ISRO ने की EOS - 08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग

ISRO ने की EOS - 08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग 

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने देश के सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D3 से अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट - 8 (EOS - 08) को सफल लॉन्च किया।

यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से की गई। यह सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा से बाहर करीब 475 किलोमीटर ऊपर स्थापित किया गया।

EOS - 08 सैटेलाइट का मकसद पर्यावरण और आपदा को लेकर सटीक जानकारी देना है।

अंतरिक्ष में भेजे गए EOS - 08 सैटेलाइट में तीन पेलोड हैं, इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और (SiC-UV) डोसीमीटर शामिल हैं।
ISRO ने की EOS - 08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग

ISRO ने की EOS - 08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग 

ISRO ने की EOS-08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, यह सैटेलाइट पृथ्वी अवलोकन सेवाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है, जिससे कृषि, पर्यावरण, और जल संसाधन प्रबंधन में सुधार होगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 16 अगस्त, 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से EOS-08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग की थी. 
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया, लॉन्चिंग सफल रही। 
ISRO की स्थापना 1969 में हुई थी, इसका मुख्य उद्देश्य देश को स्वदेशी सैटेलाइट तकनीक और अंतरिक्ष सेवाओं से सशक्त बनाना रहा है। 1975 में, भारत ने अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया था, जिसने ISRO की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित की। 

इसके बाद कई महत्वपूर्ण मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष में उभरते हुए राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया, जिसमें चंद्रयान और मंगलयान जैसे मिशन शामिल हैं।

इस मिशन के बारे में कुछ खास बातेंः

EOS-08 सैटेलाइट, पृथ्वी अवलोकन से जुड़ा है. इसका मकसद पर्यावरण और आपदाओं से जुड़ी जानकारी देना है.

इस सैटेलाइट में तीन पेलोड हैं:

1. इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ़्रारेड (EOIR) पेलोड
2. ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ़्लेक्टोमेट्री (GNSS-R) पेलोड
3. सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) UV डोसिमीटर पेलोड

EOS-08 सैटेलाइट के साथ ही, एक छोटा सैटेलाइट SR-0 DEMOSAT भी लॉन्च किया गया.

इसरो के मुताबिक, EOS-08 सैटेलाइट मेनफ़्रेम सिस्टम में एक महत्वपूर्ण छलांग है. यह एकीकृत एवियोनिक्स सिस्टम की शुरुआत है.
इसरो ने SSLV विकास की प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब इसकी तकनीक को उद्योगों में हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की है. 

EOS-08, जिसे अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट के नाम से भी जाना जाता है, एक उन्नत सैटेलाइट है जो उच्च-गुणवत्ता की तस्वीरें और डेटा प्रदान करेगा। यह विशेष रूप से प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, पर्यावरणीय परिवर्तनों का आकलन, और सटीक कृषि जानकारी प्रदान करने के लिए उपयोगी होगा। इसके साथ ही, यह भारत के रक्षा उद्देश्यों और अंतरिक्ष अनुसंधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस सफल लॉन्चिंग से ISRO ने एक बार फिर अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अपनी सशक्त उपस्थिति को साबित किया है। EOS-08 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग से भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में और अधिक वृद्धि हुई है।
ISRO ने की EOS - 08 सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग

ISRO (Indian Space Research Organisation) के बारे में जानकारी:

1. मुख्यालय (Headquarter):

ISRO का मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित है।

2. स्थापना वर्ष (Year of Establishment):

ISRO की स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गई थी। इसका उद्देश्य भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था।

3. मुख्य (Head):

वर्तमान में ISRO के चेयरमैन श्री एस. सोमनाथ हैं, जिन्होंने 2022 में इस पद को ग्रहण किया था।

4. उपाध्यक्ष (Vice Head):

ISRO में कोई विशिष्ट उपाध्यक्ष पद नहीं होता है, लेकिन विभिन्न विभागों के प्रमुखों को वरिष्ठ पद दिए जाते हैं।

5. पहला मिशन (First Mission):

ISRO का पहला मिशन आर्यभट्ट था, जिसे 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया गया था। यह भारत का पहला उपग्रह था और इसे सोवियत संघ द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।


6. अंतिम मिशन (Last Mission):

ISRO का सबसे हालिया मिशन Aditya L1 था, जिसे 2 सितंबर 2023 को सूर्य का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया गया। यह मिशन सूर्य से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए है।

7. कुल मिशन (Total Missions Launched):

ISRO ने अब तक कुल 124 उपग्रह मिशन और 104 लॉन्च व्हीकल मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं (सितंबर 2023 तक)। इसमें प्रमुख मिशन जैसे चंद्रयान और मंगलयान शामिल हैं।

8. उल्लेखनीय मिशन (Notable Missions):

चंद्रयान-1: 2008 में भारत का पहला चंद्र मिशन।

मंगलयान: 2013 में लॉन्च किया गया, जिसने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया।

चंद्रयान-2: 2019 में लॉन्च किया गया चंद्र मिशन, जिसमें आर्बिटर सफल रहा, लेकिन लैंडर मिशन आंशिक रूप से असफल रहा।

चंद्रयान-3: 2023 में सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंडिंग करने वाला मिशन।

9. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Collaboration):

ISRO ने NASA, ESA, और अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ भी सहयोग किया है, जिससे भारत का नाम अंतरिक्ष क्षेत्र में और ऊंचाईयों तक पहुंचा।

10. आगामी योजनाएं (Upcoming Plans):

ISRO भविष्य में गगनयान मिशन के तहत भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है।

ISRO ने अपने शुरुआती दिनों से लेकर आज तक कई उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं और यह संस्था भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में सफल रही है।




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