Paris Paralympics 2024: नवदीप ने पुरुष भाला फेंक F41 स्पर्धा में जीता गोल्ड मेडल

Paralympics: भाला फेंक में नवदीप का रजत सोने में बदला,भारत की झोली में सातवां गोल्ड 


Paris Paralympics 2024: नवदीप ने पुरुष भाला फेंक F41 स्पर्धा में जीता गोल्ड मेडल

Paralympics: नवदीप का रजत सोने में बदला; ईरानी एथलीट अयोग्य, भारत को सातवां स्वर्ण

पेरिस पैरालिंपिक्स 2024 में भारत ने एक और गौरवमयी पल देखा जब भाला फेंक खिलाड़ी नवदीप का सिल्वर मेडल सोने में बदल गया। यह बदलाव तब हुआ जब प्रतियोगिता में शामिल ईरानी एथलीट को अयोग्य करार दिया गया, जिससे नवदीप को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इस अद्वितीय घटना ने भारत की झोली में सातवां स्वर्ण पदक जोड़ दिया और देश के लिए एक और ऐतिहासिक क्षण बना दिया।

नवदीप ने अपने तीसरे प्रयास में 47.32 मीटर का थ्रो किया जो उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो रहा। इसी के साथ भारत अब तक इस पैरालंपिक में सात स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक समेत कुल 29 पदक जीत चुका है। पदक तालिका में भारत 16वें नंबर पर है।

नवदीप की यात्रा

नवदीप, हरियाणा के एक छोटे से गांव से आने वाले पैरा एथलीट हैं, जिनका सफर काफी प्रेरणादायक रहा है। पैरालिंपिक्स तक का सफर उनके लिए सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी चुनौती रही है। बचपन में एक हादसे के बाद नवदीप को शारीरिक विकलांगता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और लगन से उन्होंने भाला फेंक में अपनी जगह बनाई। उनका लक्ष्य हमेशा से भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना था, और अब उनका यह सपना पूरा हो गया है।

हालांकि, प्रतियोगिता के दौरान उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा, क्योंकि ईरानी एथलीट ने स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन बाद में तकनीकी समीक्षा के बाद यह पाया गया कि ईरानी खिलाड़ी ने नियमों का उल्लंघन किया था, जिससे उसे अयोग्य घोषित किया गया और नवदीप को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

नवदीप ने अपने तीसरे प्रयास में 47.32 मीटर का थ्रो किया जो उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो रहा। हालांकि, इससे पहले नवदीप को रजत पदक विजेता घोषित किया गया था। बाद में ईरानी एथलीट बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस कारण नवदीप का रजत पदक स्वर्ण पदक के रूप में अपग्रेड कर दिया गया।
चीन के पेंगजियांग (44.72 मीटर) को इस स्पर्धा का रजत पदक मिला।

Paralympics: भाला फेंक में नवदीप का रजत सोने में बदला,भारत की झोली में सातवां स्वर्ण

भारत की पैरालिंपिक्स में बढ़ती सफलता

नवदीप की इस जीत के साथ, भारत ने पैरालिंपिक्स 2024 में सात स्वर्ण पदक जीत लिए हैं। यह उपलब्धि देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में पैरालिंपिक्स में लगातार अपनी पकड़ मजबूत की है। इस बार के पैरालिंपिक्स में भारतीय एथलीटों ने न केवल पदक जीते, बल्कि अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और अद्वितीय प्रदर्शन से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।

आपत्तिजनक हरकतों के कारण पदक गंवाना पड़ा

ईरान के बेत सयाह सादेघ को बार-बार आपत्तिजनक झंडा दिखाने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। सयाह ने अंतिम प्रयास में 47.64 मीटर भाला फेंक कर नया पैरालंपिक रिकॉर्ड कायम किया, लेकिन अपनी आपत्तिजनक हरकतों के कारण उन्हें पदक गंवाना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के नियमों के अनुसार एथलीट स्पर्धा में किसी तरह के राजनीतिक इशारे नहीं कर सकते। सयाह को खेल के प्रति अनुचित व्यवहार के कारण अयोग्य करार दिया गया।

नीरज चोपड़ा को प्रेरणा मानते हैं

नवदीप दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा के शहर पानीपत से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बताया कि भाला फेंक स्पर्धा के लिए नीरज से ही प्रेरणा मिली। बकौल नवदीप, 'जब नीरज भाई ने जूनियर विश्व रिकॉर्ड तोड़ा, तो मैंने सोचा कि वह भी हमारे शहर से हैं और मैं भी ऐसा कर सकता हूं।'

टोक्यो पैरालंपिक खेलों में चौथे स्थान पर रहने की कसक दूर

यह पुरुषों की भाला एफ41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है। एफ41 श्रेणी छोटे कद के एथलीटों के लिए है। नवदीप के इस स्वर्ण पदक के साथ टोक्यो पैरालंपिक खेलों में चौथे स्थान पर रहने की कसक दूर हो गई। आयकर विभाग में निरीक्षक के पद पर तैनात नवदीप ने 2017 में खेलना शुरू किया था। बीते लगभग आठ साल में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पांच बार पदक जीते हैं। उन्होंने इस साल की शुरुआत में पैरा-विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।

भारत पैरालंपिक के इतिहास में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर चुका है। उसने टोक्यो पैरालंपिक में पांच स्वर्ण सहित कुल 19 पदक जीते थे। नवदीप ने फाउल के साथ शुरुआत की और फिर दूसरे प्रयास में 46.39 मीटर का थ्रो किया। तीसरे प्रयास में हालांकि, वह सभी से आगे निकलने में सफल रहे और उन्होंने पैरालंपिक का रिकॉर्ड तोड़ा। पांचवें प्रयास में ईरान के बेत सयाह सादेघ ने 47.64 मीटर का थ्रो किया और नया पैरालंपिक रिकॉर्ड कायम कर दिया। 

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बेत सयाह सादेघ और नवदीप के बीच कांटे की टक्कर

नवदीप ने फिर चौथे प्रयास में फाउल किया, जबकि पांचवें प्रयास में 46.05 मीटर का थ्रो किया। इसके बाद अंतिम और छठे प्रयास में फाउल कर बैठे। हालांकि, जब ईरानी एथलीट को अयोग्य करार दिया गया तो दूसरे नंबर पर रहे नवदीप के प्रदर्शन की बदौलत भारत की झोली में सातवां स्वर्ण पदक आ गया।

नवदीप ने पैरालंपिक रिकॉर्ड थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। जबकि इस स्पर्धा का कांस्य पदक इराक के नुखाइलावी वाइल्डन (40.46) ने जीता। ईरानी एथलीट की अयोग्यता के कारण हुए बदलाव से पहले कांस्य 44.72 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो करने वाले चीन के सुन पेंगजियांग को दिया गया था।

समापन विचार

नवदीप की इस जीत ने पूरे देश को गर्वित कर दिया है। उनकी यह सफलता उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो शारीरिक विकलांगता के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। यह सिर्फ एक स्वर्ण पदक नहीं है, बल्कि उन तमाम संघर्षों और बलिदानों का प्रतीक है, जो नवदीप ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए किए हैं। उनकी यह जीत भारतीय खेल इतिहास में एक सुनहरा अध्याय है, और उनके साथ-साथ पूरे देश के लिए एक गर्व का क्षण है।


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