स्वतंत्रता कहा जाता है। किन्तु इस समस्या का एक दूसरा पहलू भी है। दुनियाभर में मीडिया कार्पोरेट के हाथ में है जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक फ़ायदा कमाना है।

वर्तमान समय में प्रेस की क्या भूमिका है?

यह जानकारी जनता तक मीडिया ही पहुँचाता है। इस जानकारी से लोग शासन की प्रशंसा या आलोचना कर सकते हैं और नीतियों के समर्थन का विरोध करते हैं । मीडिया, संप्रेशन (Communication) का भी एक साधन है, जिसके द्वारा जनता आवाज उठाती है, अपनी चिंताओं और अपनी समस्या, सरकार तक पहुँचाती है।

लोकतंत्र में प्रेस की क्या भूमिका है?

मीडिया ने राजनीतिक दलों को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने और उन्हें नीतियों से लेकर चुनावों तक प्रमुख मुद्दों पर सूचित करने के उपकरण दिए हैं। मीडिया को लोकतंत्र को सक्षम बनाने वाले के रूप में देखा जा सकता है; बेहतर शिक्षित मतदाता होने से अधिक वैध सरकार बनेगी।

भारत में प्रेस का विकास कैसे हुआ?

भारत में प्रेस की शुरुआत सन 1780 ई. में हुयी. इसकी शुरुआत जेम्स ऑगस्टस हिकी द्वारा द बंगाल गजट या कलकत्ता जनरल एडवर्टाइज़र समाचार पत्र के साथ हुई थी. अपने शुरुआती चरण में प्रेस मुख्य रूप से ब्रिटिश प्रशासन और उसके अधिकारियों के कुकर्मों की आलोचना करने का एक प्रमुख साधन था.

भारत में प्रेस कब आया?

1684 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। लेकिन भारत का पहला समाचार पत्र निकालने का श्रेय भी जेम्स ऑगस्टस हिकी नामक एक अंग्रेज को प्राप्त है, जिसने वर्ष 1780 में 'बंगाल गजट' का प्रकाशन किया था।

भारत में पहला प्रेस कहाँ स्थापित हुआ था?

भारत का पहला प्रिंटिंग प्रेस 1556 में सेंट पॉल कॉलेज, गोवा में स्थापित किया गया था।

प्रथम प्रेस के अध्यक्ष कौन थे?

आर. मधोलकर, पहले अध्यक्ष थे जिन्होंने 16 नवम्बर 1966 से 1 मार्च 1968 तक परिषद् की अध्यक्षता की।

भारत में राष्ट्रवाद का मुख्य उद्देश्य क्या था?

सैद्धांतिक रूपरेखा राष्ट्रवाद एक ऐसा आंदोलन माना जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य किसी राष्ट्र हेतु स्वतंत्रता (अथवा स्ववयत्ता) प्राप्त करना तथा राष्ट्रीय सरकार बनाना या किसी राज्य विशेष की सीमाओं के भीतर एक विशेष प्रकार के राष्ट्र के निर्माण हेतु संगठित प्रयास करना होता है।

भारतीय राष्ट्रवाद के उदय में स्थानीय भाषा प्रेस और साहित्य की क्या भूमिका थी?

स्थानीय प्रेस ने आधुनिक विचारों को फैलाने और राष्ट्रीय जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रवादी नेता, जो शिक्षित मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों में सर्वश्रेष्ठ थे, ने प्रेस का उपयोग ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करने और विदेशी शासन की बुराइयों को उजागर करने के लिए किया।

भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कौन है?

लॉर्ड मेटकाफ (भारत के गवर्नर जनरल 1835-36) लॉर्ड विलियम बेंटिक के बाद आया था। प्रेस के प्रति उनकी उदार नीति के कारण, लॉर्ड मेटकाफ को भारतीय प्रेस के मुक्तिदाता के रूप में जाना जाता है।

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