Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

शास्त्रीय भाषाएँ (Classical Languages): परिचय और इतिहास

परिचय

शास्त्रीय भाषाएँ वे प्राचीन भाषाएँ होती हैं जिन्हें अपने समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर के कारण महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है। (जिन्हें अपनी बेहतर लिखाई और सांस्कृतिक परंपराओं की वजह से खास पहचान मिलती है)।

ये भाषाएँ किसी समाज या संस्कृति के विकास और उनकी परंपराओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। 

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

शास्त्रीय भाषा का दर्जा उन भाषाओं को दिया जाता है जिनका साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व होता है और जो आधुनिक भाषाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न होती हैं।

शास्त्रीय भाषाओं का इतिहास

भारत में शास्त्रीय भाषाओं का अस्तित्व हज़ारों साल पुराना है। इन भाषाओं में साहित्य, दर्शन, इतिहास और विज्ञान जैसे विभिन्न विषयों पर समृद्ध सामग्री उपलब्ध है। 

शास्त्रीय भाषाओं का विकास एक लंबी प्रक्रिया के माध्यम से हुआ, जो हमें सभ्यता के विकास और संस्कृति की धरोहरों की ओर ले जाता है।

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

भारत में शास्त्रीय भाषाओं की मान्यता

भारत में शास्त्रीय भाषा के दर्जे की शुरुआत 2004 में हुई थी। भारत सरकार ने सबसे पहले तमिल भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। 

इसके बाद, अन्य भाषाओं को भी इसी आधार पर मान्यता दी गई। शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष मापदंड होते हैं:

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

1. भाषा का इतिहास कम से कम 1500 से 2000 साल पुराना होना चाहिए।

2. भाषा में समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक सामग्री होनी चाहिए।

3. आधुनिक भाषाओं से भिन्न और अद्वितीय साहित्यिक परंपराएँ होनी चाहिए।

4. भाषा के प्राचीन साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान हो।

कब और किसे मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा

भारत में अब तक छह भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जा चुका है। ये निम्नलिखित हैं:

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

1. तमिल (2004) - तमिल को भारत की पहली शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई। यह भाषा दुनिया की सबसे पुरानी जीवित भाषाओं में से एक है और इसका साहित्यिक इतिहास हजारों साल पुराना है।

2. संस्कृत (2005) - संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, और इसका धार्मिक और साहित्यिक महत्व बहुत अधिक है। इसके साहित्य में वेद, उपनिषद, महाभारत और रामायण जैसी रचनाएँ शामिल हैं।

3. कन्नड़ (2008) - कन्नड़ भाषा का इतिहास भी कई शताब्दियों पुराना है। इस भाषा में भी समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर है।

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

4. तेलुगू (2008) - तेलुगू भाषा का साहित्यिक विकास भी प्राचीन काल से हुआ है और इसमें कई महान कवियों और लेखकों की रचनाएँ हैं।

5. मलयालम (2013) - मलयालम भाषा का इतिहास भी प्राचीन है, और इसका साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है।

6. ओडिया (2014) - ओडिया को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला। ओडिया साहित्य का इतिहास भी प्राचीन काल से है और यह भाषा अपनी साहित्यिक धरोहर के लिए जानी जाती है।

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

पहले कितनी और अब कितनी शास्त्रीय भाषाएँ

जब पहली बार शास्त्रीय भाषा की मान्यता दी गई, तब केवल एक भाषा यानी तमिल को यह दर्जा प्राप्त था। आज भारत में कुल 6 भाषाएँ शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं। 

इनमें तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम और ओडिया शामिल हैं। समय के साथ अन्य भाषाओं के भी इस सूची में शामिल होने की संभावना है, लेकिन इसके लिए उन्हें उपरोक्त मापदंडों को पूरा करना होगा।

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

पहले से मान्यता प्राप्त 6 शास्त्रीय भाषाएँ निम्नलिखित हैं:

1. तमिल (2004 में शास्त्रीय भाषा घोषित)

2. संस्कृत (2005 में शास्त्रीय भाषा घोषित)

3. कन्नड़ (2008 में शास्त्रीय भाषा घोषित)

4. तेलुगू (2008 में शास्त्रीय भाषा घोषित)

5. मलयालम (2013 में शास्त्रीय भाषा घोषित)

6. ओडिया (2014 में शास्त्रीय भाषा घोषित)

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ
हाल ही में भारत सरकार ने 3 Oct 2024 को 5 नई भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। ये भाषाएँ हैं:

1. मराठी

2. असमिया

3. बंगाली

4. पाली

5. प्राकृत

इससे अब भारत में कुल 11 शास्त्रीय भाषाएँ हो गई हैं।
Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

किस भाषा को कब मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा?

भारत में अब तक कुल 11 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है। ये निम्नलिखित हैं:

1. तमिल - 2004 में पहली शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त। तमिल भाषा का साहित्यिक इतिहास अत्यंत प्राचीन है।

2. संस्कृत - 2005 में संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला। इसका धार्मिक और साहित्यिक महत्व अत्यधिक है।

3. कन्नड़ - 2008 में मान्यता प्राप्त, कन्नड़ भाषा का भी लंबा साहित्यिक इतिहास है।

4. तेलुगू - 2008 में तेलुगू को भी शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया। इस भाषा में भी उत्कृष्ट साहित्यिक कृतियाँ हैं।

5. मलयालम - 2013 में मलयालम को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

6. ओडिया - 2014 में ओडिया भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिली।

7. मराठी, असमिया, बंगाली, पाली, और प्राकृत - हाल ही में, 2024 में इन पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

शास्त्रीय भाषाओं का महत्व

शास्त्रीय भाषाएँ केवल साहित्यिक धरोहर नहीं होतीं, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास, और ज्ञान का संग्रह भी होती हैं।

ये भाषाएँ हमें हमारे अतीत से जोड़ती हैं और हमारी सभ्यता और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण धरोहर के रूप में संरक्षित होती हैं। 

शास्त्रीय भाषाओं में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथ और साहित्य आज भी अध्ययन और शोध के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

Classical languages in India: भारत में शास्त्रीय भाषाएँ

निष्कर्ष

भारत में शास्त्रीय भाषाओं का महत्व अत्यधिक है। ये भाषाएँ भारत की सांस्कृतिक धरोहर और समृद्ध साहित्य की प्रतीक हैं। 

तमिल, संस्कृत, मराठी से लेकर पाली और प्राकृत तक, ये भाषाएँ हमारी प्राचीन परंपराओं, इतिहास और ज्ञान का सजीव उदाहरण हैं। 

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करना न केवल भाषा के लिए सम्मान की बात है, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता और साहित्यिक धरोहर को संरक्षित करने का एक प्रयास भी है।

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 FAQ

भारत में कितनी शास्त्रीय भाषाएँ हैं?

भारत में कुल 11 शास्त्रीय भाषाएँ हैं, जिनमें तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम, ओडिया, मराठी, असमिया, बंगाली, पाली और प्राकृत शामिल हैं।

तमिल को शास्त्रीय भाषा का दर्जा कब मिला?

तमिल को 2004 में भारत की पहली शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ?

संस्कृत को 2005 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने के लिए क्या मापदंड होते हैं?

शास्त्रीय भाषा के लिए मुख्य मापदंडों में भाषा का इतिहास 1500-2000 साल पुराना होना, समृद्ध साहित्यिक परंपरा, और आधुनिक भाषाओं से भिन्नता शामिल होती है।

भारत में सबसे हाल में किन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है?

2024 में मराठी, असमिया, बंगाली, पाली, और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

शास्त्रीय भाषाएँ क्यों महत्वपूर्ण हैं?

शास्त्रीय भाषाएँ भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर को संरक्षित करती हैं और इतिहास, ज्ञान और परंपराओं को आगे बढ़ाने का कार्य करती हैं।

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