Paralympics: अपना ही रिकॉर्ड तोड़ शूटर अवनि ने पैरालंपिक में फिर जीता स्वर्ण पदक, मोना अग्रवाल को कांस्य पदक
पैरालंपिक में अवनि लेखरा का स्वर्णिम प्रदर्शन: मोना अग्रवाल ने भी कांस्य पदक जीता
भारतीय पैरा शूटर अवनि लेखरा ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। यह अवनि के करियर का दूसरा पैरालंपिक स्वर्ण पदक है, जिससे उन्होंने न सिर्फ अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा, बल्कि भारत के लिए एक और गौरवशाली पल का निर्माण किया।
इस बार अवनि ने 10 मीटर एयर राइफल SH1 स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए सोने का पदक अपने नाम किया।
अवनि लेखरा की सफलता की कहानी
अवनि लेखरा का नाम भारतीय खेल जगत में आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी कहानी साहस, धैर्य और प्रेरणा का प्रतीक है। साल 2012 में एक दुर्घटना के बाद अवनि को व्हीलचेयर पर जीवन बिताना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।उन्होंने निशानेबाजी को अपने करियर के रूप में चुना और कठिन मेहनत और लगन के साथ खुद को साबित किया।
टोक्यो पैरालंपिक में अवनि ने 249.6 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता, जो अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है। इससे पहले, उन्होंने 2016 के रियो पैरालंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन वहां वे पदक जीतने में असफल रही थीं। टोक्यो में इस शानदार प्रदर्शन के बाद अवनि ने साबित कर दिया है कि वे भारत की प्रमुख पैरा एथलीट्स में से एक हैं।
अवनि और कोरियाई निशानेबाज में थी टक्कर
अवनि ने टोक्यो पैरालंपिक में 249.6 का स्कोर बना पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया था। इस बार उन्होंने 249.7 का स्कोर बनाया और अपने ही पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया। वहीं, मोना ने 228.7 का स्कोर बना तीसरा स्थान हासिल किया। दक्षिण कोरिया की युनरी ली ने 246.8 का स्कोर बनाया और रजत पदक हासिल किया।
एक वक्त मोना शीर्ष पर आ गई थीं, लेकिन इसके बाद कोरियाई निशानेबाज ने कुछ राउंड की अच्छी शूटिंग के बाद पहला स्थान हासिल किया। अवनि तीसरे पर लुढ़क गई थीं। हालांकि, उन्होंने जबरदस्त वापसी की। 21 शॉट्स के बाद अवनि और युनरी का स्कोर बराबर हो गया था, लेकिन कोरियाई निशानेबाज शीर्ष पर थीं।
22 शॉट के बाद मोना का सफर तीसरे स्थान पर समाप्त हो गया। 23वां शॉट अवनि ने 9.9 का और युनरी ने 10.7 का लगाया।
24वें और आखिरी शॉट में अवनि ने 10.5 का स्कोर बनाया, जबकि युनरी ने 6.8 का स्कोर बनाया। इस तरह अवनि ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
मोना अग्रवाल का कांस्य पदक
अवनि लेखरा के साथ ही भारतीय शूटर मोना अग्रवाल ने भी पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता। यह मोना का पहला पैरालंपिक पदक है और इससे वे भी भारतीय खेल इतिहास में अपनी जगह बनाने में सफल रही हैं। मोना ने अपने पहले प्रयास में ही शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि है। उनकी कहानी भी प्रेरणादायक है, क्योंकि मोना ने कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया है।
भारत के लिए ऐतिहासिक पल
अवनि लेखरा और मोना अग्रवाल के पदक जीतने से भारत का पैरालंपिक में प्रदर्शन और भी शानदार हो गया है। भारतीय खेल प्रेमियों के लिए यह एक गर्व का पल है, जहां हमारे एथलीट्स ने कठिनाइयों को पार करते हुए सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं।
अवनि और मोना दोनों ही खिलाड़ियों ने दिखाया है कि सही दिशा, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
निष्कर्ष
अवनि लेखरा और मोना अग्रवाल ने टोक्यो पैरालंपिक में अपने असाधारण प्रदर्शन से न सिर्फ पदक जीते, बल्कि पूरे देश को गर्व का अनुभव कराया। अवनि की स्वर्ण पदक जीत और मोना का कांस्य पदक भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुका है। इन दोनों खिलाड़ियों की उपलब्धियां आने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी और भारतीय खेल जगत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेंगी।
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