RBI द्वारा ब्रिटेन से 100 टन सोना लाया गया: भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की रणनीति
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में ब्रिटेन से 100 टन सोना वापस लाकर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का एक अहम कदम उठाया है। यह कदम भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने और मुद्रा स्थिरता को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सोने का भंडारण भारत की सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा।
मार्च 2024 तक भारतीय रिजर्व बैंक के पास कुल सोना 822.10 टन था. इसका बड़ा हिस्सा विदेश में रखा गया है. अब रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ इंग्लैंड से 100 टन सोना वापस मंगाया है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वित्त वर्ष 2024 में 100 टन सोना यूके से वापस मंगाया है और इसे अपने भंडार में शामिल किया है. विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए RBI ने गोल्ड को साल 1991 में ब्रिटेन के पास गिरवी रखा था. यह पहली बार है जब 100 टन सोना विदेश से RBI ने अपने भंडार में ट्रांसफर किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले महीने में फिर से इतनी ही मात्रा में येलो मेटल को देश में लाया जा सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक के आधे से ज्यादा गोल्ड स्टोर विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank Of England) और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास रखा गया है. हालांकि इसका एक तिहाई हिस्सा भारत में रखा गया है. ऐसे में आइए समझते हैं विदेश से भारत 100 टन सोना क्यों वापस लाया गया है और इससे भारत को क्या फायदा होगा?
क्यों लाया गया सोना ?
भारत के केंद्रीय बैंक के पास एक बड़ी मात्रा में सोना ब्रिटेन में जमा था, जिसे ऐतिहासिक रूप से वैश्विक व्यापार और आर्थिक सुरक्षा के लिए वहां रखा गया था। हालांकि, हाल के वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्यों ने RBI को सोने को वापस लाने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटेन से सोने को वापस लाने का यह निर्णय कई वित्तीय और भौगोलिक कारणों से लिया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:
मुद्रा अस्थिरता का सामना: वैश्विक स्तर पर वित्तीय अस्थिरता को देखते हुए भारत ने अपने भंडार को सुरक्षित करना उचित समझा।
आर्थिक सुरक्षा: सोने को वापस लाकर, देश की आर्थिक सुरक्षा को मजबूती प्रदान की जा सकती है, जिससे भारत की आर्थिक स्वायत्तता और बढ़ेगी।
संपत्ति की स्थानीय सुरक्षा: देश के भीतर भंडारित संपत्ति पर सीधे नियंत्रण से आर्थिक नीतियों में लचीलापन मिलता है।
RBI के पास कितना सोना ?
मार्च 2024 तक भारतीय रिजर्व बैंक के पास कुल सोना 822.10 टन था. इसका बड़ा हिस्सा विदेश में रखा गया है. अब रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ इंग्लैंड से 100 टन सोना वापस मंगाया है. ऐसे में भारत में रिवर्ज बैंक के पास कुल सोना 408 टन है. इसका मतलब है कि विदेश में और भारत में आरबीआई का रखा हुआ सोना लगभग बराबर है.
विदेश में RBI का इतना सोना
गुरुवार को जारी वित्त वर्ष 2024 के लिए केंद्रीय बैंक की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 308 टन से ज्यादा सोना रखा गया है, जबकि अन्य 100.28 टन सोना स्थानीय स्तर पर बैंकिंग विभाग की संपत्ति के रूप में रखा गया है. सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल गोल्ड रिजर्व में से 413.79 टन विदेशों में रखा गया है.
RBI अपना सोना विदेश में क्यों रखता है ?
साल 1990-91 के विदेशी मुद्रा संकट के दौरान भारत ने 405 मिलियन डॉलर का लोन लेने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को अपने सोने के भंडार का एक हिस्सा गिरवी रख दिया था. हालांकि नवंबर 1991 तक लोन चुका दिया गया था. लेकिन RBI ने लॉजिस्टिक कारणों से गोल्ड को UK में ही रखने का विकल्प चुना।
विदेश में रखे सोने का उपयोग कारोबार, स्वैप और रिटर्न के लिए किया जा सकता है. RBI इंटरनेशनल मार्केट से भी सोना खरीदता है, ताकि आसानी से किसी लेनेदेन के लिए उपयोग किया जा सके।
क्यों आरबीआई ने वापस मंगाया सोना ?
पिछले कुछ सालों में कुछ देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव पैदा हुआ है, जिस कारण इंटरनेशनल स्तर पर सोना रिजर्व करके रखना जोखिम भरा हो सकता है. खासकर पश्चिमी देशों की ओर से रूसी संपत्तियों को फ्रीज करने से विदेशों में रखी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
वर्तमान वित्तीय परिदृश्य
इस कदम को ऐसे समय में उठाया गया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों में वित्तीय नीतियों में बदलाव और डॉलर की कीमतों में उतार-चढ़ाव के चलते सोने की मांग बढ़ी है। भारत में सोने का भंडार मजबूत रखने से देश की मुद्रा पर दबाव कम होता है और यह निवेशकों के लिए एक स्थिर वातावरण प्रदान करता है।
RBI इतने सारे सोने का क्या करेगा?
RBI सरकार के परामर्श से स्थानीय स्तर पर रखे गए सोने का उपयोग स्थानीय सोने की कीमतों को रोकने के लिए कर सकता है. खासकर गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड जैसे निवेश की उच्च मांग को देखते हुए आरबीआई ऐसा कदम उठा सकता है.
केंद्रीय बैंक की ये प्लानिंग एक मजबूत स्थानीय बुलियन मार्केट डेवलप करने में मदद कर सकती है. जिससे सोने के भंडार विदेश भेजने की आवश्यकता नहीं होगी.
भारत में सोना रहने से विदेश को सोना रिजर्व करने के लिए चार्ज नहीं देना पड़ेगा. वहीं अगर कभी कैश या आर्थिक संकट की समस्या आती है तो इस गोल्ड का उपयोग करके आर्थिक समस्याओं से निपटा जा सकता है.
आरबीआई ने खूब खरीदा सोना
गौरतलब है कि RBI ने सोने की खूब खरीदारी की है. साल 2024 के पहले चार महीनों में ही RBI ने पिछले पूरे साल में खरीदे गए सोने का डेढ़ गुना खरीदा है. यह आक्रामक खरीद डॉलर के वैल्यू में गिरावट के कारण हुई है. वहीं अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के डेटा से पता चलता है कि नॉन-अमेरिकी केंद्रीय बैंकों की अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की होल्डिंग मार्च 2023 में 49.8% से घटकर मार्च 2024 में 47.1% हो गई है.
वित्त वर्ष 2024 में RBI ने अपने भंडार में 27.47 टन सोना जोड़ा, जो पिछले वर्ष के 794.63 टन से बढ़कर 1.5 टन हो गया. आरबीआई की ओर गोल्ड की खरीद फॉरेक्स रिजर्व में डाइवर्सिटी लाने, महंगाई और करेंसी अस्थिरता के खिलाफ बचाव की तैयारी का एक हिस्सा है.
सोने का भंडारण और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारतीय रिजर्व बैंक का यह निर्णय सोने के बढ़ते महत्व को भी दर्शाता है। वैश्विक बाज़ार में सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, और ऐसे में यह कदम न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि वित्तीय निवेशकों को भी एक भरोसेमंद वातावरण प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, यह कदम भारत को भविष्य की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार करेगा, क्योंकि देश के पास सोने का बड़ा भंडार एक सुरक्षित दीर्घकालिक निवेश है।
आरबीआई द्वारा ब्रिटेन से 100 टन सोना लाया गया है।
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