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परमाणु संचालित आईएनएस अरीघात पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल

परमाणु संचालित आईएनएस अरीघात पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल

भारतीय नौसेना में हाल में ही दूसरी परमाणु शक्ति संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को कमीशन किया गया है। इससे भारतीय नौसेना में तैनात परमाणु पनडुब्बियों की संख्या दो पहुंच गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां चीनी नौसेना की परमाणु पनडुब्बियों से कितनी शक्तिशाली हैं।

भारतीय नौसेना में एक नया और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, आईएनएस अरीघात, एक परमाणु संचालित पनडुब्बी, को औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। यह पनडुब्बी भारतीय समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही है। आईएनएस अरीघात देश की दूसरी परमाणु संचालित पनडुब्बी है, जो आत्मनिर्भर भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

परमाणु संचालित आईएनएस अरीघात पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल
परमाणु संचालित आईएनएस अरीघात पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल

भारतीय नौसेना ने 29 अगस्त 2024 को अपनी दूसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन), आईएनएस अरीघात को औपचारिक रूप से शामिल किया । केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में स्थित पूर्वी नौसेना कमान की अपनी यात्रा के दौरान एक सादे समारोह में पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किया। .

नियोजित पांच अरिहंत श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बियों में दूसरे पोत को शामिल करने से भारत की न्यूक्लियर ट्रायड (परमाणु त्रय) क्षमता और दूसरी स्ट्राइक क्षमता को मजबूत होने की उम्मीद है।

न्यूक्लियर ट्रायड क्षमता से तात्पर्य किसी देश की हवा, समुद्र और जमीन से परमाणु हथियार से हमला करने की क्षमता से है।

दूसरी स्ट्राइक क्षमता से तात्पर्य दुश्मन के परमाणु हथियार से हमला होने के बाद किसी देश के दुश्मन पर परमाणु हथियार से हमला करने की क्षमता से है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण नौ सेना की परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी होती है।

भारत का परमाणु चालित पनडुब्बी कार्यक्रम 

भारत ने 1970 के दशक में स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी बनाने के लिए प्रोजेक्ट एवीटी (एडवांस्ड वेसल टेक्नोलॉजी) शुरू  किया था। 

एवीटी कार्यक्रम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ)परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) और भारतीय नौसेना की एक संयुक्त परियोजना है।

एवीटी परियोजना के तहत पहली परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत थी, जिसे अगस्त 2016 में भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया था।

सरकार ने शुरुआत में प्रोजेक्ट एवीटी के तहत चार परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को मंजूरी दी थी, लेकिन चीन के खतरे को देखते हुए इस बाद में बढ़ाकर पांच कर दिया गया। 

एवीटी परियोजनाओं के तहत बनाई जा रही पनडुब्बियों को अब आईएनएस अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियां कहा जाता है।

आईएनएस अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी, आईएनएस अरीघात, नवंबर 2017 में शुरू की गई थी और अगस्त 2024 में नौ सेना में शामिल कर लिया गया। 

भारतीय नौसेना ने नियोजित पांच पनडुब्बियों में से एस-3 और एस-4 पनडुब्बियों का निर्माण शुरू कर दिया है।

खबरों के मुताबिक, भारत, तीन चरणों में छह परमाणु हमलावर पनडुब्बियां बनाने की भी योजना बना रहा है।

आईएनएस अरीघात की खासियत 

आईएनएस अरिहंत की तरह, आईएनएस  अरीघात बेहतर स्टील्थ (शोर कम) क्षमता के साथ 83 मेगावाट दबाव वाले हल्के पानी के परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित है।

पनडुब्बी जितना कम शोर पैदा करती है, दुश्मन के लिए उसका पता लगाना उतना ही कठिन होता है।

112 मीटर लंबा आईएनएस अरिघाट सतह पर 12-15 समुद्री मील प्रति घंटा और पानी के अंदर  24 समुद्री मील प्रति घंटा तक की अधिकतम गति प्राप्त कर सकता है।

इसमें चार मिसाइल लॉन्च ट्यूब हैं जो बारह K-15 या चार 4 K-4 पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम ) तक ले जा सकती हैं।

K-15 सागरिका मिसाइलों की मारक क्षमता 750 किलोमीटर है और इन्हें आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात में शामिल किया गया है ।

डीआरडीओ  द्वारा विकसित K-4 एसएलबीएम  परमाणु हथियार सक्षम मिसाइल  हैं और इसकी  मारक क्षमता 3,500 किमी है।

आईएनएस अरिहंत में चार  K-15 मिसाइल या एक K-4 मिसाइल ले जाने की क्षमता है।

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी के संचालन में रूस की मदद 

एवीटी परियोजना के शुभारंभ के बाद, भारत सरकार ने भारतीय नौसेना कर्मियों को परमाणु पनडुब्बियों के संचालन से परिचित कराने के लिए सोवियत परमाणु-संचालित पनडुब्बी पट्टे पर ली। 

पहली परमाणु-संचालित सोवियत पनडुब्बी, आईएनएस चक्र, 1988 में भारत पहुंची और 1991 में सोवियत संघ को वापस कर दी गई।

भारत ने फिर से रूस के साथ लगभग 2 बिलियन डॉलर में अकुला श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पट्टे पर लेने के लिए 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस पनडुब्बी को अप्रैल 2012 में भारत में कमीशन किया गया था और इसका नाम आईएनएस चक्र II रखा गया था।

मार्च 2019 में, भारत ने रूस के साथ एक और उन्नत अकुला श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी को 10 वर्षों के लिए 3 बिलियन डॉलर में पट्टे पर देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है। यह उन्नत पनडुब्बी 2025 तक भारत आने की उम्मीद है।

भारत में पनडुब्बी अड्डे

भारत दो आधुनिक पनडुब्बी अड्डे बना रहा है। एक कर्नाटक के कारवार में  स्थित प्रोजेक्ट सी बर्ड है 

दूसरा आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में आईएनएस वर्षा है, जिसमें पनडुब्बियों के लिए भूमिगत डॉकिंग सुविधाएं होंगी।

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सामरिक महत्त्व

भारतीय नौसेना में आईएनएस अरीघात का शामिल होना समुद्री शक्ति संतुलन में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा। यह भारत को 'न्यूक्लियर ट्रायड' (तीन-स्तरीय परमाणु प्रतिरोध प्रणाली) के संदर्भ में और मजबूती देगा, जो जमीन, वायु, और समुद्र से परमाणु हमले की क्षमता को दर्शाता है।

आईएनएस अरीघात की क्षमता यह सुनिश्चित करेगी कि भारत समुद्र में दुश्मन के हमलों से सुरक्षित रहे और साथ ही इसे दुश्मन पर प्रतिरोधक क्षमता के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सके।

आईएनएस अरीघात की विशेषताएँ

आईएनएस अरीघात को विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है। इसे परमाणु हथियारों से सुसज्जित किया गया है, जिससे यह दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने और अपनी रक्षा करने में सक्षम है। 

इसका निर्माण विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर में किया गया।

इसकी लंबाई लगभग 111 मीटर है और यह करीब 6,000 टन वजनी है।

पनडुब्बी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) ले जाने में सक्षम है, जो इसे और भी शक्तिशाली बनाती है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

आईएनएस अरीघात का निर्माण और इसके संचालन में स्वदेशी तकनीक और कौशल का इस्तेमाल हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि भारतीय रक्षा उद्योग अब न केवल अपने रक्षा उपकरणों को स्वदेशी रूप से बनाने में सक्षम है, बल्कि अत्याधुनिक परमाणु तकनीक में भी विश्वस्तरीय प्रगति कर रहा है। यह भारत के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों को और बल मिल रहा है।

परमाणु संचालित आईएनएस अरीघात पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल

भारतीय नौसेना के अनुसार, आने वाले समय में भारत और भी परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को अपने सेना में शामिल करने की योजना बना रहा है। इससे न केवल भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी यह अहम भूमिका निभाएगी।

आईएनएस अरीघात के शामिल होने के साथ, भारत की नौसेना दुनिया की सबसे मजबूत नौसेनाओं में से एक बनने की ओर बढ़ रही है, जो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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FAQ

प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) क्या है?

प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी): प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) भारत की एक महत्वपूर्ण रक्षा परियोजना है जिसका उद्देश्य स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का निर्माण करना है। इस परियोजना के तहत भारत अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक पनडुब्बियों का विकास कर रहा है। एवीटी परियोजना का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करना और भारतीय नौसेना को सामरिक रूप से मजबूत बनाना है।

प्रोजेक्ट एवीटी के तहत निर्मित होने वाली पहली परमाणु ऊर्जा पनडुब्बी कौन सी थी?

प्रोजेक्ट एवीटी के तहत निर्मित पहली पनडुब्बी: प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) के तहत निर्मित होने वाली पहली परमाणु-संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत थी। यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक प्रतीक है। आईएनएस अरिहंत को 2016 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।

आईएनएस अरीघात क्या है, जो हाल ही में खबरों में था?

आईएनएस अरीघात: आईएनएस अरीघात भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जिसे हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। यह पनडुब्बी भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। आईएनएस अरीघात में अत्याधुनिक तकनीक और हथियार प्रणालियों का समावेश है, जो इसे समुद्री युद्ध में बेहद सक्षम बनाती है।

आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात पनडुब्बियों को किस प्रकार का परमाणु रिएक्टर शक्ति प्रदान करता है?

आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात के परमाणु रिएक्टर: आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात पनडुब्बियों को 83 मेगावाट के स्वदेशी परमाणु रिएक्टर द्वारा शक्ति प्रदान की जाती है। ये रिएक्टर भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए हैं और यह पनडुब्बियों को लंबी अवधि तक पानी के अंदर रहकर संचालन करने की क्षमता देते हैं, जिससे भारत की सामरिक ताकत में वृद्धि होती है।

K15 मिसाइल क्या है?

K15 मिसाइल: K15 मिसाइल, जिसे सागरिका के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वदेशी रूप से विकसित की गई परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल 750 किलोमीटर की रेंज तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है और इसे विशेष रूप से आईएनएस अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल भारत की समुद्री रक्षा शक्ति को मजबूत करती है।

स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी विकसित करने की परियोजना में कौन सी एजेंसियां ​​शामिल हैं?

परमाणु-संचालित पनडुब्बी परियोजना की एजेंसियां: भारत की स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी विकसित करने की परियोजना में भारतीय नौसेना, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग (DAE) मुख्य रूप से शामिल हैं। इन एजेंसियों ने मिलकर एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) परियोजना के तहत परमाणु पनडुब्बियों का विकास किया है।

परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में किसने शामिल किया?

आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल: परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने की घोषणा हाल ही में की गई, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईएनएस अरीघात के शामिल होने से भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघता को भारतीय नौसेना में शामिल करने का समारोह कहाँ आयोजित हुआ?

आईएनएस अरीघात को नौसेना में शामिल करने का स्थान: आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने का समारोह विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में आयोजित किया गया। यह शहर भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान का मुख्यालय है और यह समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

आईएनएस अरीघात क्या है?

आईएनएस अरीघात भारत की स्वदेशी रूप से विकसित की गई परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जो भारतीय नौसेना में शामिल की गई है। यह पनडुब्बी अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और समुद्री रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आईएनएस अरीघात में लंबी दूरी की मिसाइलें और शक्तिशाली हथियार प्रणालियां हैं, जो इसे समुद्र के नीचे से भी उच्च स्तर की रक्षा क्षमता प्रदान करती हैं।

आईएनएस अरीघात का भारतीय नौसेना में क्या महत्व है?

आईएनएस अरीघात का भारतीय नौसेना में शामिल होना भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह पनडुब्बी न केवल दुश्मनों को जवाब देने के लिए तैयार है, बल्कि यह भारत की सामरिक रक्षा क्षमताओं को भी सुदृढ़ करती है। इससे नौसेना की अंडरवॉटर स्ट्राइक क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

आईएनएस अरीघात की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

आईएनएस अरीघात एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु रिएक्टर, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें, और उन्नत रक्षा प्रणाली शामिल हैं। यह पनडुब्बी पानी के अंदर लंबे समय तक काम कर सकती है और इसके साथ ही यह दुश्मनों के खिलाफ परमाणु हमला करने में सक्षम है।

आईएनएस अरीघात को किस परियोजना के तहत विकसित किया गया?

आईएनएस अरीघात को एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) परियोजना के तहत विकसित किया गया। यह परियोजना भारत की स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण के उद्देश्य से शुरू की गई थी। एवीटी परियोजना के तहत, भारत ने अपनी सामरिक रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्वदेशी रूप से पनडुब्बियों का निर्माण किया है।

आईएनएस अरीघात में किस प्रकार की मिसाइलें लगी हुई हैं?

आईएनएस अरीघात में K-15 और K-4 मिसाइलें लगी हुई हैं, जो भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करती हैं। K-15 मिसाइल की मारक क्षमता 750 किलोमीटर है, जबकि K-4 मिसाइल 3500 किलोमीटर तक वार कर सकती है। ये मिसाइलें पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती हैं और यह दुश्मनों के खिलाफ सटीक परमाणु हमले करने में सक्षम हैं।

आईएनएस अरीघात की लॉन्चिंग कब और कहाँ हुई थी?

आईएनएस अरीघात को आधिकारिक तौर पर 2023 में विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसे विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग यार्ड में बनाया गया था, और यह भारतीय नौसेना की अत्याधुनिक पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा है। यह पनडुब्बी अब भारतीय नौसेना की ताकत में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है।

आईएनएस अरीघात के संचालन की क्षमता क्या है?

आईएनएस अरीघात पानी के अंदर लंबे समय तक बिना उभरे काम करने में सक्षम है, जिससे यह समुद्र में गहराई से दुश्मनों पर नजर रख सकती है। इसके अलावा, यह पनडुब्बी परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित होती है, जिससे इसे लंबी अवधि तक संचालन करने की क्षमता मिलती है। इसका संचालन इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।

आईएनएस अरीघात का निर्माण किसके द्वारा किया गया?

आईएनएस अरीघात का निर्माण भारत की सरकारी रक्षा कंपनियों और वैज्ञानिक संगठनों द्वारा किया गया है। इसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग (DAE) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह पनडुब्बी भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है।

आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने का उद्देश्य क्या है?

आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। यह पनडुब्बी दुश्मनों के खिलाफ जवाबी हमला करने की क्षमता रखती है और भारत की सामरिक रक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आईएनएस अरीघात को शामिल करने से भारत की नौसेना को क्या लाभ मिलेगा?

आईएनएस अरीघात के शामिल होने से भारत की नौसेना की समुद्री रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यह पनडुब्बी न केवल दुश्मनों को जवाब देने के लिए तैयार है, बल्कि यह परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक है। इससे भारतीय नौसेना को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति प्राप्त होगी और समुद्री सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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