मोइदम : यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट सूची में शामिल

असम का "मोइदम" यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल 

असम के चराईदेव जिले में स्थित 'मोइदम' / मोइदम्स को 26 जुलाई 2024 को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया गया है । पूर्वोत्तर से पहली बार किसी सांस्कृतिक धरोहर ने इस सूची में जगह बनाई है।

वर्ष 2023-24 के लिए भारत की तरफ से असम के 'मोइदम' को नॉमिनेट किया गया था। मोइदम पिरामिड की तरह अनूठी टीलेनुमा संरचनाएं हैं। इन्हें असम के अहोम राजवंश (700 वर्ष पूर्व) के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए प्रयोग किया जाता था।

असम का मोइदम यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल

असम में चराईदेव जिले में स्थित अहोम राजवंश की 700 वर्ष पुरानी टीलेनुमा समाधि प्रणाली "मैदाम" अब यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल 

असम के चराईदेव जिले में स्थित अहोम राजवंश की टीलेनुमा दफन प्रणाली जिन्हें मोइदम (Moidam) या मैदाम नाम से जाना जाता है, को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों (World Heritage Sites) की सूची में जुलाई 2024 में शामिल किया गया है।

यह शाही मैदाम केवल असम राज्य के चराइदेव में चीन से आई ताई-अहोम जनजातियों के राजाओं का कब्र स्थल है। इन जनजातियों के राजाओं ने 12वीं से 18वीं ई. के बीच उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपनी राजधानी स्थापित की थी।

इन कब्र स्थलों को असम के पिरामिड्स के रूप में भी जाना जाता है। असम के तत्कालीन शिवसागर जिले (वर्तमान में चराईदेव जिले) में स्थित इन मोइदम्स को विश्व धरोहर घोषित करने का प्रस्ताव भारत सरकार ने 15 अप्रैल 2014 को यूनेस्को के पास भेजा था।

मोइदम्स को वर्ष 2014 में ही यूनेस्को की विश्व धरोहर की अस्थाई सूची में शामिल कर लिया गया था। 

विश्व धरोहर सूची में इसे शामिल करने का निर्णय यूनेस्को (UNESCO - United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation) की विश्व धरोहर समिति के भारत में नई दिल्ली में 21 - 31 जुलाई 2024 को संपन्न 46वें सत्र में लिया गया।

इसे मिलाकर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल भारतीय स्थलों की कुल संख्या अब 43 हो गई है। इनमें से 35 स्थल सांस्कृतिक स्थलों (Cultural Properties) की सूची में है , जबकि 7 प्राकृतिक विरासत (Natural Heritage) की श्रेणी में तथा 1 मिश्रित विरासत (Mixed Heritage) के रूप में वर्गीकृत है।

असम में चराईदेव जिले में स्थित अहोम राजवंश की 700 वर्ष पुरानी टीलेनुमा समाधि प्रणाली मैदाम अब यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल

विश्व विरासत सूची में शामिल भारत के 43 स्थल (जुलाई 2024 के अंत की स्थिति


क्रम संख्या

सूची में शामिल किए जाने का वर्ष

सांस्कृतिक स्थल

1

1983

आगरा किला , आगरा (उत्तर प्रदेश)

2

1983

ताजमहल , आगरा (उत्तर प्रदेश)

3

1983

अजंता की गुफाएं , महाराष्ट्र 

4

1983

एलोरा की गुफाएं , महाराष्ट्र 

5

1984

सूर्य मंदिर , कोर्णाक , पुरी (उड़ीसा )


6

1984

महाबलीपुरम स्थित स्मारक समूह (तमिलनाडु)

7

1986

गोवा के चर्च एवं कॉन्वेंट (गोवा)

8

1986

खजुराहो स्थित स्मारक समूह

 (मध्य प्रदेश )

9

1986

हंपी स्थित स्मारक समूह बल्लारि 

( कर्नाटक )

10

1986

फतेहपुर सीकरी , आगरा ( उत्तर प्रदेश )

11

1987

एलिफेंटा की गुफाएं ( महाराष्ट्र )

12

1987

बृहदेश्वर मंदिर थंजावुर (तमिलनाडु) *

प्राकृतिक स्थल 

 35 + 7     =    41


 1. 

काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क , असम  

1985

 2. 

मानस वन्य जीव अभ्यारण्य , असम

1985

3. - 1985

केवलादेव राष्ट्रीय पार्क भरतपुर , राजस्थान 

4.

सुंदरवन राष्ट्रीय पार्क , पश्चिम बंगाल 

1987

 5. 

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क , चमोली (उत्तराखंड ) *

1988

 6. 

पश्चिमी घाट (सहयाद्री पर्वत) 

(मुख्यतः केरल में )

2012

7. - 2014

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क 


क्रम संख्या

सूची में शामिल किए जाने का वर्ष

सांस्कृतिक स्थल

13

1987

पट्टडकल स्थित स्मारक समूह कर्नाटक 

14

1989

सांची स्तूप बौद्ध स्मारक (मध्य प्रदेश)

15

1993

हुमायूं का मकबरा (दिल्ली)

16

1993

कुतुब मीनार व सम्बद्ध स्मारक (दिल्ली )

17

1999

माउंटेन रेलवे (दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ) @


18

2002

बोधगया-स्थित महाबोधि मंदिर (बिहार )

19

2003

भीमबेटका की गुफाएं (मध्य प्रदेश)

20

2004

छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, मुंबई (महाराष्ट्र )

21

2004

चंपानेर पावागढ़ आर्कियोलॉजिकल पार्क (गुजरात )

22

2007

दिल्ली का लाल किला (दिल्ली )

23

2010

जंतर-मंतर जयपुर (राजस्थान )

24

2013

राजस्थान के राजपूताना शैली के 6 किले


क्रम संख्या

सूची में शामिल किए जाने का वर्ष

सांस्कृतिक स्थल

25

2014

रानी की वाव (द क्वीन'स स्टेपवेल )

26

2016

बिहार का नालंदा महाविहार 

27

2016

चंडीगढ़ का कैपिटल कंपलेक्स **

28

2017

अहमदाबाद 

29

2018

मुंबई की विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको संरचनाएं 

30

2019

जयपुर सिटी 

31

2021

काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर , वारंगल (तेलंगाना )

32

2021

हड़प्पा कालीन धाैलावीरा (गुजरात)

33

2023

होयसल के पवित्र मंदिर समूह (कर्नाटक )

34 

2024

असम में चराईदेव जिले में स्थित अहोम राजवंश की टीलेनुमा दफन प्रणाली (मैदाम)

35

2023

शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल )


मिश्रित स्थल - 35 + 7 + 1 = 42
कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क (सिक्किम) - 2016

* इसके विस्तार के रूप में चोला मंदिर को 2004 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।

@ इसके विस्तार के रूप में नीलगिरी रेलवे को 2005 में व कालका-शिमला रेलवे को 2008 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।

# इसके विस्तार के रूप में वैली ऑफ फ्लावर्स राष्ट्रीय पार्क को 2005 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।

** स्विस-फ्रेंच वास्तुकार ली कार्बूजियर की 7 विभिन्न देशों में स्थित कुल 17 कृतियों को वर्ष 2016 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था। 

चंडीगढ़ स्थित कैपिटल कॉपलैक्स उनमें से ही एक है। 16 अन्य कृतियां 6 अन्य देशों - अर्जेंटीना, फ्रांस, बेल्जियम , जर्मनी , जापान ए स्विट्जरलैंड में स्थित है।
मोइदम : यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट सूची में शामिल

"यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट" शब्द की उत्पत्ति संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से हुई है, जो 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है। यूनेस्को का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।

विश्व स्तर पर सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा करने का विचार मिस्र में अबू सिम्बल मंदिरों के सफल पुनर्वास के बाद उत्पन्न हुआ। 1959 में, जब असवान उच्च बांध का निर्माण इन प्राचीन मंदिरों को जलमग्न करने की धमकी दे रहा था, तो यूनेस्को ने इन्हें बचाने के लिए एक वैश्विक अभियान चलाया। 

इस ऑपरेशन में मंदिरों को तोड़कर दूसरी जगह ले जाया गया, जो मानवता की साझा धरोहर को संरक्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्व दर्शाता है।

1972 में, यूनेस्को ने विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण संबंधी कन्वेंशन को अपनाया। यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में 1,100 से अधिक स्थलों को शामिल किया जा चुका है। इन स्थलों का चयन कुछ विशेष मानदंडों के आधार पर किया जाता है।

यूनेस्को की धरोहरों को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता न केवल वैश्विक एकता को बढ़ावा देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सांस्कृतिक और प्राकृतिक चमत्कारों की रक्षा करना कितना महत्वपूर्ण है, जो सभ्यताओं की पहचान को आकार देते हैं।







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