बहुपक्षीय वायु अभ्यास "तरंग शक्ति" को द्विवार्षिक आयोजन बनाने की घोषणा: वायुसेना प्रमुख
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में घोषणा की है कि बहुपक्षीय वायु अभ्यास "तरंग शक्ति" को अब द्विवार्षिक आयोजन बनाया जाएगा। इस महत्वपूर्ण अभ्यास का उद्देश्य विभिन्न देशों की वायु सेनाओं के बीच सहयोग और समझ को बढ़ावा देना है, जिससे रणनीतिक साझेदारी और आपसी प्रशिक्षण को मजबूती मिलेगी।
भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा आयोजित सबसे बड़े बहुपक्षीय हवाई अभ्यास तरंग शक्ति के पहले चरण के समापन के साथ, आईएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल (ACM) वीआर चौधरी ने इस अभ्यास को द्विवार्षिक आयोजन बनाने की योजना की घोषणा की है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इसे “किसी अन्य राष्ट्र के लिए चुनौती” के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
तरंग शक्ति वायु अभ्यास में कई देशों की वायु सेनाएं भाग लेती हैं, जो एक-दूसरे के साथ विभिन्न प्रकार की युद्ध तकनीकों और रणनीतियों का अभ्यास करती हैं। इस अभ्यास का आयोजन भारत में किया जाता है।
इसमें उच्च तकनीक वाले लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, और अन्य वायुसेना के उपकरणों का उपयोग किया जाता है। यह अभ्यास न केवल सैन्य स्तर पर, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूती मिलती है।
वायुसेना प्रमुख ने इस आयोजन को द्विवार्षिक बनाने के पीछे का मुख्य कारण बताया कि इससे वायुसेनाओं के बीच आपसी समन्वय और सामरिक दक्षता में और वृद्धि होगी। इसके अलावा, इसका आयोजन नियमित रूप से होने से इसमें भाग लेने वाले देशों को अपनी वायुसेना की क्षमताओं को और भी उन्नत करने का अवसर मिलेगा।
एसीएम चौधरी ने सुलूर में मीडिया से कहा, "हम निश्चित रूप से हर दूसरे साल में एक बार इस अभ्यास को आयोजित करने का मामला उठाएंगे। हम बाद में तय करेंगे कि हम कितने देशों को इसमें शामिल कर सकते हैं। लेकिन यह निश्चित रूप से आखिरी नहीं है।" सुलूर में पहला चरण 6 से 14 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है। दूसरा चरण 1 से 14 सितंबर तक जोधपुर में आयोजित किया जाना है। उनके साथ फ्रांस के उनके समकक्ष जनरल स्टीफन माइक, जर्मनी के लेफ्टिनेंट जनरल इंगो गेरहार्ट्ज और स्पेन के एयर जनरल फ्रांसिस्को ब्राको कार्बो भी थे।
तरंग शक्ति अभ्यास भारतीय वायुसेना की तत्परता और क्षमता का प्रदर्शन भी करता है। यह अभ्यास भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उसकी रक्षा क्षमताओं में सुधार होता है और वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य प्रतिष्ठा को और भी मजबूत किया जाता है।
अंत में, यह द्विवार्षिक अभ्यास भारत और उसके सहयोगी देशों के बीच सुरक्षा साझेदारी को और सुदृढ़ करने में सहायक साबित होगा, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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