अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर

अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर  

India Russia Relations: भारत को सबसे ज्‍यादा हथियार बेचने वाले रूस ने नई दिल्‍ली को बड़ा ऑफर दिया है। रूस ने अपने सुखोई 75 चेकमेट जेट का ऑफर भारत को दिया है। यह फाइटर जेट रूस कम कीमत पर देने के लिए भी तैयार है। रूस ने यह ऑफर अमेरिका के एफ-16 फाइटर जेट के ऑफर देने के बाद दिया है।

अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर

मास्‍को: यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने भारत को अपने सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट सुखोई 75 चेकमेट का ऑफर दिया है। बताया जा रहा है कि रूस ने भारत को सुखोई 75 की पूरी तकनीक तक ट्रांसफर करने का ऑफर दिया है। यही नहीं रूस के अधिकारी बहुत सक्रिय होकर इस फाइटर जेट के लिए भारत को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

सुखोई डिजाइन ब्‍यूरो के सदस्‍य इस समय भारत में हैं और वे इस डील को लेकर बातचीत कर रहे हैं। रूसी अधिकारियों का दावा है कि सुखोई 75 चेकमेट उन देशों के लिए बहुत ही सस्‍ता है जो रेडॉर की पकड़ में नहीं आने वाले पांचवीं पीढ़ी के स्‍टील्‍थ फाइटर को बिना ज्‍यादा पैसा खर्च किए खरीदना चाहते हैं। रूस का दावा है कि एक सुखोई-75 फाइटर जेट की कीमत 3 से 3.5 करोड़ डॉलर के बीच में होगी। 

इससे पहले अमेरिकी नौसेना के प्रशांत बेड़े के अधिकारी ने भारत को अपने सबसे आधुनिक एफ-16 वी का ऑफर दिया था।

रेडॉर की पकड़ में नहीं आता है सुखोई-75

सुखोई-75 को रूस का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है जो स्‍टील्‍थ मल्‍टीरोल फाइटर जेट है। इसकी टॉप स्‍पीड 1.8 मैक है और यह 3000 किमी तक तबाही मचाने की ताकत रखता है। रूस ने इसका यूक्रेन युद्ध में भी इस्‍तेमाल किया है। यह विमान 54100 फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। 

यह विमान 7.4 टन पे लोड ले जा सकता है। यह विमान अपने अंदर एयर टु एयर और हवा से जमीन पर हमला करने के हथियारों को छिपाए रखता है ताकि रेडॉर उसे पकड़ नहीं सके। इसे एआई से लैस किया गया है ताकि पायलट को मदद मिल सके। इससे पहले अप्रैल महीने में रूस ने भारत को यह विमान बेचने की कोशिश की थी।

इस दौरान चेकमेट प्‍लेन की कीमत को कम करने का ऐलान किया गया था। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने भारत को ऑफर भले ही दिया है लेकिन नई दिल्‍ली को चेकमेट लेने से पहले सतर्क रहना होगा। 

कोई भी डील करने से पहले इसकी लागत के बारे में व्‍यापक विश्‍लेषण करना होगा। यह भी देखना होगा कि इस डील से भारत को कितना फायदा होने जा रहा है। भारत भी इसी तरह के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट पर काम कर रहा है। 

भारत पहले से ही सुखोई 30 एमकेआई का निर्माण भारत में कर रहा है। भारत अगर रूस से फाइटर जेट खरीदता है तो इससे अमेरिका को बड़ा झटका लगेगा जो नई दिल्‍ली को एफ-21 विमान बेचने के लिए डोरे डाल रहा है। अमेरिका के अलावा फ्रांस और स्‍वीडन भी भारत को फाइटर जेट बेचना चाहते हैं।

अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर

रूस का दावा है कि एक सुखोई-75 फाइटर जेट की कीमत 3 से 3.5 करोड़ डॉलर के बीच में होगी। इससे पहले अमेरिकी नौसेना के प्रशांत बेड़े के अधिकारी ने भारत को अपने सबसे आधुनिक एफ-16 वी का ऑफर दिया

रूस का भारत के लिए Su-75 “चेकमेट” प्रस्ताव: एक संक्षिप्त विश्लेषण

यह लेख रूस के सैन्य उपकरणों से अलग अपनी रक्षा खरीद में विविधता लाने के नई दिल्ली के प्रयासों के बीच भारत को Su-75 “चेकमेट” लड़ाकू विमान बेचने के रूस के कूटनीतिक प्रयासों की पड़ताल करता है। भारत के लिए जेट की कीमत कम करने का रोस्टेक का फैसला वैश्विक बाजार में चुनौतियों और रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की अपनी प्रगति के बावजूद, मास्को की अपनी दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी को बनाए रखने की मंशा को दर्शाता है। 

यह लेख Su-75 की विशिष्टताओं, वैश्विक समकक्षों के साथ इसकी प्रतिस्पर्धा और भारत-रूस संबंधों और व्यापक भू-राजनीतिक परिदृश्य पर संभावित सौदे के रणनीतिक निहितार्थों, विशेष रूप से संभावित नतीजों पर विचार करते हुए, पर विस्तार से चर्चा करता है।

भारत की रक्षा खरीद में विविधता लाने और रूसी सैन्य उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीतिक पहल के संदर्भ में, मास्को ने Su-75 “चेकमेट” लड़ाकू जेट के अधिग्रहण के संबंध में नई दिल्ली को चर्चा में शामिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास किया है। 

फरवरी 2024 की शुरुआत में, रूस के सरकारी स्वामित्व वाली रक्षा निगम रोस्टेक, जो Su-75 “चेकमेट” के विकास के लिए जिम्मेदार है, ने भारत से मिली प्रतिक्रिया के जवाब में, विशेष रूप से भारत के लिए, जेट की बिक्री मूल्य में कमी की घोषणा की। इस कदम को नई दिल्ली की बदलती वैश्विक रक्षा खरीद गतिशीलता के बीच, भारत के साथ अपनी दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी को बनाए रखने की रूस की व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जाता है।

Su-75 “चेकमेट” लड़ाकू जेट के बारे में संक्षिप्त जानकारी

सुखोई Su-57 का व्युत्पन्न Su-75 "चेकमेट" अमेरिकी F-35 लाइटनिंग II और चीन के शेनयांग FC-31 गायराफाल्कन के बराबर रूसी विमान है। यह Su-57 में इस्तेमाल किए गए एक ही इंजन यानी AL-41F-1 द्वारा संचालित है। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक और ओपन आर्किटेक्चर कॉन्फ़िगरेशन सहित अपने उन्नत सिस्टम के लिए प्रसिद्ध, जो इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति देता है, Su-75 का लक्ष्य विभिन्न ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

Su-75 को मैक 1.8 की शीर्ष गति तक पहुँचने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें आंतरिक ईंधन पर 2,800 किलोमीटर की परिचालन सीमा है। इसका अधिकतम टेक-ऑफ वजन 26,000 किलोग्राम बताया गया है, जिसमें 7400 किलोग्राम तक के हथियार और स्टोर शामिल हैं।

हालांकि, जॉन वी पैराचिनी और पीटर ए विल्सन जिन्होंने रूस के Su-75 का आलोचनात्मक मूल्यांकन किया था, ने लड़ाकू जेट से जुड़ी कई समस्याओं का खुलासा किया, जिसमें विदेशी ऑर्डर पर निर्भरता, इसके पूर्ववर्ती Su-57 से विकास संबंधी देरी और प्रतिबंधों से बढ़ी तकनीकी सीमाएँ शामिल हैं। 

ड्रोन के पक्ष में युद्ध की बदलती गतिशीलता के साथ, चेकमेट की बाजार व्यवहार्यता पर संदेह बढ़ रहा है, जिससे संभावित खरीदारों को विकल्पों पर विचार करने का सुझाव मिल रहा है। लड़ाकू जेट की बिक्री मूल्य में कमी रूस की एयरोस्पेस महत्वाकांक्षाओं और विपणन रणनीतियों के बारे में व्यापक संदेह को दर्शाती है।

अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर

रूस इसे भारत को बेचने के लिए क्यों उत्सुक है?

रूस द्वारा भारत को Su-75 “चेकमेट” के साथ दिए गए प्रस्ताव महज बिक्री की चाल से कहीं अधिक है। यह वैश्विक रक्षा बाजार में अपना प्रभाव बनाए रखने और भारत के साथ अपने दीर्घकालिक रक्षा संबंधों को बनाए रखने के लिए एक रणनीतिक युद्धाभ्यास का प्रतिनिधित्व करता है। 

भारत की प्रतिक्रिया के अनुसार बिक्री मूल्य में संभावित रूप से कटौती करने की घोषणा से संकेत मिलता है कि मॉस्को इस सौदे को नई दिल्ली के लिए आकर्षक बनाने के लिए महत्वपूर्ण रियायतें देने को तैयार है। 

यह कदम संभावित रूप से भारत को बातचीत की मेज पर वापस ला सकता है, जिससे रूस को अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट के लिए एक ऐसे बाजार में भागीदार हासिल करने का मौका मिल सकता है, जिसमें भू-राजनीतिक और आर्थिक कारकों के कारण प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण रहा है।

भारत का तर्क क्या है? 

ऐतिहासिक रूप से, रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है, पिछले दशकों में भारत की हथियार खरीद का 65 प्रतिशत हिस्सा रूस से आया है, जिसकी कीमत 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। (SIPRI) हालाँकि, चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे गोला-बारूद और पुर्जों की आपूर्ति करने की उसकी क्षमता कम हो गई है, जिससे भारत की हथियार खरीद स्रोतों में विविधता लाने की पहल में तेज़ी आई है। 

साथ ही, रूस द्वारा भारत को Su-75 के साथ जोड़ने का प्रयास ऐसे समय में हुआ है जब भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम (तेजस एमके II और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA)) को आगे बढ़ा रहा है, इसलिए यह असंभव है कि भारत Su-75 का पीछा करेगा, जो अगले 8-10 वर्षों तक उत्पादन में नहीं जाएगा। 

भारत द्वारा Su-75 की खरीद न करने का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण 2018 में Su-57 (Su-75 का पूर्ववर्ती) के संयुक्त विकास कार्यक्रम से भारत का हटना है। भारत ने विकास में लगातार असफलताओं, दूसरी पीढ़ी के इंजनों के उत्पादन में विफलता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर असहमति जैसे कारणों का हवाला दिया।

इसके अलावा, Su-75 सौदे में भारत की भागीदारी के रणनीतिक निहितार्थ अमेरिका जैसी प्रमुख शक्तियों के साथ उसके संबंधों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति के नाजुक संतुलन के लिए दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। 

इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत रूस के साथ Su-75 सौदे पर हस्ताक्षर नहीं करेगा क्योंकि यह अब अमेरिका को परेशान करेगा, जो कि काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) का उपयोग करने के लिए जाना जाता है, यह कानून 2017 में लागू हुआ था। 

यह एक ऐसा कानून है जिसका उद्देश्य रूस, उत्तर कोरिया और ईरान के साथ गहरे जुड़ाव रखने वाले भागीदार देशों को आर्थिक प्रतिबंधों के माध्यम से दंडित करना है। 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत को रूस से S-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए CAATSA से पहले ही एक बार छूट दी जा चुकी है। नई दिल्ली द्वारा ऐसा दोबारा करने को वाशिंगटन द्वारा लाल रेखा पार करने के रूप में लिया जा सकता है।

अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर

हाइलाइट्स

रूस ने भारत को अपने सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट सुखोई 75 चेकमेट का ऑफर दिया है।

रूस ने सुखोई 75 की पूरी तकनीक तक ट्रांसफर करने का भारत को ऑफर दिया है।

सुखोई डिजाइन ब्‍यूरो के सदस्‍य इस समय भारत में हैं और वे इस डील को लेकर बातचीत कर रहे हैं।

रूस द्वारा Su-75 "चेकमेट" लड़ाकू विमान की पेशकश और भारत की रणनीतिक अनिवार्यताएँ भू-राजनीतिक विचारों और रक्षा खरीद गतिशीलता के जटिल जाल को दर्शाती हैं। भारत के साथ सौदा करने की रूस की उत्सुकता वैश्विक रक्षा बाजार में अपने प्रभाव को बनाए रखने और अपने प्रमुख रक्षा भागीदारों में से एक के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों को बनाए रखने की उसकी इच्छा को रेखांकित करती है।

हालाँकि, भारत की उभरती हुई रक्षा स्थिति, अपनी खरीद में विविधता लाने और रूसी उपकरणों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता से प्रेरित होकर, Su-75 सौदे में महत्वपूर्ण बाधाएँ प्रस्तुत करती है।

भारत की आपत्ति न केवल Su-75 की तकनीकी क्षमताओं और इसकी बाजार व्यवहार्यता पर उसकी चिंताओं से उपजी है, बल्कि व्यापक भू-राजनीतिक निहितार्थों से भी है, खासकर अमेरिका के साथ उसके संबंधों के संबंध में। 

भारत सक्रिय रूप से स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहा है और रूस के साथ व्यवहार में प्रतिबंधों से संबंधित चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में भारत द्वारा Su-75 को अपनाने की संभावनाएं तेजी से अनिश्चित होती दिख रही हैं।

इसके अलावा, CAATSA के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है, जिससे भारत की रणनीतिक गणना जटिल हो रही है और संभावित रूप से प्रतिस्पर्धी वैश्विक शक्तियों के बीच उसके नाजुक संतुलन को नुकसान पहुंच रहा है। 

जबकि भारत पहले भी CAATSA से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर चुका है, रूस के साथ एक और महत्वपूर्ण रक्षा सौदा वाशिंगटन से कड़ी प्रतिक्रिया को भड़का सकता है, जिससे भारत की रक्षा खरीद योजनाओं और व्यापक रणनीतिक साझेदारी में व्यवधान पैदा होने का खतरा है।

अंत में, Su-75 सौदे पर भारत का निर्णय न केवल इसकी रक्षा क्षमताओं को आकार देगा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भू-राजनीतिक परिदृश्य में भी इसकी गूंज होगी। चाहे भारत Su-75 को आगे बढ़ाने का विकल्प चुने या अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशे, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और रणनीतिक हितों की जटिलताएं आने वाले वर्षों में इसकी रक्षा खरीद रणनीतियों को आकार देती रहेंगी।

अमेरिका के F-16 के बाद अब रूस ने दिया सुखोई Su-75 चेकमेट का ऑफर

Su-75 / भारत-रूस संबंध

 / रक्षा साझेदारी / रक्षा प्रौद्योगिकी 


Post a Comment

0 Comments