मोदी कैबिनेट ने ‘चंद्रयान-4’ को मंजूरी दी | वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी है खास

मोदी कैबिनेट ने ‘चंद्रयान-4’ निशन को मंजूरी दी, वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी है ये खास प्लान

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए, मोदी कैबिनेट ने 'चंद्रयान-4' मिशन को मंजूरी दे दी है। इस नए मिशन के साथ ही भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाने को तैयार है। इसके साथ ही, वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान मिशन पर भी विशेष योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इन योजनाओं से भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO विश्वस्तर पर अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करेगी।

मोदी कैबिनेट ने ‘चंद्रयान-4’ को मंजूरी दी, वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी है ये खास प्लान

‘चंद्रयान-4’ अभियान अंतरिक्ष यात्रियों को वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आधारभूत टेक्नोलॉजी को विकसित करेगा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार ( 18 sep 2024) को नये चंद्र अभियान ‘चंद्रयान-4’ को मंजूरी दे दी जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने तथा उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी का विकास करना है। एक बयान में कहा गया कि ‘चंद्रयान-4’ अभियान भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को (वर्ष 2040 तक) चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आधारभूत टेक्नोलॉजी को विकसित करेगा। 

इसमें कहा गया, ‘‘अंतरिक्ष केंद्र से जुड़ने/हटने, यान के उतरने, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी तथा चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण के लिए आवश्यक प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।’’ वहीं कैबिनेट ने शुक्र ग्रह की कक्षा में अंतरिक्ष यान भेजने और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) बनाने के लिए गगनयान परियोजना के विस्तार कार्यक्रम को भी मंजूरी दी गई। 

चंद्रयान-4: एक और ऐतिहासिक मिशन

‘चंद्रयान-4’ भारत का एक महत्वाकांक्षी मिशन है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर और अधिक गहराई से अनुसंधान करना है। इस मिशन के तहत, ISRO नई तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करेगा, जो चंद्रमा की सतह और उसके भूवैज्ञानिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, यह मिशन और भी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि इसमें और गहराई से चंद्रमा की सतह पर काम किया जाएगा।

मंजूरी मिलने के 36 महीने के भीतर होगा पूरा

‘चंद्रयान-4’ अभियान के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये की धनराशि की आवश्यकता है। इसमें कहा गया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से इस अभियान को मंजूरी मिलने के 36 महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है। 

‘‘अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी खबर। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान कार्यक्रम का विस्तार करते हुए भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) की दिशा में पहला कदम उठाने को मंजूरी दे दी है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक निर्णय हमें 2035 तक एक आत्मनिर्भर अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन के करीब ले आएगा।’’ सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने ‘चंद्रयान-4’ मिशन के लिए 2,104 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 का स्वाभाविक उत्तराधिकारी चंद्रमा के नमूने एकत्र करने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन है।’’ मंत्रिमंडल ने ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ (वीओएम) के लिए 1,236 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिसे मार्च 2028 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। अंतरिक्ष विभाग द्वारा संचालित ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ में शुक्र ग्रह की कक्षा में एक अंतरिक्ष यान स्थापित करना शामिल होगा, ताकि इसकी सतह व उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

मोदी कैबिनेट ने ‘चंद्रयान-4’ को मंजूरी दी, वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी है ये खास प्लान

वीनस ऑर्बिटर मिशन: शुक्र ग्रह की जानकारी का खजाना

वीनस, जिसे शुक्र ग्रह के नाम से जाना जाता है, पृथ्वी के निकटतम ग्रहों में से एक है। मोदी कैबिनेट द्वारा वीनस ऑर्बिटर मिशन को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य इस ग्रह के वातावरण और सतह का अध्ययन करना है। यह मिशन इसरो की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भविष्य में सौरमंडल के अन्य ग्रहों की विस्तृत जांच की जाएगी। वीनस के अध्ययन से हमें पृथ्वी के वातावरण और जलवायु में हो रहे बदलावों को समझने में भी मदद मिलेगी।

शुक्र ग्रह में हुए बदलाव का अध्ययन

शुक्र, जो पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है और माना जाता है कि इसका निर्माण पृथ्वी के समान परिस्थितियों में हुआ है, यह समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है कि ग्रहों का वातावरण किस प्रकार बहुत अलग तरीके से विकसित हो सकता है। इसमें कहा गया है कि शुक्र ग्रह में हुए बदलाव के अंतर्निहित कारणों का अध्ययन शुक्र और पृथ्वी दोनों ग्रहों के विकास को समझने में काफी सहायक साबित होगा। 

मंत्रिमंडल ने आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) के विकास को मंजूरी दे दी, जिसकी पेलोड क्षमता (भार ले जाने की क्षमता) इसरो के लॉन्च व्हीकल मार्क-3 की तुलना में तीन गुना अधिक है। उसने एनजीएलवी के विकास, तीन विकासात्मक उड़ानों, आवश्यक सुविधा, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान के लिए 8,240 करोड़ रुपये आवंटित किए।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय चालक दल के उतरने की क्षमता विकसित करने के भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसमें कहा गया है कि एनजीएलवी में प्रक्षेपण यान मार्क-3 (एलवीएम3) की तुलना में तीन गुना अधिक पेलोड क्षमता होगी और लागत 1.5 गुना अधिक होगी। साथ ही कहा गया है कि आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान अंतरिक्ष तक कम लागत में पहुंच प्रदान करेगा। 

गगनयान मिशन: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन

गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजना है। इसरो की यह परियोजना भारत को उन देशों की श्रेणी में लाएगी जिन्होंने मानव को अंतरिक्ष में भेजा है। मोदी सरकार इस मिशन को लेकर बेहद गंभीर है और इसके लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को भी और मजबूती देगा।

मोदी कैबिनेट ने ‘चंद्रयान-4’ को मंजूरी दी, वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी है ये खास प्लान

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की बढ़ती ताकत

भारत के इन महत्वाकांक्षी मिशनों के माध्यम से अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय जुड़ रहा है। ISRO पहले ही मंगल और चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक मिशन भेज चुका है, और अब वीनस और मानव अंतरिक्ष मिशन जैसे बड़े लक्ष्यों की ओर कदम बढ़ा रहा है। इन सभी परियोजनाओं को मोदी सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है, जिससे भारत का अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में दबदबा और बढ़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भविष्य की योजनाएं

इन मिशनों के साथ-साथ, भारत कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ भी सहयोग कर रहा है। अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों के साथ ISRO की साझेदारी और मजबूत हो रही है, जिससे भविष्य में और भी उन्नत तकनीक और अनुसंधान संभव हो सकेंगे। अंतरिक्ष अनुसंधान का यह युग न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी सुदृढ़ करता है।

मोदी कैबिनेट ने चंद्रयान-4 को मंजूरी दी, वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी है ये खास प्लान

'मोदी कैबिनेट ने चंद्रयान-4 को मंजूरी दी है। इसके साथ वीनस ऑर्बिटर मिशन और गगनयान के लिए भी खास योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिससे भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।'


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