भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास का उदय एवं विकास के प्रमुख कारण
1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से एक सशक्त राष्ट्रीय आंदोलन का विकास हुआ जिसने बंगाल विभाजन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा अंत में भारत छोड़ो आंदोलन देखा तथा इसका नतीजा भारत की स्वतंत्रता तथा इसका विभाजन था ।
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फ़िरोज़ शाह मेहता
इन्होंने 1913 को मुंबई क्रोनिकल नामक पत्र निकाला था।
मुंबई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे।
तेज बहादुर सप्रू
एक प्रतिष्ठित वकील जिसने एनी बेसेंट को सेंट्रल हिंदू कॉलेज और मदन मोहन मालवीय को बनारस हिंदू विश्व विद्यालय बनाने में सहायता प्रदान की थी।
इन्होंने होमरूल आंदोलन में भी भाग लिया।
1928 के नेहरू रिपोर्ट, तैयार करने में इनकी महत्तवपूर्ण भूमिका थी।
इन्होंने गोलमेज सभा़ओं में भी भाग लिया था।
अरविंद घोष
भारतीय सिविल सेवा में नियुक्ति के बाद यह 1892 में इंग्लैंड से भारत लौटकर अरविंद बाद में क्रांतिकारी गतिविधियों में लग गए।
नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल बने और युगान्तर नामक पत्र निकाला था।
इसके अलावा कर्मयोगी और धर्म नामक साप्ताहिक पत्र भी निकाले थे। ये अलीपुर षड्यंत्र केस से जुड़े थे।
बाद में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और पांडिचेरी में योगी जीवन अरविंदो आश्रम में ब्यतीत किये थे।
मोतीलाल नेहरू
यह एक प्रसिद्ध वकील थे, इनकी पत्नी स्वरूपरानी थी जो बाद में कांग्रेस और होमरूल लीग से जुड़ गए ।
जलियांवाला बाग कांड की जांच हेतु नियुक्त कांग्रेस आयोग के ये अध्यक्ष थे।
1919 में कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन व 1928 के कलकत्ता अधिवेशन के अध्यक्ष थे।
इन्होंने इंडिपेंडेंट नामक पत्र भी निकला।
1923 में सी. आर. दास के साथ स्वराज पार्टी की स्थापना की।
इन्होंने 1928 में नेहरू रिपोर्ट तैयार किये थे।
इनकी महत्वपूर्ण पुस्तक द स्ट्रगल फॉर स्वराज थी।
1930 में आनंद भवन (इलाहाबाद) कांग्रेस को दे दिया जो स्वराज भवन कहलाया था।
राममनोहर लोहिया
1934 में कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई। इन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट नामक पत्र निकाले थे।
स्वतंत्रता के उपरांत भारतीय सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। उन्होंने नेपाल व गोवा में भी आंदोलन चलाया। हिंदी भाषा के लिए भी उन्होंने संघर्ष किया।
बल्लभ भाई पटेल
मूल रूप से गुजरात के रहने वाले बल्लभ भाई जिन्हें भारत का लाैह पुरुष के रूप में जाना जाता है।
गुजरात विद्यापीठ की स्थापना करने वाले व्यक्तियों में शामिल थे।
बारदोली में उन्होंने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया।
गांधी जी ने उन्हें सरदार की उपाधि दी।
1931 के प्रसिद्घ कराची अधिवेशन में उन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षता भी की थी।
क्रिप्स मिशन, शिमला सम्मेलन और कैबिनेट मिशन की वार्ताओं में उन्होंने सक्रिय रूप में हिस्सा लिया।
1946 के अंन्तरिम सरकार के सदस्य भी बने।
स्वतंत्र भारत में वे उप-प्रधानमंत्री बने और भारतीय 562 रियासतों के विलय में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया।
इस लौहनीति के करण भारत का बिस्मार्क उपनाम दिया गया।
लाला हरदयाल
अमेरिका में इन्होंने गदर पार्टी की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभायी।
जर्मनी में इन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस कमेटी की स्थापना की थी।
सरकार का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे।
4 मार्च 1939 को अमेरिका के फिलाडेल्फ़िया में उनकी रहस्यात्मक निधन हो गया था।
खुदीराम बोस
खुदीराम युगान्तर से सम्बन्धित थे।
इन्होंने प्रफुल्ल चाकी के साथ किंग्सफोर्ड को मारने की योजना बनाई।
उन्होंने 1908 में किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका जिसमें वे पकड़े गए और उन्हें फांसी दी गई।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
पेशे में वकील राजगोपालाचारी का नाम राष्ट्रवाद में भाग लेने के बाद उन्होंने प्रत्येक राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया।
1930 में नमक कानून तोड़ने हेतु उन्होंने वेदारंगम मार्च किया।
विभाजन हेतु उन्होंने 1944 में सी.आर. प्लान तैयार किया।
उस समय तो इस योजना को किसी ने भी नहीं माना किंतु अंत में भारत का विभाजन उन्हीं शर्तों पर हुआ।
अंतरिम सरकार में वह मंत्री बने।
वे माउंटबेटन के बाद प्रथम भारतीय गवर्नर-जनरल बने।
1952 से 1954 तक मद्रास में मुख्यमंत्री रहे।
1959 में उन्होंने स्वतंत्र पार्टी का गठन किया।
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रविन्द्र नाथ टैगोर
विश्व मानवता के अग्रदूत, महान कवि, प्रसिध्द संगीत विख्यात साहित्यकार, तथा आधुनिक समाज के निर्माता रविंद्र नाथ टैगोर अपने पिता देवेंद्र नाथ टैगोर के 7वें पुत्र थे।
रविंद्र नाथ टैगोर को 1913 में प्रसिद्ध कृति गीतांजलि के लिए नोबेल साहित्य पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
1913 में ही ब्रिटिश सरकार द्वारा सर की उपाधि से सम्मानित हुए।
रवीन्द्र नाथ टैगोर ने स्वदेशी आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
1919 में जलियांवाला बाग कांड के विरोध में इन्होंने सर की उपाधि सरकार को वापस कर दी।
उन्होंने भारत के विकास के लिए कुटीर उद्योग तथा शिक्षा को प्रमुख कारक बताया।
1901 में कोलकाता में उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय स्थापित किया।
टैगोर गुरुदेव के नाम से प्रसिद्द हैं।
वे भारत के राष्ट्रीयगान के प्रणेता तथा गीतांजलि और गोरा आदि के लेखक थे।
राजेंद्र प्रसाद
1917 के चंपारन आंदोलन में वे गांधी के अनुयायी बन गए।
1934 को कांग्रेस के बंबई अधिवेशन के अध्यक्ष थे।
1946 के अंतरिम सरकार में वे खाद्य एवं कृषि मंत्री बने।
भारतीय गणतंत्र के वे प्रथम राष्ट्रपति चुने गए।
1962 में उन्हें भारत रत्न के सम्मान से विभूषित किया गया।
इन्होंने देश नामक साप्ताहिक समाचार-पत्र निकालते थे।
जयप्रकाश नारायण
बिहार प्रांत के निवासी जयप्रकाश जी ने अपनी शिक्षा पटना तथा अमेरिका में पूरी की।
वे कार्ल मार्क्स की विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए।
1929 में कांग्रेस के सदस्य बन गए।
1932 में नागपुर अवज्ञा आंदोलन के समय गिरफ़्तार कर नासिक (महाराष्ट्र) करावास में कैद रखा गया।
अपने कारावास की अवधि में ही कांग्रेस सोशलिस्ट दल बनाने का निर्णय लिया तथा 1935 में इसकी विधिवत स्थापना की घोषणा की थी।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ़्तार कर लिए गए।
उन्होंने इस समय एक साहसिक कदम उठाते हुए अपने कुछ साथियों के साथ हजारी बैग कैदखाना से भागकर राष्ट्रीय आंदोलन को भूमिगत आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया।
वे विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता व सहयोग व्यक्ति थे।
1977 के आम चुनाव में सक्रिय प्रयास से गठित जनता पार्टी विजयी हुई।
इसी समय उन्हें लोकनायक की उपाधि भी दी गई।
8 अक्टूबर 1979 को इनका निधन हो गया।
देवेन्द्र नाथ टैगोर
प्रिंस की उपाधि से सम्मानित ब्रह्म समाज के प्रमुख सदस्य तत्वबोधिनी सभा के प्रवर्तक तथा तत्वबोधिनी पत्रिका के सम्पादक (1843) देवेन्द्र नाथ टैगोर अपनी शालीनता, दानशीलता, उच्च चरित्र के लिए जाने जाते हैं।
रविंद्र नाथ तथा अवनीन्द नाथ इनके सुपुत्र थे।
मदन मोहन मालवीय
इनका जन्म 25 दिसम्बर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था।
1907 को इलाहाबाद में भारतीय औद्योगिक सभा व उत्तर प्रदेश औद्योगिक संस्था को स्थापित किये।
इसी वर्ष हिन्दी पत्रिका अभ्युदय का सम्पादन भी किये।
1909 में अंग्रेजी दैनिक लीडर का सम्पादन किये। ये हिन्दू महासभा के संस्थापक सदस्य थे।
1916 के कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने मालवीय को महामना-ए-मैम ऑफ द लॉर्ज हार्ट की उपाधि दिए थे।
इनका प्रसिद्ध नारा सत्यमेव जयते है।
1916 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना इन्हीं के द्वारा हुई।
14 अप्रैल 1936 को हिंदुस्तान हिंदी समाचार पत्र इन्हीं प्रयासों से प्रारंभ हुआ।
ये 4 बार (1909 लाहौर, 1918 दिल्ली, 1930 दिल्ली, 1932 कोलकाता) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
24 दिसंबर 2014 को मदन मोहन मालवीय व अटल बिहारी वाजपेई को भारत रत्न देने की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की गई।
दोनों (मदन मोहन मालवीय व अटल बिहारी वाजपेई) महापुरुषों का जन्मदिन 25 दिसंबर को पड़ता है इसीलिए पुरस्कार 25 दिसंबर 2015 को दिया गया।
विनायक दामोदर सावरकर
1899 को इन्होंने मित्र मेला की स्थापना की थी। जिसका 1904 में नाम बदलकर अभिनव भारत सोसायटी किया गया।
1906 में वे इंग्लैंड में श्याम जी कृष्ण वर्मा के नेतृत्व में फ्री इंडिया सोसायटी में सक्रिय हुए।
1910 को इन्हें गिरफ़्तार कर भारत लाया गया और नासिक षडयंत्र का मुकदमा चलाकर दोहरे कारावास का दंड (50 वर्ष) दिया गया परंतु 1937 में उन्हें रिहा किया गया।
इसके बाद 1937 - 1942 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष थे।
वे अच्छे इतिहासकार थे इसीलिये 1857 का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम नामक पुस्तक लिखे जिसे भारत की प्रथम सरकारी पुस्तक मानी जाती है।
चितरंजन दास
ये देशबंधु के नाम से प्रसिद्ध थे। ये वन्देमातरम के सम्पादक थे।
अरविन्द घोष पर चलाए गए राजद्रोह के मुकदमें अलीपुर षड़यंत्र केस में वकालत किये थे।
इसीलिए राष्ट्रीय वकील का उपनाम भी जुड़ा था।
1921 के अहमदाबाद व 1922 के गया अधिवेशन के अध्यक्ष थे।
1924 को अहमदाबाद के अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
अरविंद घोष के साथ अंग्रेजी में सांग ऑफ द सी का अनुवाद किये थे।
वारिन्द्र कुमार घोष
स्वदेशी आंदोलन के प्रचार हेतु 1906 को बंगाली साप्ताहिक पत्रिका युगांतर का प्रकाशन किये।
बंगाली दैनिक द स्टेट्स मैन व वसुमति के संपादक थे। इन्होंने ढाका के भूतपूर्व मजिस्ट्रेट एलन को गोली मारकर हत्या कर दिए थे।
चंद्रशेखर आजाद
इनका जन्म भावरा ग्राम मध्य प्रदेश में हुआ इनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के थे। इनके पिता का नाम सीताराम तिवारी तथा माता का जगरानी देवी था।
ये हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के साथ सक्रिय से जुड़े रहे।
1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड़ पार्क में अकेले पुलिस से मुठभेड़ में अंतिम गोली स्वयं को मारकर शहीद हो गए।
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उनका प्रमुख नारा :
"अब भी जिसका खून न खाैला, वो खून नहीं वो पानी है,
जो देश के काम ना आये , वो बेकार जवानी है।"
दीनदयाल उपाध्याय
इनका जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा में हुआ था।
केंद्र सरकार ने 25 सितंबर 2014 को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
1942 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता ; भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य ; भारतीय जनसंघ में पहले महासचिव व अध्यक्ष ; समग्र मानवतावाद सिद्धांत के प्रणेता थे।
जगजीवन राम
स्वतंत्रता सेनानी एवं बिहार के कांग्रेसी नेता थे।
1977-79 के बीच भारत के उप-प्रधानमंत्री ; संविधान सभा के सदस्य ; 1952 से मृत्युपर्यन्त सांसद थे।
स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रीमंडल में श्रम मंत्री थे।
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