भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता

सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को भारत-अमेरिका में समझौता 

भारत और अमेरिका ने सांस्कृतिक संपत्तियों के अवैध व्यापार को रोकने और ऐतिहासिक धरोहरों को वापस लौटाने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा। 

इस समझौते का उद्देश्य उन प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस लाना है, जिन्हें अवैध तरीके से भारत से बाहर ले जाया गया था। इस पहल से भारतीय धरोहर और ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण सुनिश्चित होगा, साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।

हाल ही में भारत और अमेरिका ने सांस्कृतिक कलाकृतियों की अवैध तस्करी से निपटने तथा पुरावस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस लौटाने को सुनिश्चित करने के लिये पहली बार सांस्कृतिक संपदा समझौते (Cultural Property Agreement- CPA) पर हस्ताक्षर किये।

भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता
सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को भारत-अमेरिका में समझौता 

समझौते के मुख्य बिंदु :

भारत और अमेरिका ने 26 जुलाई को सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटने और संरक्षण के लिए अमेरिकी द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।

समझौते में चोरी की गई भारतीय प्राचीन वस्तुओं की अवैध तस्करी को रोकना भी शामिल है।

अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सेक्रेटरी गोविंद मोहन ने द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस दौरान केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी उपस्थित रहे।

वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत को 262 प्राचीन वस्तुएं में वापस की गई थीं। इसमें नटराज, हनुमान , ब्रह्मा-ब्राह्मणी, युगल , महिषासुर-मर्दिनी और नृत्य करते हुए गणेश की मूर्तियां शामिल हैं।

भविष्य में अमेरिका से 297 पुरावशेष लाए जाएंगे।

सांस्कृतिक संपत्तियों का संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग और शिक्षा का आदान-प्रदान बढ़ेगा।

यह समझौता न केवल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को पुनः प्राप्त करने का प्रयास है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच गहरी साझेदारी का भी प्रतीक है।

भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता 

भारत और अमेरिका ने जुलाई 2024 में, नई दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति के अवसर पर, सांस्कृतिक संपत्ति समझौते (सीपीए) पर हस्ताक्षर किए.

इस समझौते का मकसद, पुरावशेषों की अवैध तस्करी को रोकना और उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस लाना है.

इस समझौते के तहत, 1.7 मिलियन साल पहले से लेकर 1947 तक की कुछ पुरातात्विक और नृवंशविज्ञान संबंधी सामग्रियों के अमेरिका में आयात पर रोक लगी है.

अमेरिका, भारत को नामित सूची में शामिल किसी भी वस्तु या सामग्री को वापस करने की पेशकश करेगा.

इस समझौते के तहत, अमेरिकी सरकार ने भारत को 297 प्राचीन वस्तुएं लौटाई हैं. ये वस्तुएं 2000 ईसा पूर्व से 1900 ईस्वी के बीच की हैं.

इनमें से ज़्यादातर वस्तुएं पूर्वी भारत के टेराकोटा के टुकड़े हैं. बाकी वस्तुएं पत्थर, धातु, लकड़ी, और हाथीदांत से बनी हैं.

2016 से अमेरिका से भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की कुल संख्या 578 है. 

भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता
भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता

भारत-अमेरिका सांस्कृतिक संपदा समझौता | 01 Aug 2024

हाल ही में भारत और अमेरिका ने सांस्कृतिक कलाकृतियों की अवैध तस्करी से निपटने तथा पुरावस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस लौटाने को सुनिश्चित करने के लिये पहली बार सांस्कृतिक संपदा समझौते (Cultural Property Agreement- CPA) पर हस्ताक्षर किये।

यह समझौता सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व हस्तांतरण के निषेध एवं रोकथाम के साधनों पर यूनेस्को कन्वेंशन के 1970 के अनुच्छेद 9 के अनुरूप है।

CPA 1.7 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर वर्ष 1947 तक की कुछ पुरातात्त्विक और नृवंशविज्ञान संबंधी सामग्रियों के अमेरिका में आयात पर प्रतिबंध लगाता है। आयात के लिये प्रतिबंधित ऐसी वस्तुओं की सूची अमेरिकी सरकार द्वारा प्रख्यापित की जाएगी।

अमेरिका, भारत को नामित सूची में शामिल किसी भी वस्तु या सामग्री को वापस करने की पेशकश करेगा, जो अमेरिकी सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गई हो।

इसी प्रकार के समझौते अमेरिका और अल्जीरिया, कंबोडिया, चीन, मिस्र और इटली जैसे देशों के बीच भी हैं।

यह समझौता G20 बैठकों के दौरान शुरू की गई साल भर की द्विपक्षीय चर्चाओं का परिणाम है। भारत की G20 अध्यक्षता के तहत, सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा पर ध्यान सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।

काशी कल्चर पाथवे और वर्ष 2023 में नई दिल्ली नेताओं की घोषणा (New Delhi Leaders’ Declaration- NDLD) ने अवैध तस्करी से लड़ने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

यह वैश्विक विकास रणनीति में बदलाव का प्रतीक है, जो वर्ष 2030 के बाद के विकास ढाँचे में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में महत्त्व देता है।

भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता
भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता

भारत और अमेरिका की बुनियादी जानकारी

भारत:

प्रधानमंत्री (PM): नरेंद्र मोदी

राष्ट्रपति (President): द्रौपदी मुर्मू

नदियाँ: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा

राजधानी: नई दिल्ली

प्रसिद्ध स्थल: ताजमहल, लाल किला, कुतुब मीनार, हिमालय

निक नेम: सोने की चिड़िया, उपमहाद्वीप

महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास: युद्ध अभ्यास (India-USA joint military exercise)

अमेरिका:

राष्ट्रपति (President): जो बाइडन

उप-राष्ट्रपति: कमला हैरिस

राजधानी: वॉशिंगटन डी.सी.

प्रसिद्ध स्थल: स्टैचू ऑफ लिबर्टी, ग्रैंड कैन्यन, व्हाइट हाउस, टाइम्स स्क्वायर

निक नेम: लैंड ऑफ द फ्री, सुपरपावर

नदियाँ: मिसिसिपी, मिसौरी, कोलंबिया

भारत-अमेरिका के बीच प्रमुख सैन्य अभ्यास: युद्ध अभ्यास

भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास का नाम "युद्ध अभ्यास" है। यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच सामरिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। 

भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौता
भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने को लेकर समझौत

सांस्कृतिक संपत्तियों का महत्व

भारत एक प्राचीन सभ्यता है, जहां विश्व की सबसे समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरें हैं। इसमें मूर्तियां, पेंटिंग, शिलालेख और अन्य सांस्कृतिक वस्त्र महत्वपूर्ण हैं। समय-समय पर भारत से कई सांस्कृतिक संपत्तियां अवैध रूप से विदेशों में पहुंच गई हैं। इस समझौते के तहत अमेरिका ने वादा किया है कि वह इन सांस्कृतिक संपत्तियों को वापस लौटाएगा।

भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों को लौटाने का समझौता दोनों देशों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता न केवल प्राचीन भारतीय धरोहर को वापस लाने में मदद करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को और अधिक मजबूत बनाएगा।





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