दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हाइब्रिड कोर्ट रूम का शुभारंभ

दिल्ली को मिला 'स्पीच टू टेक्स्ट' सुविधा वाला पहला पायलट हाइब्रिड कोर्ट रूम

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में 'स्पीच टू टेक्स्ट' तकनीक वाला हाइब्रिड कोर्ट शुरू हुआ है। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने इसका उद्घाटन किया। उनका कहना है कि यह पहल न्यायिक प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाएगी, जिससे आम जनता का भरोसा बढ़ेगा। जज को न तो उसका बयान दोहराने की जरूरत पड़ेगी और न स्टेनोग्राफर को उसे टाइप करने की।

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हाइब्रिड कोर्ट रूम का शुभारंभ

दिल्ली हाई कोर्ट में 'स्पीच टू टेक्स्ट फैसिलिटी' वाले पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पायलट हाइब्रिड कोर्ट रूम का उद्घाटन कर दिया गया है. इसी के साथ दिल्ली की अदालत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में प्रवेश कर गईं.

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 19 जुलाई 2024 को हाइब्रिड कोर्ट रूम का शुभारंभ किया गया। कोर्ट की कार्यवाही और सबूतों को दस्तावेज में दर्ज करने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence-AI) का इस्तेमाल किया जाएगा।

AI कोर्ट रूम का मकसद कोर्ट को पेपर लेस बनाना है इसे हाइब्रिड इसलिए कहा गया है , क्योंकि यहां कामकाज पहले की तरह हाथों से तो होगा , साथ ही इसमें AI को शामिल कर लिया गया है।

इसमें ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसमें बोले गए शब्दों को सुनकर कंप्यूटर टाइप कर देता है। दिल्ली के सभी 691 जिला कोर्ट में हाइब्रिड कोर्ट रूम बनाए जाएंगे। इसके लिए ₹387 करोड रुपए का बजट रखा गया है, 14 पायलट प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है।

इस दौरान एक्टिंग जस्टिस मनमोहन ने डिजिटल कोर्ट एप भी लॉन्च किया। इससे ऑनलाइन फाइल किए गए मामलों तक ज्यूडिशियल ऑफिसर की पहुंच आसान होगी। इस डेस्कटॉप एप्लीकेशन से कोर्ट कार्यवाही और डॉक्यूमेंट्स की सॉफ्ट कॉपी मिल सकेगी।

दिल्ली की अदालतों ने तकनीकी प्रगति में एक और मील का पत्थर हासिल किया है। तीस हजारी कोर्ट में शुक्रवार को पहला 'स्पीच टू टेक्स्ट' सुविधा से लैस पायलट हाइब्रिड कोर्ट रूम लॉन्च किया गया। इस क्रांतिकारी पहल का उद्देश्य अदालतों में साक्ष्य रिकॉर्डिंग के समय को कम करना और न्यायाधीशों व कर्मचारियों की कार्य क्षमता में वृद्धि करना है।

स्पीच-टू-टेक्स्ट की उन्नत तकनीक

इस नई सुविधा में 'स्वचालित स्पीच रिकॉग्निशन' (ASR) और 'बड़े भाषा मॉडल' जैसी उन्नत तकनीकें उपयोग की गई हैं, जो बोले गए शब्दों को सटीक रूप से लिखित पाठ में बदलती हैं। यह सिस्टम, न्यायिक कार्यवाही के दौरान साक्ष्य रिकॉर्ड करते समय न्यायाधीशों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होगा, क्योंकि यह स्वचालित रूप से डिक्टेशन को टेक्स्ट में परिवर्तित करेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि न्यायालय के स्टाफ की कार्यप्रणाली में भी सुधार आएगा।

दिल्ली को मिला स्पीच टू टेक्स्ट सुविधा वाला पहला पायलट हाइब्रिड कोर्ट रूम

तीस हजारी कोर्ट का इतिहास

दिल्ली का तीस हजारी कोर्ट, भारत की न्यायिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी स्थापना 1958 में हुई थी और यह देश के सबसे पुराने और बड़े अदालत परिसरों में से एक है। यह कोर्ट न्यायिक इतिहास में एक खास स्थान रखता है, जहां हजारों मामलों का निपटारा होता है। तीस हजारी में कोर्ट की संरचना और न्यायिक प्रक्रियाओं ने इसे दिल्ली के प्रमुख न्यायिक केंद्रों में शामिल किया है।

पायलट हाइब्रिड कोर्ट की शुरुआत

दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मनमोहन ने तीस हजारी कोर्ट में इस हाइब्रिड कोर्ट का उद्घाटन किया। इस कोर्ट रूम में स्थापित स्पीच-टू-टेक्स्ट सुविधा, साक्ष्य रिकॉर्डिंग प्रक्रिया को सहज और प्रभावी बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसके साथ ही एक डिजिटल कोर्ट ऐप भी लॉन्च किया गया, जो न्यायाधीशों को ई-फाइल मामलों तक त्वरित पहुंच प्रदान करता है।

न्याय प्रणाली में AI का प्रभाव

न्यायमूर्ति मनमोहन ने इस अवसर पर कहा, "न्याय प्रणाली में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना कि अपराधियों को त्वरित सजा मिले और देरी कम हो, न्याय प्रदान करने का एकमात्र तरीका है।" उन्होंने यह भी कहा कि स्पीच-टू-टेक्स्ट तकनीक अदालतों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

डिजिटल कोर्ट एप्लीकेशन की विशेषताएं

न्यायिक अधिकारियों के लिए डिज़ाइन किए गए 'डिजिटल कोर्ट एप्लीकेशन' के माध्यम से सभी ई-फाइल दस्तावेज़ डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगे। इसमें दस्तावेज़ अपलोड करने की सुविधा भी शामिल है, जिससे कोर्ट में प्रस्तुत किए गए सभी भौतिक दस्तावेज़ को केस सूचना प्रणाली (CIS) में आसानी से उपलब्ध कराया जा सकेगा।

कागज रहित न्यायालय की ओर कदम

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि यह पहल कागज रहित अदालतों की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सभी 691 जिला अदालतों में हाइब्रिड कोर्ट सुविधाएं स्थापित की जाएंगी, जिनके लिए 387 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है।

न्यायिक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का महत्व

न्यायमूर्ति ने न्यायिक कर्मचारियों की कमी को भी ध्यान में रखा और कहा, "स्पीच-टू-टेक्स्ट सुविधा स्टेनोग्राफरों की मांग को कम करेगी और न्यायिक प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाएगी।"

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हाइब्रिड कोर्ट रूम का शुभारंभ

दिल्ली में पहली बार इस तरह के उन्नत तकनीक-संचालित कोर्ट रूम की स्थापना से न्याय प्रणाली में सुधार और समय की बचत सुनिश्चित की जा सकेगी। इसका उद्देश्य न्याय प्रदान करने में देरी को कम करना और कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। न्यायमूर्ति मनमोहन द्वारा किए गए इस नवाचार से भविष्य में न्यायिक क्षेत्र में और भी सुधारों की उम्मीद की जा सकती है।

दिल्ली को मिला पहला स्पीच-टू-टेक्स्ट सुविधा से लैस पायलट हाइब्रिड कोर्ट, जो साक्ष्य रिकॉर्डिंग में समय की बचत करेगा। तीस हजारी कोर्ट में इस AI आधारित तकनीक का शुभारंभ हुआ।


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