Somnath Temple: सोमनाथ मंदिर के पास बना रखी थी दरगाह-मस्जिद, 58 बुलडोजरों ने साफ कर दिया 102 एकड़ का इलाका
सोमनाथ मंदिर के पास मस्जिद और दरगाह को हटाने की घटना के साथ जानिए सोमनाथ मंदिर का इतिहास, इसके निर्माण से लेकर इसके विध्वंस और पुनर्निर्माण तक की पूरी जानकारी, SSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य।
हालात ऐसे हो गए कि इस विशाल सरकारी जमीन पर पचास से ज्यादा इमारतें और धार्मिक स्थलों को तैयार कर लिया गया था. लेकिन सोमनाथ मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के मकसद से शासन और प्रशासन ने इस जमीन पर बड़ा अभियान चलाया और पूरे अवैध कब्जे को जमींदोज कर दिया.
सोमनाथ मंदिर के पास मस्जिद-दरगाह हटाई गई, 58 बुलडोजरों ने 102 एकड़ का इलाका साफ किया – जानिए सोमनाथ मंदिर का इतिहास (SSC के लिए महत्वपूर्ण जानकारी)
देश का सबसे बड़ा अतिक्रण हटाओ अभियान ! देर रात शुरू हुआ ये ऑपरेशन दिन में भी जारी रहा. इस अभियान में 58 बुलडोजर, सैंकड़ों ट्रैक्टर और डंपर लगाए गए. सुरक्षा के लिए पुलिस के 1400 जवानों के साथ 102 एकड़ जमीन को खाली करने की सबसे बड़ी कार्रवाई की गई.
एक तरफ देश के कोने कोने में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ शासन और प्रशासनों का सख्त एक्शन जारी है तो जमीन पर कब्जे को बरकरार रखने के लिए भीड़तंत्र का सहारा भी लिया जा रहा है. शुक्रवार देर रात सोमनाथ में भी ऐसा ही कुछ हुआ.
हाल ही में सोमनाथ मंदिर के पास बनी मस्जिद और दरगाह को हटाया गया, जिसमें 102 एकड़ का इलाका साफ किया गया। यह घटना काफी चर्चा में रही क्योंकि 58 बुलडोजरों का इस्तेमाल कर इस इलाके को मुक्त किया गया। सोमनाथ मंदिर भारत के प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है, और यह घटना उसी के पास हुई है।
सोमनाम मंदिर की कब्जा ली थी 103 एकड़ जमीन
देश के प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंग में से एक गुजरात के सोमनाथ मंदिर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर सरकारी जमीन पर बने अवैध निर्माणों को ढहाने के लिए पुलिस और प्रशासन का अमला पहुंचा तो भारी भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई.
इस अतिक्रमण हटाओ अभियान में 9 धार्मिक स्थलों को गिराया गया. साथ ही 45 रिहायशी इमारतों को भी जमींदोज किया गया. अतिक्रमण को हटाकर 102 एकड़ जमीन खाली करवाई गई, जिसकी अनुमानित कीमत 320 करोड़ रुपये बताई गई है.
नोटिस के बावजूद खाली नहीं की गई थी भूमि- डीएम
जिले के डीएम डीडी जडेजा ने बताया कि सोमनाथ में इस अवैध अतिक्रमण को खाली करवाने के लिए प्रशासन की तरफ से बहुत पहले नोटिस जारी कर दिया गया था. लेकिन उसके बाद भी जमीन को खाली नहीं किया गया.
गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद और दरगाह को हटाने की प्रक्रिया की गई। यह जमीन विवाद का विषय बनी थी और अदालत के आदेश के बाद इसे साफ किया गया। 58 बुलडोजरों के इस्तेमाल से 102 एकड़ का क्षेत्र खाली किया गया।
यह घटना तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब इसे सोमनाथ मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के साथ जोड़ा जाता है, क्योंकि यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
सोमनाथ में भी शुरू होना है कॉरिडोर बनाने का काम
आपको बता दें कि उज्जैन कॉरिडोर की तरह सोमनाथ में भी कोरिडोर बनना है, जिसके लिए केन्द्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. सोमनाथ मंदिर के विकास के लिए अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है. ऐसे में इस डिमोलिशन के बाद कॉरिडोर के काम में तेजी आने की संभावना है.
सोमनाथ मंदिर का इतिहास:
प्राचीन काल:
सोमनाथ मंदिर को 'भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग' के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंद्र देव (सोमराज) ने करवाया था, जो भगवान शिव के भक्त थे। प्राचीन काल में इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।
विध्वंस और पुनर्निर्माण:
सोमनाथ मंदिर ने कई बार विध्वंस और पुनर्निर्माण का सामना किया। सबसे प्रमुख आक्रमण 1026 में महमूद गजनी द्वारा किया गया था, जिसने मंदिर को लूटकर नष्ट कर दिया। इसके बाद कई बार मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त किया गया और बार-बार इसे पुनर्निर्मित किया गया।
1026: महमूद गजनी ने मंदिर पर हमला किया और उसकी सम्पत्तियों को लूटा।
1300: दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर को फिर से नष्ट किया।
1700: मुगल शासक औरंगजेब ने इसे फिर से ध्वस्त किया।
स्वतंत्रता के बाद पुनर्निर्माण:
सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर शुरू किया गया। 1951 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसका उद्घाटन किया। वर्तमान सोमनाथ मंदिर पूरी तरह से आधुनिक निर्माण शैली में है, जो समुद्र के किनारे स्थित एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है।
SSC के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:
1. प्रथम ज्योतिर्लिंग: सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है।
2. महमूद गजनी का आक्रमण: 1026 में गजनी ने मंदिर को लूटा और ध्वस्त किया।
3. पुनर्निर्माण: सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 में पुनर्निर्माण की योजना बनाई।
4. भौगोलिक स्थिति: यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में, अरब सागर के तट पर स्थित है।
5. अद्वितीय स्थापत्य शैली: वर्तमान मंदिर आधुनिक स्थापत्य शैली का उदाहरण है।
सोमनाथ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय इतिहास में अनेक उतार-चढ़ाव का गवाह भी रहा है। इसके साथ जुड़ी हालिया घटनाएं भी हमें इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाती हैं। यह घटना, जिसमें मस्जिद और दरगाह को हटाया गया, सोमनाथ मंदिर के आसपास की ऐतिहासिक जमीन को लेकर नई बहस छेड़ती है।
सोमनाथ मंदिर के पास मस्जिद-दरगाह हटाई गई, 58 बुलडोजरों ने 102 एकड़ का इलाका साफ किया – जानिए सोमनाथ मंदिर का इतिहास (SSC के लिए महत्वपूर्ण जानकारी)
सोमनाथ मंदिर
1. प्रारंभिक निर्माण और स्थापना:
स्थापना: सोमनाथ मंदिर को 'सोमराज' चंद्र देवता द्वारा स्थापित किया गया था।
प्रथम ज्योतिर्लिंग: यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है।
स्थान: गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल शहर के पास अरब सागर के किनारे स्थित है।
2. प्राचीन निर्माण:
मूल निर्माण काल: मंदिर का मूल निर्माण प्राचीन काल में माना जाता है, जिसका सटीक समय ज्ञात नहीं है। इसकी स्थापना पौराणिक काल में हुई मानी जाती है।
वेदों में उल्लेख: सोमनाथ मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में मिलता है।
3. सोमनाथ मंदिर के प्रमुख आक्रमण और विध्वंस:
पहला आक्रमण (1026 ई.):
हमलावर: महमूद गजनी, गजनी का शासक।
कारण: मंदिर की अत्यधिक संपत्ति और धन।
परिणाम: गजनी ने मंदिर को लूटा, मूर्तियों को तोड़ा और सम्पत्ति को अपने साथ ले गया।
दूसरा आक्रमण (1297-1300 ई.):
हमलावर: अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति उलुग खान।
कारण: मंदिर की संपत्ति और आक्रमण नीति।
परिणाम: सोमनाथ मंदिर को फिर से नष्ट किया गया।
तीसरा आक्रमण (1394 ई.):
हमलावर: गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह प्रथम।
परिणाम: एक बार फिर मंदिर को लूटा और ध्वस्त किया गया।
चौथा आक्रमण (1451 ई.):
हमलावर: गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा।
परिणाम: मंदिर को फिर से नष्ट किया गया।
पांचवां आक्रमण (1706 ई.):
हमलावर: मुगल सम्राट औरंगजेब।
परिणाम: मंदिर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया और मुस्लिम वास्तुकला का हिस्सा बना दिया गया।
4. सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण:
1947-1951 ई.:
पुनर्निर्माण: भारत की स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया।
अन्य योगदानकर्ता: के.एम. मुंशी ने भी इस पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उद्घाटन: 1951 में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा नए सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया गया।
5. आर्किटेक्चर (वास्तुकला):
शैली: वर्तमान सोमनाथ मंदिर का निर्माण चालुक्य शैली में हुआ है।
प्रमुख विशेषता: इसका शिखर 155 फीट ऊंचा है और इसमें 7 मंजिलें हैं।
नक्काशी: मंदिर की दीवारों पर अद्वितीय नक्काशी और मूर्तिकला का काम है।
स्थान: मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है, जिससे इसका दृश्य अत्यधिक भव्य होता है।
6. सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के चरण:
पहला पुनर्निर्माण: महमूद गजनी द्वारा मंदिर के विध्वंस के बाद राजा भीमदेव और राजा भोज द्वारा 1026 ई. में पुनर्निर्मित किया गया।
दूसरा पुनर्निर्माण: अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1300 ई. में किए गए विध्वंस के बाद।
अंतिम पुनर्निर्माण: भारत की स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में 1951 में।
7. सोमनाथ मंदिर के विध्वंस की कुल घटनाएं:
कुल विध्वंस: मंदिर को ऐतिहासिक रूप से 5 बार प्रमुख रूप से नष्ट किया गया।
8. पुनर्निर्माण की कुल घटनाएं:
कुल पुनर्निर्माण: मंदिर को 6 बार पुनर्निर्मित किया गया।
9. प्रमुख तथ्य (SSC के लिए महत्वपूर्ण):
सोमनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है।
इसका प्रथम विध्वंस 1026 में महमूद गजनी द्वारा किया गया।
मंदिर का अंतिम पुनर्निर्माण 1951 में स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा किया गया।
सोमनाथ मंदिर की स्थापत्य शैली चालुक्य वास्तुकला पर आधारित है।
यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण विशेष रूप से लोकप्रिय है।
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