"केंद्र सरकार ने डीबीटी की बायो-राइड योजना को मंजूरी दी: जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होगा नया आयाम"
हाल ही में केंद्र सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की बायो-राइड योजना को मंजूरी दे दी है। यह योजना भारत में जैव प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान, नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इसका उद्देश्य देश में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना और नवाचार को गति प्रदान करना है।
केंद्र सरकार ने डीबीटी की बायो-राइड योजना को मंजूरी दी
बायो-राइड योजना क्या है?
बायो-राइड योजना का मुख्य उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षण, अनुसंधान और विकास के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करना है। इसके तहत अनुसंधानकर्ताओं को अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और उपकरणों का उपयोग करने का मौका मिलेगा। इससे नई खोजों को प्रोत्साहन मिलेगा और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
केंद्र सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की ' जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार एवं उद्यमिता विकास (बायो-राइड) ' योजना के शुभारंभ को मंजूरी दे दी है । डीबीटी की दो मौजूदा योजनाओं को मिला दिया गया है और बायो-राइड योजना में एक नया घटक, बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री, जोड़ा गया है।
बायो-राइड योजना की अवधि और व्यय
नव स्वीकृत बायो-राइड 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान 2021-22 से 2025-26 तक जारी रहेगा ।
योजना के लिए प्रस्तावित परिव्यय 2021-2025-26 के लिए 9197 करोड़ रुपये है।
बायो-राइड योजना के घटक
नव अनुमोदित बायो-राइड में दो पूर्ववर्ती डीबीटी योजनाओं का विलय किया गया है तथा इसमें एक नया घटक शामिल किया गया है।
योजना के घटक हैं;
जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास,
औद्योगिक एवं उद्यमिता विकास,
जैव विनिर्माण और जैव फाउंड्री
जैव विनिर्माण और जैव फाउंड्री
बायो-मैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री, बायो-राइड योजना के नए घटक हैं।
जैव विनिर्माण से तात्पर्य जैविक प्रणालियों (जीवित जीव, पशु/पौधे कोशिकाएं, ऊतक, एंजाइम आदि) का उपयोग करके खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, ऊर्जा आदि में उपयोग के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण जैव-अणुओं का निर्माण करना है। यह एक अंतःविषय क्षेत्र है जिसमें सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव रसायन और रासायनिक इंजीनियरिंग शामिल हैं।
फाउंड्री एक कारखाना है जहाँ धातुओं को पिघलाया जाता है और वांछित वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए विशेष रूप से निर्मित कंटेनरों में डाला जाता है। इसी तरह, बायो-फाउंड्री में , जीवों के डीएनए का उपयोग किया जाता है और वांछित जैव प्रौद्योगिकी उत्पाद बनाने के लिए उसमें हेरफेर किया जाता है।
बायो-फाउंड्री में, सभी जैव-विनिर्माण प्रक्रियाएं अत्यधिक स्वचालित होती हैं, जो उत्पादों को शीघ्रता और कुशलता से वितरित करने के लिए डिजाइन-निर्माण-परीक्षण-शिक्षण कार्यप्रवाह में तेजी लाने में मदद करती हैं।
बायो-राइड योजना का उद्देश्य
जैव प्रौद्योगिकी केंद्र में स्टार्टअप के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना और उसका पोषण करना।
वित्त पोषण उपलब्ध कराकर बायोप्लास्टिक्स, सिंथेटिक जीवविज्ञान, बायोफार्मास्युटिकल्स और बायोएनर्जी जैसे उन्नत क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
अनुसंधान एवं विकास संस्थानों तथा उद्योग के बीच तालमेल बनाएं ताकि प्रौद्योगिकी का बेहतर व्यावसायीकरण किया जा सके।
भारत के हरित लक्ष्यों के अनुरूप पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ जैव-विनिर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देना।
जैव प्रौद्योगिकी में उच्च कुशल मानव संसाधनों का एक समूह तैयार करना।
योजना के मुख्य बिंदु:
अनुसंधान और विकास को बढ़ावा: बायो-राइड योजना के तहत वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को नई तकनीकों और उपकरणों का प्रयोग करने का अवसर मिलेगा, जिससे जैव प्रौद्योगिकी में नए आविष्कारों की संभावना बढ़ेगी।
स्वदेशी उत्पादन: योजना के तहत स्थानीय स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
रोजगार के नए अवसर: बायो-राइड योजना से देश में नई शोध परियोजनाओं और अनुसंधान केंद्रों की स्थापना होगी, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: इस योजना के तहत अन्य देशों के साथ सहयोग और साझेदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वैश्विक मान्यता मिलेगी।
जैव प्रौद्योगिकी में विकास की दिशा:
भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, और बायो-राइड योजना इस प्रगति को और भी गति देगी। यह योजना जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य, और पर्यावरण में नए अनुसंधान को बढ़ावा देगी। इसके माध्यम से न केवल नए उत्पाद और सेवाएं विकसित होंगी, बल्कि इससे जनकल्याण में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा।
सरकार की योजनाओं में बायो-राइड की विशेष भूमिका:
बायो-राइड योजना सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। इसके माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा।
केंद्र सरकार की बायो-राइड योजना भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। यह योजना भारत को वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकती है।
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