अकबर का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

अकबर का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

अकबर महान मुग़ल सम्राट थे, जिन्होंने सैन्य विजय, धार्मिक सहिष्णुता, प्रशासनिक सुधार, और कला-संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जानें उनके जीवन के ऐतिहासिक तथ्यों और नीतियों के बारे में।

अकबर का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

अकबर: महान मुग़ल सम्राट का जीवन और योगदान

परिचय

अकबर, जिन्हें "अकबर महान" के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मुग़ल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली और प्रसिद्ध शासकों में से एक थे। उनका पूरा नाम जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर था। अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को हुआ था और उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करके मुग़ल साम्राज्य को महानता के शिखर पर पहुँचाया। 

उनके शासनकाल में न केवल सामरिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और प्रशासनिक सुधारों के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बदलाव आए।

अकबर का प्रारंभिक जीवन

अकबर का जन्म सिंध प्रांत के अमरकोट में हुआ था, जब उनके पिता हुमायूं निर्वासन में थे। अकबर का बचपन कठिनाइयों से भरा था, क्योंकि हुमायूं को अफगान शासक शेर शाह सूरी के खिलाफ लगातार संघर्ष करना पड़ा। हुमायूं की मृत्यु के बाद, अकबर मात्र 13 साल की उम्र में 1556 में दिल्ली के सिंहासन पर बैठे। उनके संरक्षक बैरम खान ने प्रारंभिक वर्षों में उनकी सहायता की और साम्राज्य को संगठित रखा। अकबर का राज्याभिषेक 1556 ई.में हुआ।

पानीपत की दूसरी लड़ाई और सत्ता का सुदृढ़ीकरण

अकबर के सिंहासन पर बैठते ही उनके साम्राज्य को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556) में आई, जहाँ अकबर और बैरम खान ने हेमू, एक अफगान सेनापति, को हराकर दिल्ली पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। 

इस जीत के साथ ही मुग़ल साम्राज्य की नींव मजबूत हुई और अकबर का साम्राज्य विस्तार का दौर शुरू हुआ।

अकबर (1556 - 1605)

1560 ई. तक अकबर ने बैरम खाँ के संरक्षण में शासन किया। बैरम खान को वकील (प्रधानमंत्री) नियुक्त किया गया। सिंहासन पर बैठेते ही अकबर ने बैरम खान की मदद से 1556 ई. में पानीपत के दूसरे युद्ध में राजा हेमू (विक्रमादित्य) को पराजित किया।

1561 ई..में अकबर ने बैरम खान के संरक्षण से मुक्त होकर अपने पहले सैनिक अभियान में मालवा के शासक बाजबहादुर को पराजित किया।

अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर और 1564 ई. में जजिया कर को समाप्त कर दिया।

1575 ई. के हल्दीघाटी के प्रसिद्ध युद्ध में अकबर के सेनापति राजा मानसिंह ने मेवाड के शासक महाराणा प्रताप को पराजित किया।

1575 ई. में अकबर ने आगरा से 36 किमी दूर फ़तेहपुर सीकरी नामक नगर की स्थापना की और उसमें प्रवेश द्वार के लिए बुलंद दरवाज़ा बनवाया।

बुलंद दरवाजा अकबर ने गुजरात जीतने के उपलक्ष्य में बनवाया था। अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी में इबादतखाने की स्थापना की थी।

1579 ई. में मजहर की घोषणा के बाद वह धार्मिक मामलों का भी प्रधान बन गया। 1583 ई. अकबर ने इलाही संवत जारी किया। 1584 ई. में हिजरी सन के प्रयोग को बंद कर सौर वर्ष का प्रचार किया गया।

अकबर, खलीफा के समान स्वयं ही खुतबा पढ़ा और जमीबोस (राजगद्दी के सामने जमीन चूमने की प्रथा) और सिज़दा (सम्राट के सामने झुककर अभिवादन करने की प्रथा) आरंभ की।

अकबर प्रतिदिन सुबह प्रजा को अपने महल के झरोखा दर्शन देता था। अकबर के दरवार में आने जाने की घोषणा नगाड़ा बजाकर की जाती थी ।

अकबर ने चौकी प्रथा और तस्लीम-ए-चौकी प्रथा चालू की अकबर ने सेना का संगठन मनसबदारी ब्यवस्था के आधार पर किया। अबुल फजल के अनुसार मनसबदारों की 66 श्रेणियां थीं। सबसे छोटा मनसब 10 का और अधिकतम 7000 का था।

अकबर ने मनसबदारों की 2 श्रेणियाँ बना दी थी।

1. जाट

2. सावर

जात के आधार पर प्रत्येक मनसबदार का पद व वेतन निश्चित किया गया। अकबर ने दास प्रथा को ख़त्म कर दिया। बहुविवाह को प्रतिबन्धित किया और विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया।

बाल विवाह को रोकने के लिए अकबर ने 16 वर्ष से कम आयु के बालक और 14 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह वर्जित कर दिया। विवाहों की वैधानिकता की जांच के लिए तुरबेग नामक अधिकारी की नियुक्ति हुई।

अकबर ने अंतरजातीय विवाह को भी प्रोत्साहन दिया।

राजपूतों में कन्या के जन्म पर उसकी हत्या कर दी जाती थी किंतु अकबर ने इस पर रोक लगा दिया। सती प्रथा को भी प्रतिबन्धित किया।

वैश्यों को नगर के एक अलग जगह पर निवास करने की आज्ञा प्रदान की गई और उस जगह का नाम शैतानपुरी रखा गया। अकबर के पुत्र सलीम के विद्रोह के कारण अकबर के अंतिम दिन दुख भरे हुये

अकबर का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

सैन्य विजय और साम्राज्य विस्तार

अकबर ने अपने शासनकाल में कई प्रमुख विजयों को हासिल किया। उन्होंने मालवा, गुजरात, बंगाल, कश्मीर और काबुल जैसी महत्वपूर्ण जगहों को अपने साम्राज्य में शामिल किया। उनके नेतृत्व में मुग़ल सेना ने न केवल भारत के उत्तर और मध्य क्षेत्र में विजय प्राप्त की, बल्कि दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को भी अपने अधीन किया।

धार्मिक सहिष्णुता और दीन-ए-इलाही

अकबर को उनकी धार्मिक सहिष्णुता और बहु-संस्कृतिकरण नीतियों के लिए जाना जाता है। उन्होंने सभी धर्मों को एक समान माना और उनके अनुयायियों के साथ अच्छा व्यवहार किया। 

अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया, जो गैर-मुस्लिमों पर लगाया जाता था। साथ ही, उन्होंने दीन-ए-इलाही नामक एक नया धर्म शुरू किया, जो विभिन्न धर्मों के सर्वोत्तम सिद्धांतों का संगम था। हालाँकि यह धर्म व्यापक स्तर पर नहीं फैल सका, लेकिन इससे अकबर की धर्मनिरपेक्ष सोच का पता चलता है।

नवरत्न: अकबर के नौ रत्न

अकबर के दरबार में नौ महान विद्वान थे, जिन्हें "नवरत्न" कहा जाता था। ये विद्वान कला, विज्ञान, साहित्य और राजनीति के क्षेत्र में बहुत दक्ष थे। इनमें बीरबल, तानसेन, अबुल फज़ल, राजा मान सिंह, और राजा टोडरमल जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इन सभी ने अकबर के शासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1. बीरबल
2. अबुल फज़ल
3. तानसेन
4. अब्दुर्रहीम खान-खाना
5. मानसिंह
6. राजा टोडरमल
7. फ़ैज़ी
8. हकीम
9. मुल्ला-दो-प्याजा

प्रशासनिक सुधार

अकबर ने प्रशासनिक ढाँचे में कई सुधार किए। उन्होंने भूमि सुधार की शुरुआत की और "मनसबदारी प्रणाली" को लागू किया, जिसके तहत अधिकारियों को उनके रैंक और कार्यक्षेत्र के आधार पर वेतन दिया जाता था। साथ ही, उन्होंने किसानों के लिए कई सुधार किए और लगान (कर) प्रणाली को पारदर्शी और सुसंगठित बनाया। उनकी नीतियों से साम्राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।

कलात्मक और सांस्कृतिक योगदान

अकबर के शासनकाल में भारतीय कला और संस्कृति ने भी नया आयाम प्राप्त किया। उन्होंने हिंदू और इस्लामिक स्थापत्य कला का मेल कराते हुए नई इमारतें बनवाईं, जिनमें फतेहपुर सीकरी, अकबर का मकबरा और आगरा का किला शामिल हैं। इसके अलावा, अकबर ने चित्रकला और संगीत को भी प्रोत्साहन दिया, जिसके कारण मुग़ल चित्रकला और शास्त्रीय संगीत का विकास हुआ।

व्यक्तिगत जीवन और उत्तराधिकार

अकबर की कई पत्नियाँ थीं, जिनमें जोधाबाई (राजकुमारी हरका बाई) का नाम विशेष रूप से प्रसिद्ध है। अकबर का पारिवारिक जीवन भी राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने हिंदू राजाओं के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करके साम्राज्य की स्थिरता को बढ़ाया। 1605 में अकबर की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जहांगीर ने सत्ता संभाली।

अकबर का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

अकबर

जन्म :15 अक्टूबर 1542 को सिंध के अमरकोट में राणा वीरसाल के घर में हुआ

पूरा नाम : जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर

पिता : हुमायूँ

माता : हमीदा बानो बेगम

राज्याभिषेक : 14 फरवरी 1556 को पंजाब के कालानौर (गुरुदासपुर) में बैरम खान द्वारा

जन्मविवाद : अकबर के जन्म की वास्तविक तिथि विवादास्पद है।

अबुल फज़ल और गुलबदन बेगम के अनुसार,
अकबर का जन्म 14 अक्टूबर 1542 को हुआ था। 

परंतु जौहर के अनुसार,

अकबर की जन्मतिथि 23 नवंबर 1542 थी।

आधुनिक इतिहास अकबर की जन्मतिथि 15 अक्टूबर 1542 मानते है

डिग्री : एकमात्र अनपढ़ मुगल शासक

जीवनी :अकबरनामा की रचना बादशाह अकबर के शासनकाल में अबुल फजल ने की थी।

ये मुगल इतिहास जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
इसके 3 भाग है

इसके पहले भाग में अमीर तैमूर से लेकर हुमायूँ तक मुगल शासकों के इतिहास का विस्तार किया गया है।

दूसरा और तीसरा भाग में 1602 ई. तक बादशाह अकबर के इतिहास का विस्तार किया गया है।

मृत्यु : 25-26 अक्टूबर 1605 ई. को अकबर की मृत्यु हो गई

उसे आगरा के निकट सिकंदरा में दफना दिया गया।

अकबर को अर्श-अर्शयानी (स्वर्ग में रहने वाला) कहा गया।

अकबर के समकालीन शासक

शासक - महारानी एलिजाबेथ

देश-इंग्लैंड

कार्यकाल- 1558-1603 ई

शासक - सम्राट हेनरी-4

देश- फ़्रांस

कार्यकाल- 1553-1610 ई

शासक - शाह अब्बास

देश- ईरान

कार्यकाल- 1588-1629 ई

शासक - जराइवान येविच

मूलनाम- इवानदि

देश-रूश

कार्यकाल - 1530 - 1584 ई

अकबर का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

अकबरकालीन महत्वपूर्ण घटनायें

1542 ई. - अकबर का जन्म

1556 ई. - राज्याभिषेक

1560 ई. - बैरम खाँ का पतन

1562 ई. - हरमदल के प्रभाव की समाप्ति व दास प्रथा का अंत

1563 ई. - तीर्थयात्रा कर का अन्त

1564 ई. - जजिया कर का अन्त

1567 ई. - मनसबदारी प्रथा प्रारम्भ

1571 ई. - फ़तेहपुर सीकरी की स्थापना व राजधानी बनाई गई
1573 - 1574 ई. - गुजरात विजय के बाद मनसबदारी प्रथा आरंभ

1574 ई. - दास प्रथा प्रारम्भ

1575 ई. - फ़तेहपुर सीकरी में इबादतखाना स्थापित

1578 ई. - इबादतखाना सभी धर्मों के लिए खोल दिया गया

1579 ई. - देहसाला प्रथा प्रारम्भ व मजहर की घोषणा

1580 ई. - साम्राज्य 12 सुबो में विभाजित

1582 ई. - दीन-ए-इलाही की घोषना व टोडरमल+ शाह मंसूर द्वारा दहसाला प्रथा लागू

1583 ई. - इलाही संवत की स्थापना

1584 ई. - गुजरात विद्रोह दबाने के कारण अब्दुर्रहीम को खानखाना की उपाधि दी

1605 ई. - अकबर की मृत्यु।

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FAQ
अकबर को किसने मारा था?

अकबर की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से 27 अक्टूबर 1605 को हुई थी। उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई और उन्हें पेचिश हो गई थी, जिसके चलते उनका निधन हुआ। उन्हें किसी ने मारा नहीं था।

अकबर ने कितने युद्ध लड़े?

अकबर ने अपने शासनकाल में 40 से अधिक युद्ध लड़े। इनमें प्रमुख युद्ध चित्तौड़ का युद्ध, हल्दीघाटी का युद्ध, और गुजरात विजय शामिल हैं। उन्होंने अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत पूरे भारत में विस्तार किया।

अकबर का जन्म कब हुआ था?

अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता हुमायूँ और माता हमीदा बानो बेगम थीं।

अकबर का शासन काल क्या था?

अकबर का शासन काल 1556 से 1605 तक रहा। उन्होंने 49 वर्षों तक भारत पर शासन किया और इस दौरान मुगल साम्राज्य को बेहद मजबूत और समृद्ध बनाया।

अकबर बीरबल की कहानी क्या थी?

अकबर और बीरबल की कहानियां बहुत प्रसिद्ध हैं। बीरबल अकबर के नवरत्नों में से एक थे और अपनी बुद्धिमानी के लिए जाने जाते थे। अकबर अक्सर बीरबल से कठिन सवाल पूछते और बीरबल हमेशा अपने चतुर जवाबों से उन्हें प्रभावित करते थे। ये कहानियां आज भी बच्चों को सुनाई जाती हैं।

अकबर की कितनी बेगम थी?

अकबर की कुल तीन प्रमुख बेगम थीं—रुकैया सुल्तान बेगम, सलीमा सुल्तान बेगम और मरियम-उज-ज़मानी (जोधाबाई)। इनके अलावा भी अकबर की कई अन्य पत्नियां थीं, जो विभिन्न रियासतों के साथ राजनीतिक गठबंधनों का हिस्सा थीं।

अकबर के पुत्र का नाम क्या है?

अकबर के प्रमुख पुत्र का नाम सलीम था, जो बाद में जहांगीर के नाम से मुगल साम्राज्य का सम्राट बना। उनके अन्य पुत्र मुराद और दानियाल थे, लेकिन सलीम सबसे प्रसिद्ध थे।

अकबर का इतिहास कब से कब तक था?

अकबर का इतिहास 1556 से 1605 तक रहा, जब उन्होंने पूरे भारत पर अपना शासन स्थापित किया और मुगल साम्राज्य को एक विशाल और शक्तिशाली शक्ति में बदल दिया। अकबर का युग भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है।

अकबर के नवरत्न कितने हैं?

अकबर के नवरत्न 9 थे। इनमें बीरबल, तानसेन, अबुल फजल, फैजी, राजा मान सिंह, राजा टोडरमल, मियां तानसेन, अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, और मुल्ला दो प्याजा शामिल थे। ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में बेहद प्रतिभाशाली थे।

अकबर का मकबरा कहां है?

अकबर का मकबरा उत्तर प्रदेश के सिकंदरा में स्थित है, जो आगरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। यह मकबरा अकबर के जीवन और शासनकाल का प्रतीक है और वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है।

अकबर के पिता का नाम क्या है?

अकबर के पिता का नाम हुमायूँ था, जो अकबर से पहले मुगल साम्राज्य के सम्राट थे। हुमायूँ की मृत्यु के बाद अकबर ने 1556 में सत्ता संभाली।

अकबर की धार्मिक नीति क्या है?

अकबर की धार्मिक नीति को 'दीन-ए-इलाही' के नाम से जाना जाता है। यह नीति हिंदू, इस्लाम, जैन, और अन्य धर्मों के तत्वों का संगम थी। अकबर ने सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाई और साम्राज्य में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दिया।

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