भारत ने मालदीव को कांडला सागर और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह को इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

भारत ने मालदीव को कांडला सागर और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह को इस्तेमाल करने की अनुमति दी: भारत और मालदीव के बीच अच्छे रिश्ते क्यों जरूरी हैं ?

भारत ने मालदीव को कांडला और विशाखापट्टनम बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति दी है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। भारत-मालदीव बेहतर रिश्तों के महत्व और फायदे जानें।

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए मालदीव को दो अतिरिक्त बंदरगाहों से आवश्यक वस्तुओं के निर्यात करने की अनुमति दे दी है। सरकार ने कहा कि कांडला और विशाखापत्तनम बंदरगाहों से मालदीव सामानों का निर्यात कर सकता है।

भारत ने मालदीव को कांडला सागर और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह को इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

केंद्र सरकार ने 1 अगस्त 2024 को मालदीव को दो अतिरिक्त बंदरगाहों के प्रयोग की अनुमति दी है। अब मालदीव गुड्स एक्सपोर्ट के लिए कांडला सागर और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकेगा।

कांडला और विशाखापट्टनम सीमा शुल्क समुद्री बंदरगाहों को इंपोर्टेड गुड्स के एक्सपोर्ट के लिए उपयोग में लिया जाएगा। कांडला बंदरगाह भारत के गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।

कांडला देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है जिसकी जिम्मेदारी कांडला पोर्ट ट्रस्ट के पास है। इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के लिए यह बंदरगाह पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है।

परेशानियाँ: भारत और मालदीव के बीच अच्छे संबंधों की जरूरत क्यों है?

भारत और मालदीव के बीच संबंध रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा कारणों से महत्वपूर्ण हैं , न सिर्फ भौगोलिक नजदीकी से। 

दोनों देशों के बीच 700 किमी का समुद्री क्षेत्र है, जो मालदीव को हिंद महासागर की प्रमुख सड़कों से जोड़ता है। भारत की चिंता इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से बढ़ी है।

मालदीव भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख देश है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों का हिस्सा है। 

भारत की समुद्री सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है अगर मालदीव भारत के बजाय चीन या अन्य देशों की ओर झुकता है। भारत को मालदीव के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहिए ताकि क्षेत्र में संतुलन और स्थिरता बनी रहें।

भारत के सहयोग के बिना मालदीव भी आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता। यही कारण है कि भारत ने मालदीव को हाल ही में विशाखापट्टनम सागर बंदरगाहों और कांडला सागर बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति दी, जिससे दोनों देशों का सहयोग और मजबूत हुआ है।

Stress: भारत की रणनीतिक चिंता और चीन का बढ़ता प्रभाव

पिछले कुछ वर्षों में, चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए 'String of Pearls' नीति लागू की है, जिसके तहत वह कई देशों में बंदरगाहों और सैन्य अड्डे बना रहा है। इस नीति में मालदीव भी शामिल है। चीन ने मालदीव में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने से भारत को मुश्किल हो गया है।

भारत ने मालदीव को कांडला सागर और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह को इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

2018 में अब्दुल्ला यामीन के मालदीव में कार्यकाल के दौरान, चीन के साथ संबंधों में सुधार हुआ। भारत को चिंता हुई कि मालदीव चीन की ओर अधिक झुकाव कर रहा है क्योंकि चीन ने इस समय कई बड़े परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है। इससे भारत और मालदीव के बीच तनाव बढ़ा।

2018 में इब्राहीम मोहम्मद सोलिह के राष्ट्रपति बनने के बाद, हालांकि, भारत के साथ संबंध फिर से सुधर गए। सोलिह ने 'इंडिया फर्स्ट' नीति लागू की, जिससे दोनों देशों में सहयोग और भरोसा बढ़ा। भारत ने इस नीति के तहत मालदीव को आर्थिक, सुरक्षा और विकासात्मक सहायता दी। लेकिन इस बीच, चीन ने भी दबाव डाला।

चीन और मालदीव के बीच बढ़ते संबंधों को देखते हुए भारत ने मालदीव को रणनीतिक रूप से कांडला और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति दी है। इससे भारत अपनी सुरक्षा नीति को मजबूत कर सकेगा और मालदीव को अपनी व्यापारिक क्षमता बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

निवारण: भारत और मालदीव के बीच बंदरगाहों का उपयोग

भारत ने मालदीव को कांडला और विशाखापट्टनम बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति दी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाता है। यह व्यापारिक सहयोग और सुरक्षा सहयोग भी है।

भारत का सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण बंदरगाह कांडला सागर बंदरगाह है, जो गुजरात में है। यह बंदरगाह मालदीव की व्यापारिक क्षमता को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह देश को व्यापार के लिए नए रास्ते देता है। 

विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह, दूसरी ओर, भारत के पूर्वी तट पर है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। मालदीव के लिए यह बंदरगाह हिंद महासागर के पूर्वी भाग तक पहुंच देता है, जो बहुत फायदेमंद हो सकता है।

भारत को हिंद महासागर में अपने सामरिक और सुरक्षा हितों को सुरक्षित रखने का अवसर मिलेगा, जबकि मालदीव को इन बंदरगाहों का उपयोग आर्थिक विकास में मदद करेगा। यह सहयोग भी दोनों देशों के बीच विश्वास और पारस्परिक सहयोग को मजबूत करेगा, जो भविष्य में मजबूत होगा।

इस तरह का सहयोग भारत और मालदीव के बीच महत्वपूर्ण है और दोनों देशों की सुरक्षा और विकास में लाभकारी है।

भारत ने मालदीव को कांडला सागर और विशाखापट्टनम सागर बंदरगाह को इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

मालदीव के साथ भारत के मजबूत संबंधों के लाभ

1. धन सहयोग:

मालदीव का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार भारत है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 450 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत का महत्वपूर्ण योगदान था।

2. रक्षा में सहयोग:

मालदीव को भारत ने तटरक्षक जहाज और अन्य सुरक्षा उपकरण दिए हैं। इससे हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा और मालदीव की सुरक्षा मजबूत हुई है।

3. पर्यटन और परिवर्तन:

भारतीय निवेश मालदीव के पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण है। मालदीव की अर्थव्यवस्था हर साल बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों से लाभान्वित होती है।

4. सरकारी सहयोग:

मालदीव की "इंडिया फर्स्ट" नीति ने दोनों देशों की राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया है। यह नीति मालदीव के विकास और स्थिरता का भारत का समर्थन करती है।
भारत ने मालदीव को कांडला और विशाखापट्टनम बंदरगाह का इस्तेमाल क्यों करने दिया?

भारत ने मालदीव को कांडला और विशाखापट्टनम बंदरगाह का इस्तेमाल करने की अनुमति दी है ताकि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ सके और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके।

भारत और मालदीव के बीच अच्छे रिश्तों का क्या महत्व है?

भारत और मालदीव के बीच अच्छे रिश्ते समुद्री सुरक्षा, व्यापार, और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति के लिए मालदीव का सहयोग जरूरी है।

कांडला सागर बंदरगाह मालदीव के लिए कैसे फायदेमंद है?

कांडला सागर बंदरगाह मालदीव के लिए एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग प्रदान करता है, जिससे मालदीव को आर्थिक लाभ होगा और उसकी व्यापारिक क्षमता बढ़ेगी।

मालदीव में चीन का प्रभाव क्यों चिंता का विषय है?

चीन का 'String of Pearls' रणनीति के तहत मालदीव में निवेश करना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे हिंद महासागर में चीन का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है।

मालदीव की 'इंडिया फर्स्ट' नीति क्या है?

मालदीव की 'इंडिया फर्स्ट' नीति का उद्देश्य भारत के साथ मजबूत सहयोग बनाए रखना है, जिससे मालदीव की सुरक्षा और विकास में मदद मिल सके और दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़े।

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