आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मेरा गांव मेरी धरोहर का शुभारंभ करेंगे अमित शाह
आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मेरा गांव मेरी धरोहर का शुभारंभ करेंगे अमित शाह |
केंद्रीय संस्कृति, कानून और न्याय, और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 27 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में 'मेरा गांव मेरी धरोहर' का वर्चुअल पोर्टल लॉन्च किया था. इस कार्यक्रम में संस्कृति और विदेश मंत्री मीनाक्षी लेखी, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी शामिल हुई थीं.
'मेरा गांव मेरी धरोहर' एक वर्चुअल संग्रहालय है जो भारत के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के 6.5 लाख से ज़्यादा गांवों का सांस्कृतिक मानचित्रण करता है. इस परियोजना का मकसद भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लोगों तक पहुंचाना है. इस परियोजना के तहत गांवों का मानचित्रण और दस्तावेज़ीकरण किया जाएगा. इसके ज़रिए गांवों के जीवन, इतिहास, और लोकाचार की जानकारी हासिल की जाएगी और इसे विज़िटर के लिए वर्चुअल तौर पर उपलब्ध कराया जाएगा.
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ के तहत ग्रामीण समाज की अनदेखी धरोहरों को सामने लाया जाएगा। इस पहल के माध्यम से स्थानीय कला, हस्तशिल्प, परंपराएं, रीति-रिवाज और ग्रामीण स्थापत्य को बढ़ावा देने का काम किया जाएगा। यह कार्यक्रम देशभर के विभिन्न हिस्सों में फैलाया जाएगा, लेकिन कुतुब मीनार जैसे प्रतिष्ठित स्थल से इसकी शुरुआत होना इस अभियान की महत्ता को दर्शाता है।
'मेरा गांव मेरी धरोहर': कुतुब मीनार दिल्ली में लॉन्च किया गया
केंद्रीय संस्कृति, कानून और न्याय तथा र कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 27 जुलाई 2023 को नई दिल्ली के कुतुब मीनार में मेरा गांव मेरी धरोहर का वर्चुअल पोर्टल लॉन्च किया। मेरा गांव मेरी धरोहर एक वर्चुअल संग्रहालय है जो भारत के 6.5 लाख से अधिक गांवों का सांस्कृतिक मानचित्रण करता है।
मेरा गांव मेरी धरोहर के वर्चुअल प्लेटफॉर्म का शुभारंभ गांवों के बारे में जानकारी को एकीकृत करेगा और यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और ग्राम जीवन को व्यक्त करने का एक बहुत ही सकारात्मक तरीका है।
मेरा गांव मेरी धरोहर के बारे में
मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी) सांस्कृतिक मानचित्रण पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीएम) का एक घटक है , जिसे आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के एक भाग के रूप में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया है ।
सांस्कृतिक मानचित्रण में भौगोलिक, विकासात्मक और सांस्कृतिक रूपरेखा को शामिल किया गया है, जिसमें गांव की कहानियां, पारंपरिक ज्ञान और बुद्धिमत्ता परंपराएं, रीति-रिवाज, आभूषण, भोजन, मेले और त्यौहार, अनुष्ठान, गांव के देवी-देवता, भौतिक और ऐतिहासिक स्थल, वास्तुकला, पूजा स्थल, कला के रूप - मौखिक, दृश्य, प्रदर्शन और शिल्प शामिल हैं।
कुतुब मीनार के बारे में
कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 ई. में मुअज्जिन (मस्जिद का मुस्लिम अधिकारी जो नमाज़ के लिए श्रद्धालुओं को बुलाता है) के इस्तेमाल के लिए मीनार की नींव रखी थी और शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211-36 ई.) ने इसे पूरा किया।
इसका नाम 13वीं शताब्दी के सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया है , क्योंकि इल्तुतमिश उनका भक्त था।
अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुब मीनार के दक्षिण में एक विशाल औपचारिक प्रवेशद्वार ( अलाई दरवाजा ) बनवाया तथा एक मदरसा (शिक्षण स्थल) भी बनवाया।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1198 ई. में करवाया था।
कुतुब मीनार लाल और पीले बलुआ पत्थर से बनी है। इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है।
धरोहर संरक्षण का उद्देश्य
यह अभियान न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों की धरोहर को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के रोजगार और आर्थिक विकास में भी योगदान देगा। ग्रामीण शिल्पकार और कलाकारों को अपने उत्पाद और कला को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आजीविका में सुधार होगा।
पर्यटन को बढ़ावा
कुतुब मीनार जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर इस तरह के आयोजनों से न केवल देशी, बल्कि विदेशी पर्यटकों का भी ध्यान आकर्षित होगा। इससे न केवल स्थानीय धरोहर को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन क्षेत्र में भी सुधार आएगा।
सरकार की भूमिका
सरकार इस पहल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही है। यह पहल ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों के तहत भी आती है, जो स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को प्रोत्साहित करने पर जोर देता है।
संभावनाएं और भविष्य
‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ अभियान से आने वाले समय में ग्रामीण समाज को नई पहचान मिलेगी। इस पहल की सफलता अन्य राज्यों और शहरों में भी इसी तरह के आयोजन शुरू करने की प्रेरणा बनेगी।
‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ जैसी पहल से ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध धरोहर और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। कुतुब मीनार से इस अभियान की शुरुआत का पहला कदम है।
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