भारतीय पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने कांस्य जीतकर रचा इतिहास

Paralympics: भारतीय पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने कांस्य जीतकर रचा इतिहास, भारत के पदकों की संख्या 25 पहुंची

Paralympics: भारतीय पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने कांस्य जीतकर रचा इतिहास, भारत के पदकों की संख्या 25 पहुंची

परिचय: भारतीय पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने टोक्यो 2024 पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है। यह केवल एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक उपलब्धि है। इस पदक के साथ भारत की पैरालंपिक में पदकों की संख्या 25 हो गई है,

कपिल ने पुरुष 60 किग्रा जे1 स्पर्धा के कांस्य पदक मुकाबले में ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 से हराया और कांस्य लाने में सफल रहे। भारत ने इस तरह पेरिस पैरालंपिक में अपने पदकों की संख्या 25 पहुंचा दी है।

भारत के पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। कपिल ने पुरुष 60 किग्रा जे1 स्पर्धा के कांस्य पदक मुकाबले में ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 से हराया और कांसा लाने में सफल रहे। 

कपिल ने इसके साथ ही इतिहास रच दिया क्योंकि वह भारत के पहले जूडो खिलाड़ी हैं जिन्होंने पैरालंपिक या ओलंपिक में कोई पदक अपने नाम किया है। भारत ने इस तरह पेरिस पैरालंपिक में अपने पदकों की संख्या 25 पहुंचा दी है। भारत अब तक पेरिस खेलों में पांच स्वर्ण, नौ रजत और 11 कांस्य पदक अपने नाम कर चुका है। 

Paralympics: भारतीय पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने कांस्य जीतकर रचा इतिहास, भारत के पदकों की संख्या 25 पहुंची

सेमीफाइनल में हारकर स्वर्ण लाने से चूके 

परमार ने 2022 एशियाई खेलों में इसी वर्ग में रजत पदक जीता था। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में वेनेजुएला के मार्को डेनिस ब्लांको को 10-0 से शिकस्त दी थी, लेकिन सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से पराजित हो गए। परमार को दोनों मुकाबलों में एक एक पीला कार्ड मिला। कपिल भले ही स्वर्ण नहीं ला सके, लेकिन कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। पैरा जूडो में जे1 वर्ग में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जो दृष्टिबाधित होते हैं या फिर उनकी कम दृष्टि होती है।

वहीं, महिलाओं के 48 किग्रा जे2 वर्ग के क्वार्टर फाइनल में भारत की कोकिला को कजाखस्तान की अकमारल नौटबेक से 0-10 से हार का सामना करना पड़ा। फिर रेपेचेज के जरिए फाइनल में कोकिला को यूक्रेन की यूलिया इवानित्स्का से 0-10 से हार मिली। इसमें उन्हें तीन जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी को दो पीले कार्ड मिले। जूडो में पीले कार्ड मामूली उल्लघंन के लिए दिए जाते हैं। जे2 वर्ग में आंशिक दृष्टि वाले खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं।

देश के लिए प्रेरणा : कपिल परमार का यह पदक उन हजारों खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो शारीरिक चुनौतियों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। कपिल ने दिखाया है कि इच्छाशक्ति और मेहनत से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

निष्कर्ष : कपिल परमार की यह जीत भारतीय खेल जगत के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने दिखाया कि शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़कर कैसे मानसिक शक्ति और समर्पण से हर बाधा को पार किया जा सकता है। उनका कांस्य पदक जीतना न केवल उनके परिवार, कोच और दोस्तों के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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