शेरशाह सूरी का इतिहास: मुग़ल साम्राज्य | भारत का मध्यकालीन इतिहास
शेरशाह सूरी एक महान अफगान शासक थे जिन्होंने भारत में अद्वितीय प्रशासनिक सुधार किए। जानें उनके जीवन, उपलब्धियों, सुधारों, और प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में इस विस्तृत लेख में।
शेरशाह सूरी
1. परिचय
जन्म
शेरशाह सूरी का जन्म 1472 ई. में नरनौल में हुआ।
नामकरण और मूल नाम
नामकरण : फरीद - शेर खान - शेरशाह
मूल नाम - फरीद
उनका असली नाम फ़रीद ख़ान था। उन्हें "शेरशाह" की उपाधि उस समय मिली जब उन्होंने एक शेर को अपने साहस के साथ मारा। यह उपाधि उनके नाम के साथ जुड़ गई, जो उनकी वीरता का प्रतीक बन गई।
पिता
शेरशाह के पिता हसन खान थे।
समकालीन कवि
शेरशाह सूरी के समकालीन कवि मलिक मोहम्मद जायसी थे।
राज्याभिषेक
10 जून 1540 ई. को आगरा में राज्याभिषेक हुआ।
जन्म विवाद
शेरशाह के जन्म की वास्तविक तिथि को लेकर कुछ विवाद हैं।
डॉ. कानूनगो के अनुसार शेरशाह का जन्म 1486 ई. में हुआ था। प्रो. सतीश चंद्र, अवध बिहारी पांडेय, आशीर्वादी लाल, श्रीवास्तव की मान्यता है की फरीद का जन्म 1472 ई. में हुआ था।
2. सूर वंश (1540 - 1555 ई.)
बिलग्राम के युद्ध ने हुमायूं के भाग्य का अंत कर दिया। इस युद्ध के परिणाम स्वरुप भारत में मुगलों की सत्ता समाप्ति की स्थिति में पहुंच गई तथा द्वितीय अफगान राज्य का मार्ग प्रशस्त हुआ जिसका संस्थापक शेरशाह सूरी था।
प्रथम अफगान साम्राज्य लोदी वंश था
शेरशाह सूरी ( शेर खां ) (1540 - 45 ई.)
1497 से 1518 ई. तक निरंतर 21 वर्ष तक फरीद (शेरशाह) ने अपने पिता की जागीर की देखभाल की और शासन का अनुभव प्राप्त किया। बहार खान लोहानी ने फरीद द्वारा शेर को मारने के उपरांत में शेर खान की उपाधि दी थी।
शेर खान ने हजरत-ए-आला की उपाधि ग्रहण की और दक्षिण बिहार का वास्तविक शासक बना।
1530 में शेरशाह ने चुनार के किलेदार ताज खान की विधवा पत्नी लाड़ मलिका से विवाह कर चुनार के किले पर अधिकार प्राप्त कर लिया।
1539 में चौसा के युद्ध में हुमायूं को पराजित करने के बाद शेरखान ने शेरशाह की उपाधि ग्रहण की।
22 मई 1545 ई. को कालिंजर पर आक्रमण के समय, तोप खाना फट जाने से शेरशाह की मृत्यु हो गई।
सड़कें व सराय
बंगाल में सोनार गांव से आगरा, दिल्ली होते हुए लाहौर व पेशावर तक यह मार्ग सड़क-ए-आजम कहलाती थी। इसे शेरशाह सूरी मार्ग भी कहा जाता था। इसे ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड ने ग्रांड ट्रंक रोड (G.T. Road) का नाम दिया।
4 मुख्य सड़कें
1. सोनारगांव (बंगाल) से पेशावर (पाकिस्तान) तक
2. आगरा से बुरहानपुर तक
3. आगरा से चित्तौड़ तक
4. लाहौर से मुल्तान तक
शेरशाह ने रोहतासगढ़ किला, दिल्ली का पुराना किला (दीनपनाह को तोड़कर) एवं उसके अंदर किला-ए-कुहना, सासाराम (बिहार) में स्वयं का मकबरा बनवाया।
कन्नौज नगर को पुनर्निमित कर शेरसूर नगर बसाया और पाटलिपुत्र को पटना के नाम से पुनः स्थापित किया।
मलिक मोहम्मद जायसी शेर शाह सूरी के समय के प्रसिद्ध कवि थे उन्होंने अनेक काव्यों पद्मावत, अखरावट व आखिरी कलाम की रचना की थी।
शेरशाह के उत्तराधिकारी
इस्लामशाह (सलीम) (1545 - 1553 ई.)
मई 1545 में शेरशाह ने अपनी मृत्यु के पूर्व ही अपने ज्येष्ठ पुत्र आदिल खान को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत कर दिया था। शेरशाह की मृत्यु के समय वह रणथंभौर में था।
शेरशाह का दूसरा पुत्र जलाल खान जिसने शेरशाह के साथ अनेक सैन्य अभियानों में भाग लिया था। (चुनार, गाैड़, तेलिया गढी़, चौसा, कन्नौज, रायसीन)।
27 मई 1545 को जलाल खान कालिंजर पहुंचा। वहीं पर उसी दिन अफगान सरदारों ने उसे सुल्तान घोषित कर दिया। और वह इस्लामशाह के नाम से गद्दी पर बैठा।
नवंबर 1533 ई. को इस्लामशाह की मृत्यु हो गई। उसके शव को सासाराम (बिहार) लाया गया तथा उसके पिता के मकबरे के निकट दफनाया गया।
तारीख-ए-दाऊदी का लेखक अब्दुल्ला इस्लामशाह के शासन की प्रशंसा किया था।
फिरोज शाह (1553 ई.)
इस्लाम शाह की मृत्यु के बाद सुल्तान के नाबालिग (12 वर्ष) पुत्र फिरोज की सुल्तान घोषित कर दिया। उसका राज्याभिषेक ग्वालियर में हुआ। केवल तीन दिनों का बादशाह बन सका।
मुबारिज खान ने सुल्तान की हत्या कर दी और स्वयं ही मुहम्मद आदिल के नाम से सुल्तान बना बैठा।
मुहम्मद आदिल शाह (1553 - 1557 ई.)
फिरोज शाह की हत्या कर मुबारिज खान ने सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह की पदवी धारण कर गद्दी पर बैठा। आदिल शाह अदाली अर्थात मूर्ख के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
उसने हेमू नामक एक बनिया को अपने प्रशासन का संपूर्ण भार सौंप दिया था।
आदिल शाह के चचेरे भाई इब्राहिम शाह ने विद्रोह कर दिल्ली व आगरा पर अधिकार कर लिया। पंजाब में शेरशाह के भतीजे शहजादा अहमद खान ने विद्रोह किया तथा सिकंदर शाह सूर की पदवी धारण कर 1200 घुडसवारों के साथ आगरा की ओर प्रस्थान किया। इब्राहिम शाह ने उसका मुकाबला किया किंतु पराजित हुआ और संभल की ओर भाग गया। इस प्रकार दिल्ली और आगरा पर सिकंदर शाह सूर का अधिकार हो गया।
22 जून 1555 ई को सरहिंद नामक स्थल पर दोनों के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध में अफगान सेना का नेतृत्व सुल्तान सिकंदर सूर एवं मुगल सेना का नेतृत्व बैरम खान ने किया।
जिसमें सिकंदर शाह पराजित हुआ। और शिवालिक की पहाड़ियों में शरण लिया वहां से पुनः वह बंगाल गया और वही उसकी मृत्यु हो गई। और पुनः मुगलों की वापसी हुई।
भारत में सर्वप्रथम शेरशाह सूरी के शासनकाल (1540 - 1545 ई.) में रुपया मुद्रा के रूप में प्रयुक्त हुआ था।
उन्होंने भूमि की माप और उर्वरता के आधार पर कर प्रणाली लागू की, जो किसानों के लिए लाभकारी थी और यह प्रणाली बाद में मुगल साम्राज्य में भी अपनाई गई।
शेरशाह ने एक स्थिर मुद्रा प्रणाली लागू की। उनके द्वारा जारी किए गए चांदी के सिक्के (रुपया) पूरे भारत में प्रचलित रहे।
पूरे साम्राज्य में डाक व्यवस्था शुरू की, जिसमें सराय और सुरक्षा के लिए चौकियाँ बनाई गईं।
शेरशाह सूरी न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थे। उनके द्वारा स्थापित सुधार आज भी उनकी दूरदर्शिता को दर्शाते हैं। उनका शासनकाल छोटा होने के बावजूद, उनकी प्रशासनिक व्यवस्था और भू-राजस्व सुधारों ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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शेरशाह सूरी मार्ग कहां से कहां तक है?
शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित ग्रांड ट्रंक रोड का विस्तार बंगाल से लेकर अफगानिस्तान तक है। यह मार्ग भारत की प्राचीनतम सड़कों में से एक है।
शेरशाह सूरी की पत्नी कौन थी?
शेरशाह सूरी की पत्नी का नाम "रानी दुर्गावती" था।
शेरशाह सूरी की प्रशासनिक व्यवस्था का वर्णन करें।
शेरशाह सूरी ने एक केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली लागू की, जिसमें राज्यों को अलग-अलग प्रांतों में बांटा गया और उन पर प्रशासनिक अधिकारियों का नियुक्तिकरण किया गया। उनकी व्यवस्था किसानों और व्यापारियों के हित में थी।
शेरशाह सूरी का मकबरा कहां है?
शेरशाह सूरी का मकबरा बिहार के सासाराम में स्थित है।
शेरशाह सूरी के सुधारों का वर्णन कीजिए।
शेरशाह सूरी ने प्रशासनिक सुधार, भूमि मापन और कर प्रणाली, मुद्रा प्रणाली, और डाक व्यवस्था जैसे कई सुधार किए।
शेरशाह सूरी का जन्म कहां हुआ था?
शेरशाह सूरी का जन्म 1486 में सासाराम, बिहार में हुआ था।
शेरशाह सूरी की उपलब्धियों का वर्णन करें।
शेरशाह सूरी की सबसे बड़ी उपलब्धि उनका सुधारात्मक शासन था, जिसमें भू-राजस्व सुधार, डाक व्यवस्था, सड़क निर्माण, और मुद्रा प्रणाली शामिल है।
शेरशाह सूरी की भू-राजस्व व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
शेरशाह सूरी की भू-राजस्व व्यवस्था में भूमि माप के आधार पर कर निर्धारण होता था, जिससे किसानों पर कर का बोझ कम होता था। यह एक निष्पक्ष प्रणाली थी, जिसे बाद में अकबर ने भी अपनाया।
शेरशाह सूरी कौन था?
शेरशाह सूरी एक अफगान शासक थे जिन्होंने मुगल सम्राट हुमायूँ को हराया और सूरी साम्राज्य की स्थापना की। उनका असली नाम फ़रीद खान था।
शेरशाह सूरी का शासन काल कब था?
शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 तक शासन किया।
शेरशाह सूरी का मकबरा किसने बनवाया था?
शेरशाह सूरी का मकबरा उनके उत्तराधिकारी ने 1545 में उनके सम्मान में बनवाया था।
शेरशाह सूरी के पिता का नाम क्या था?
शेरशाह सूरी के पिता का नाम "हसन खान" था।
शेरशाह सूरी का जन्म कहां हुआ था?
शेरशाह सूरी का जन्म सासाराम, बिहार में हुआ था।
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