काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान बना देश का दूसरा तितली विविधता केंद्र, 446 प्रजातियां मौजूद

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान के बाद काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान बना देश का दूसरा तितली विविधता केंद्र, 446 प्रजातियां मौजूद 

"नामदफा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को तितली विविधता केंद्र के रूप में मान्यता मिलने से भारत की जैव विविधता को बढ़ावा मिला है। जानें इन उद्यानों की विशेषताएं, तितली प्रजातियां, और संरक्षण के महत्वपूर्ण कदम।"

आइए इन उद्यानों और तितली विविधता केंद्र के महत्व को विस्तार से समझते हैं।

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान के बाद काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान बना देश का दूसरा तितली विविधता केंद्र, 446 प्रजातियां मौजूद

भारत की जैव विविधता को लेकर देश भर में विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्यों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। हाल ही में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को "तितली विविधता केंद्र" के रूप में मान्यता मिली है, जो इस अद्वितीय संरक्षण और संरक्षण प्रयासों का प्रतीक है। 

इससे पहले नामदफा राष्ट्रीय उद्यान को भारत का पहला तितली विविधता केंद्र घोषित किया गया था। 

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान (Namdapha National Park)

स्थान: अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में स्थित नामदफा राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे बड़े और जैव विविधता से भरपूर संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यह लगभग 1,985 वर्ग किमी में फैला हुआ है और समुद्र तल से लगभग 200 मीटर से 4,500 मीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है।

महत्त्व: नामदफा राष्ट्रीय उद्यान को भारत का पहला "तितली विविधता केंद्र" घोषित किया गया है। इसका कारण यहां पर पाई जाने वाली विभिन्न तितली प्रजातियों की समृद्ध विविधता है। यहां लगभग 600 तितली प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इसे देश का एक विशेष स्थल बनाती हैं। 

इसके अलावा, नामदफा अपने दुर्लभ और संकटग्रस्त जीवों जैसे हूलॉक गिबन, बादल तेंदुआ, और हिम तेंदुआ के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वनों और पर्यावरणों का मिश्रण है, जैसे कि उष्णकटिबंधीय वर्षावन, शीतोष्ण वन, और अल्पाइन वन, जो तितलियों के लिए उपयुक्त पर्यावरण प्रदान करते हैं।

इतिहास और संरक्षण प्रयास: 

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान को 1983 में एक संरक्षित टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया गया था। इस उद्यान की स्थापना का उद्देश्य यहां की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को संरक्षित करना था। अरुणाचल प्रदेश की स्थानीय जनजातियां भी इस उद्यान के संरक्षण में सहायक रही हैं, जिनकी पारंपरिक मान्यताएं और जीवनशैली प्रकृति के संरक्षण पर आधारित हैं।

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काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park)

स्थान: असम राज्य के गोलाघाट और नागांव जिलों में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रमुख संरक्षित क्षेत्र है। यह लगभग 430 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका अधिकांश हिस्सा ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ क्षेत्रों में आता है।

महत्त्व: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को अब भारत का दूसरा "तितली विविधता केंद्र" घोषित किया गया है। यहां 446 तितली प्रजातियों का पाया जाना इसे एक समृद्ध जैव विविधता स्थल बनाता है। काजीरंगा अपने एक-सींग वाले गैंडे की सबसे बड़ी आबादी के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन अब तितली विविधता के मामले में भी इसका विशेष महत्त्व स्थापित हो चुका है। यह उद्यान उष्णकटिबंधीय नम वनों, घास के मैदानों और आर्द्रभूमियों का मिश्रण है, जो तितलियों के विविध आवास प्रदान करते हैं।

इतिहास और संरक्षण प्रयास: 

काजीरंगा 1905 में एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया था और 1985 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ। यहां के वन्यजीव और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए असम सरकार और भारतीय वन्यजीव संस्थान के कई प्रयासों के परिणामस्वरूप इस उद्यान को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है।

तितली विविधता केंद्र (Butterfly Diversity Centre)

परिचय: तितली विविधता केंद्र एक ऐसा स्थल होता है जहां तितलियों की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित और शोध के लिए रखा जाता है। इन केंद्रों का उद्देश्य तितलियों के प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखना, उनके जीवन चक्र और व्यवहार को समझना, और उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाना है। 

तितलियां एक महत्वपूर्ण जैविक संकेतक के रूप में काम करती हैं, जो किसी क्षेत्र की पर्यावरणीय गुणवत्ता को दर्शाती हैं। उनकी उपस्थिति पर्यावरण के स्वास्थ्य को इंगित करती है।

महत्त्व: तितली विविधता केंद्र बनाने का मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों की जैव विविधता को संरक्षित करना है जहां तितलियों की विशेष प्रजातियां पाई जाती हैं। 

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान के बाद काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान बना देश का दूसरा तितली विविधता केंद्र, 446 प्रजातियां मौजूद

इन केंद्रों में वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् तितलियों की प्रजातियों का अध्ययन करते हैं, जिससे उन्हें संरक्षण के लिए उचित रणनीतियाँ विकसित करने में मदद मिलती है। तितलियों का संरक्षण वन्यजीव पर्यटन को भी बढ़ावा देता है, जिससे स्थानीय समुदायों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।

तितलियों का इतिहास और महत्व

तितलियों का इतिहास पर्यावरण और मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये फूलों का परागण करने में सहायक होती हैं, जिससे कृषि और वनों की उत्पादकता में वृद्धि होती है। इसके अलावा, तितलियां खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे विभिन्न पक्षियों और अन्य प्राणियों का आहार होती हैं।

तितलियों की प्रजातियों का अध्ययन उनके आवासीय क्षेत्रों में पर्यावरणीय बदलावों का संकेतक होता है। उनके जीवन चक्र में चार चरण होते हैं - अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क तितली। इनके संरक्षण से पर्यावरण के सतत विकास में भी सहायता मिलती है।

भविष्य की दिशा

नामदफा और काजीरंगा जैसे राष्ट्रीय उद्यानों को तितली विविधता केंद्र के रूप में घोषित करना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे न केवल तितलियों का संरक्षण होगा बल्कि पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा। इन उद्यानों में पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय समुदायों को रोजगार भी उपलब्ध होगा।

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान के बाद काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान बना देश का दूसरा तितली विविधता केंद्र, 446 प्रजातियां मौजूद

कुल मिलाकर, नामदफा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यानों को तितली विविधता केंद्र के रूप में मान्यता मिलने से तितलियों की जैव विविधता और उनके संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके साथ ही, यह भारत की जैव विविधता के महत्व को विश्व स्तर पर दर्शाने का एक सशक्त माध्यम भी बन गया है।

FAQ

भारत का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है?

भारत का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान केबुल लामजाओ नेशनल पार्क है, जो मणिपुर राज्य में स्थित है। यह पार्क लोकतक झील पर फैला हुआ है और अपने तैरते हुए वनस्पति द्वीपों के लिए प्रसिद्ध है। यहां संगाई हिरण (ब्रो-एंटलर्ड डियर) की दुर्लभ प्रजाति भी पाई जाती है।

नेओरा घाटी राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?

नेओरा घाटी नेशनल पार्क पश्चिम बंगाल के कालिम्पोंग जिले में स्थित है। यह क्षेत्र अपनी घने जंगलों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, जहां लाल पांडा और हिमालयी वन्यजीव प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। यह पार्क हिमालय के निकटस्थ क्षेत्रों में अवस्थित है और पर्यावरण प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है।

मणिपुर में स्थित दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ पार्क कौन सा है?

मणिपुर में स्थित दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ पार्क केबुल लामजाओ नेशनल पार्क है। यह अद्वितीय उद्यान लोकतक झील पर बना हुआ है और तैरते हुए वनस्पति, जिन्हें "फुमडी" कहा जाता है, के कारण प्रसिद्ध है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा संरक्षित क्षेत्र है जो पानी पर तैरता है।

गेंडा अभ्यारण्य किस राज्य में स्थित है?

गेंडा अभ्यारण्य, जिसे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है, असम राज्य में स्थित है। यह उद्यान विश्वभर में एक-सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी के लिए प्रसिद्ध है और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहां तितलियों की विविधता भी काफी अधिक है।

सिरोही राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?

सिरोही राष्ट्रीय उद्यान मणिपुर राज्य में स्थित है। यह उद्यान दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए जाना जाता है, जिसमें सिरोही नामक पर्वतीय वनस्पति और जीवों का निवास स्थान है।

लोकचाओं वन्यजीव अभ्यारण्य किस राज्य में स्थित है?

लोकचाओं वन्यजीव अभ्यारण्य मणिपुर राज्य में स्थित है और यह राज्य के जैव विविधता से भरपूर संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यह अभ्यारण्य इम्फाल नदी के किनारे स्थित है और घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहाँ कई दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे कि संगाई हिरण और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ।

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