खाद्य मंत्री ने फेयर प्राइस शॉप्स को जन पोषण केंद्रों में बदलने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट को शुरू किया

फेयर प्राइस शॉप्स को जन पोषण केंद्रों में बदलने को पायलट प्रोजेक्ट 

भारत सरकार ने एक नई योजना शुरू की है जिसमें फेयर प्राइस शॉप्स (यानि राशन की दुकानों) को जन पोषण केंद्रों में बदलने का फैसला किया है। यह योजना एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जा रही है, जिसका मतलब है कि इसे पहले कुछ जगहों पर आजमाया जाएगा, और अगर यह सफल होता है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है।

फेयर प्राइस शॉप्स को जन पोषण केंद्रों में बदलने को पायलट प्रोजेक्ट

खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने 20 अगस्त 2024 को 60 फेयर प्राइस शॉप्स (Fair Price Shops - FPS), जिन्हें राशन की दुकानें में भी कहा जाता है, को जन पोषण केद्रों में बदलने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका उद्देश्य इन केद्रों में न्यूट्रिशन यानी पोषण की पहुंच में सुधार करना है।

60 फेयर प्राइस शॉप्स में उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तेलंगाना के जन पोषण केंद्र शामिल हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तहत FPS डीलरों को सब्सिडी वाले अनाज के अलावा अपने स्टॉक में विविधता लाने की अनुमति दी गई है।

इस प्रोजेक्ट से बनी दुकानों में बाजार, दाल, डेरी प्रोडक्ट्स और दैनिक जरूरत की चीजें रखी जा सकती हैं। इससे डीलरों के लिए रेवेन्यू के नए स्वरूप खुल सकते हैं।

पूरे भारत में लगभग 5.38 लाख FPS चालू है। इस पायलट के सफल एग्जीक्यूशन से राशन दुकान नेटवर्क के राष्ट्रव्यापी परिवर्तन हो सकते हैं।

क्या हैं फेयर प्राइस शॉप्स ?

फेयर प्राइस शॉप्स वो सरकारी दुकानें हैं, जहाँ से गरीब और जरूरतमंद लोग सस्ते दामों पर चावल, गेहूं और चीनी जैसी चीजें खरीद सकते हैं। इन दुकानों का मुख्य उद्देश्य है कि हर कोई आसानी से खाना खरीद सके और कोई भूखा न रहे।

जन पोषण केंद्र क्या होते हैं ?

जन पोषण केंद्र वो जगहें होती हैं, जहाँ लोगों को सस्ते दाम पर पौष्टिक खाना और जरूरी विटामिन्स दिए जाते हैं, ताकि वो स्वस्थ रह सकें। इस योजना के तहत, फेयर प्राइस शॉप्स में सिर्फ राशन ही नहीं मिलेगा, बल्कि लोगों को सही पोषण भी मिलेगा। इसके जरिए सरकार ये सुनिश्चित करना चाहती है कि हर नागरिक को अच्छा और स्वस्थ खाना मिले।

पायलट प्रोजेक्ट क्यों जरूरी है ?

पायलट प्रोजेक्ट का मतलब होता है कि पहले कुछ जगहों पर एक नई योजना को आजमाया जाए। अगर वो सफल होता है, तो उसे और जगहों पर लागू किया जाता है। इस पायलट प्रोजेक्ट के जरिए सरकार ये देखेगी कि फेयर प्राइस शॉप्स को जन पोषण केंद्र में बदलना कितना फायदेमंद हो सकता है और इससे लोगों की सेहत में कितना सुधार आता है।

पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि लोग सस्ते दामों में सिर्फ अनाज ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ भी पा सकें। इससे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को भी पौष्टिक खाना मिलेगा और उनकी सेहत में सुधार होगा। इसके अलावा, इससे कुपोषण की समस्या को भी हल करने में मदद मिलेगी।

फेयर प्राइस शॉप्स को जन पोषण केंद्रों में बदलने का पायलट प्रोजेक्ट: एक आसान समझ

इस योजना के लाभ

1. पौष्टिक खाना: लोग सिर्फ सस्ते दामों पर अनाज ही नहीं, बल्कि जरूरी पोषण भी प्राप्त कर सकेंगे।

2. कुपोषण की समस्या का समाधान: इससे बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।

3. सरकार का खर्चा कम: अगर लोग स्वस्थ होंगे, तो सरकार को अस्पतालों और इलाज पर कम खर्च करना पड़ेगा।

भविष्य की उम्मीदें

अगर ये पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो सरकार इसे पूरे देश में लागू कर सकती है। इससे करोड़ों लोगों को फायदा होगा और देश में कुपोषण की समस्या को भी कम किया जा सकेगा।

यह योजना देश की बड़ी समस्या, कुपोषण, को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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