मिशन मौसम|कैबिनेट ने 2000 करोड़ रुपए के 'मिशन मौसम' को दी मंजूरी|भारत का ऐतिहासिक कदम

मिशन मौसम|कैबिनेट ने 2000 करोड़ रुपए के 'मिशन मौसम' को दी मंजूरी|भारत का ऐतिहासिक कदम

भारत सरकार ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए 'मिशन मौसम' के तहत 2000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। यह मिशन देशभर में जलवायु के बदलते मिजाज और आपदाओं से निपटने के लिए भारत की रणनीति का हिस्सा है। 'मिशन मौसम' का उद्देश्य पर्यावरणीय बदलावों की निगरानी करना और उन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना है, ताकि देश के प्राकृतिक संसाधनों और जीव-जंतुओं की सुरक्षा हो सके।

मिशन मौसम|कैबिनेट ने 2000 करोड़ रुपए के 'मिशन मौसम' को दी मंजूरी|भारत का ऐतिहासिक कदम

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेतृत्व में इस मिशन का उद्देश्य वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान और विकास को बढ़ाना और मौसम पूर्वानुमान और प्रबंधन में सुधार करना है।

सरकार द्वारा हाल में मंजूर ‘मिशन मौसम’ के तहत अन्य बातों के अलावा प्रयोगशालाओं में कृत्रिम बादल बनाने पर विचार किया जाएगा। इससे बारिश, ओलावृष्टि या कोहरे जैसी मौसम परि​स्थितियों में तेजी अथवा नरमी का अध्ययन और प्रयोग किया जा सकेगा। इस मिशन पर फिलहाल 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

'मिशन मौसम' क्या है?

'मिशन मौसम' एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के बदलते मौसमीय पैटर्न को समझना और इन बदलावों के कारण होने वाली आपदाओं को रोकना है। इस परियोजना के अंतर्गत अत्याधुनिक तकनीकों और संसाधनों का उपयोग किया जाएगा, ताकि मौसम से जुड़ी घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सके और आम जनता को समय रहते सचेत किया जा सके।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि यह मिशन मुख्य तौर पर चार स्तंभों पर आधारित है। इनमें अधिक रडार, विंड प्रोफाइलर और रेडियोसॉन्ड्स स्थापित करके मौसम के अवलोकन में सुधार करना, कृत्रिम दबाव अथवा मौसम में वृद्धि, गणना एवं एआई आधारित प्रणालियों के उपयोग से बेहतर मॉडलिंग और मौसम जीपीटी आदि के जरिये बेहतर पूर्वानुमान शामिल हैं।

रामचंद्रन ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य अगले 5 साल के दौरान देश भर में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा स्थापित करना है ताकि 2047 तक भारत महज मौसम पूर्वानुमान से मौसम प्रबंधन की ओर रुख कर सके।’

मिशन मौसम|कैबिनेट ने 2000 करोड़ रुपए के 'मिशन मौसम' को दी मंजूरी|भारत का ऐतिहासिक कदम

रविचंद्रन ने कहा कि भारत ने करीब 39 राडार का नेटवर्क तैयार किया है। उन्होंने कहा कि मार्च 2026 इसका विस्तार 100 राडारों तक हो जाएगा और उसके बाद उसमें विस्तार किया जाएगा। आंकड़ों को प्रॉसेस करने के लिए कंप्यूटरों की गति भी बढ़ाई जा रही है ताकि शीघ्र पूर्वानुमान लगाया जा सके।

भारत और दुनिया के अन्य देशों के बीच मौसम पुर्वानुमान लगाने से जुड़े ढांचे में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि भारत में मौसम का पुर्वानुमान लगाने वाले लगभग 22 रडार हैं जबकि अमेरिका में इनकी संख्या लगभग 160 है। भारत में इस समय कोई भी विंड प्रोफाइलर या माइक्रोवेव रेडियोमीटर नहीं है जबकि चीन में 128 या 100 ऐसे उपकरण हैं। भारत अब रडार, विंड प्रोफाइलर और अन्य उपकरणों का तंत्र मजबूत करने पर ध्यान देना चाहता है।

मिशन के प्रमुख उद्देश्य

इस मिशन के तहत भारत के मौसम और जलवायु-संबंधी विज्ञान, अनुसंधान एवं सेवाओं को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल की परिकल्पना की गई है। 

यह मौसम की चरम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में नागरिकों सहित हितधारकों को बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद करेगा।

1. मौसम की निगरानी: देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम में हो रहे बदलावों पर लगातार निगरानी रखना।

2. आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, सूखा, तूफान, और चक्रवात से संबंधित जोखिमों को कम करना।

3. कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: कृषि क्षेत्र में मौसम के बदलावों का सही आकलन कर, किसानों को सही समय पर जानकारी और मदद प्रदान करना।

4. जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां: देश की जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याओं का विश्लेषण कर, दीर्घकालिक समाधान प्रदान करना।

मिशन मौसम|कैबिनेट ने 2000 करोड़ रुपए के 'मिशन मौसम' को दी मंजूरी|भारत का ऐतिहासिक कदम

क्यों जरूरी है 'मिशन मौसम'?

भारत में बीते कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा, और अत्यधिक गर्मी जैसी समस्याएं लगातार सामने आ रही हैं। ऐसे में 'मिशन मौसम' इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक सशक्त पहल है। यह मिशन न केवल आपदाओं से निपटने में मदद करेगा, बल्कि देश की आर्थिक संरचना को भी मजबूत बनाएगा।

आईएमडी ने पिछले पांच वर्षों में दैनिक वर्षा पूर्वानुमानों के लिए 80% सटीकता और पांच दिवसीय पूर्वानुमानों के लिए 60% सटीकता की रिपोर्ट की है। हाल ही में किए गए सुधारों ने जुलाई में सटीकता को 88% तक बढ़ा दिया है, जो कि बेहतर डेटा और निर्णय समर्थन प्रणालियों के कारण है।

वैश्विक स्तर पर चीन जैसे देश मौसम के प्रबंधन संबंधी प्रयोग करने के लिए क्लाउड चैंबर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

बजट आवंटन के मुद्दे पर सचिव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर 2,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल सितंबर 2024 और मार्च 2026 के बीच होगा जिसके बाद जरूरत पड़ने पर और रकम मांगी जाएगी।

2000 करोड़ रुपए की मंजूरी के साथ 'मिशन मौसम' भारत की एक अनूठी पहल है, जो न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करेगा, बल्कि लाखों नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा। इससे देश के विकास की राह में एक नया अध्याय जुड़ेगा।

मिशन मौसम|कैबिनेट ने 2000 करोड़ रुपए के 'मिशन मौसम' को दी मंजूरी|भारत का ऐतिहासिक कदम

मिशन मौसम / 2000 करोड़ रुपए / जलवायु परिवर्तन / आपदा प्रबंधन भारत / कैबिनेट / पर्यावरण

Post a Comment

0 Comments