भारत ने अमेरिकी सैन्य ताकत को बढ़ावा देने के लिए 32,000 करोड़ रुपये के प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर हस्ताक्षर किए: भारतीय सेना को बड़ी मजबूती
भारत और अमेरिका के बीच 32,000 करोड़ रुपये की मेगा डिफेंस डील फाइनल हो गई है, जिसके तहत भारत 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा।
इनमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को, जबकि वायु सेना और थल सेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे। यह कदम भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
भारत-US के बीच 32,000 करोड़ की मेगा डिफेंस डील: भारतीय सेना को मिलेंगे 31 प्रीडेटर ड्रोन
भारत ने हाल ही में अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए लगभग 32,000 करोड़ रुपये (लगभग 4 अरब डॉलर) के ऐतिहासिक सौदे पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा भारतीय सेना की निगरानी और युद्ध क्षमताओं में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है, विशेष रूप से चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के संदर्भ में।
इस महत्वपूर्ण सौदे से भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक तकनीक के साथ मजबूत किया जा सकेगा, जिससे सीमा पर सुरक्षा को लेकर उनकी सतर्कता और सक्रियता बढ़ेगी।
प्रीडेटर ड्रोन: क्या हैं खासियत ?
प्रीडेटर ड्रोन, जिन्हें "MQ-9B रीपर" के नाम से भी जाना जाता है, अत्याधुनिक निगरानी और आक्रमण क्षमताओं से लैस हैं। ये ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं और भारी मात्रा में हथियारों का संचालन कर सकते हैं।
क्यों खास हैं MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन?
1. उन्नत तकनीक: यह ड्रोन लंबी दूरी तक निगरानी, लक्ष्य साधना और हमले की क्षमता रखते हैं। इससे भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमताएं बढ़ेंगी।
2. हिंद महासागर में सुरक्षा: भारतीय नौसेना इन ड्रोन का उपयोग हिंद महासागर क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए करेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे इस क्षेत्र की शांति की सबसे बड़ी गारंटी बताया।
3. मल्टी-सर्विस उपयोग: इन ड्रोन का उपयोग नौसेना, वायुसेना और थल सेना तीनों के द्वारा किया जाएगा, जिससे भारत की सुरक्षा शक्ति व्यापक रूप से बढ़ेगी।
4. मेंटेनेंस फैसिलिटी: ड्रोन के रखरखाव के लिए भारत में ही मेंटेनेंस फैसिलिटी बनाई जाएगी, जिससे ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ेगी और लागत कम होगी।
5. लंबी उड़ान अवधि: ये ड्रोन लगातार 24 घंटे से अधिक समय तक हवा में रह सकते हैं, जिससे दूर-दराज के इलाकों की निगरानी संभव होती है।
6. उन्नत निगरानी सिस्टम: प्रीडेटर ड्रोन में अत्याधुनिक कैमरे, सेंसर और राडार सिस्टम लगे होते हैं, जो दिन और रात दोनों समय स्पष्ट दृश्य प्रदान करते हैं।
7. मिसाइल और बम क्षमता: ये ड्रोन न केवल निगरानी करते हैं बल्कि लक्ष्य पर सटीक हमले करने में भी सक्षम हैं, जिससे दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया जा सकता है।
भारतीय सेना के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह सौदा?
भारतीय सेना ने हाल के वर्षों में अपने हथियारों और सैन्य उपकरणों में अत्याधुनिक तकनीक को शामिल करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। चीन और पाकिस्तान के साथ जारी सीमा विवाद और उग्रवाद जैसी चुनौतियों को देखते हुए, भारत के लिए मजबूत और विश्वसनीय निगरानी तंत्र का होना अत्यंत आवश्यक है।
चीन के साथ विवादित सीमा पर मजबूत निगरानी:
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हाल के वर्षों में बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर, भारत के लिए अपनी सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना आवश्यक हो गया है। प्रीडेटर ड्रोन की उच्च निगरानी क्षमता भारत को इस क्षेत्र में दुश्मन की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखने में मदद करेगी।
सशस्त्र बलों की ताकत में वृद्धि:
प्रीडेटर ड्रोन के आगमन से भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना को एक नई धार मिलेगी। इन ड्रोन को रणनीतिक रूप से तैनात किया जाएगा, जिससे भारत की सीमाओं पर निगरानी के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा।
सौदे की वित्तीय और रणनीतिक अहमियत
भारत और अमेरिका के बीच यह सौदा केवल रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा निवेश नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग का भी प्रतीक है।
4 अरब डॉलर का सौदा:
यह सौदा लगभग 32,000 करोड़ रुपये का है, जो भारत के रक्षा बजट के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। अमेरिका से इस तकनीक को हासिल कर भारत ने एक स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी रक्षा प्रणाली को विश्वस्तरीय मानकों पर लाना चाहता है।
भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूती:
यह सौदा भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सैन्य और रणनीतिक संबंधों का प्रमाण है। दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए एक-दूसरे के साथ रक्षा और सुरक्षा मामलों में सहयोग बढ़ा रहे हैं।
प्रीडेटर ड्रोन की तैनाती: कहाँ होंगे तैनात?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन 31 प्रीडेटर ड्रोन को भारतीय सेना के चार प्रमुख स्थलों पर तैनात किया जाएगा:
1. आईएनएस राजाली (चेन्नई के पास): यहाँ से समुद्री निगरानी को मजबूत किया जाएगा।
2. पोरबंदर (गुजरात): पाकिस्तान से आने वाली संभावित खतरों पर नजर रखने के लिए तैनाती।
3. सरसावा (उत्तर प्रदेश): उत्तर भारत के विवादित क्षेत्रों पर निगरानी।
4. गोरखपुर (उत्तर प्रदेश): चीन से लगी सीमाओं पर निगरानी में मदद।
यह सौदा भारत की सैन्य रणनीति में एक बड़ा मील का पत्थर है। प्रीडेटर ड्रोन की खरीद न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि भारत को आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी तैयार करेगी।
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ जारी तनाव के बीच, इन ड्रोन की तैनाती भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को और भी मजबूत करेगी।
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FAQ
भारत ने प्रीडेटर ड्रोन कब खरीदा?
भारत ने प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ अक्टूबर 2024 में 32,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा भारतीय सेना की निगरानी और आक्रमण क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है।
प्रीडेटर ड्रोन की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
प्रीडेटर ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं और 24 घंटे तक लगातार निगरानी कर सकते हैं। इसमें अत्याधुनिक सेंसर, राडार, और कैमरे लगे होते हैं जो दिन और रात दोनों समय स्पष्ट दृश्य प्रदान करते हैं। यह ड्रोन मिसाइल और बमों से लैस होकर दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला कर सकता है।
भारत में प्रीडेटर ड्रोन कहां तैनात किए जाएंगे?
प्रीडेटर ड्रोन भारत में चार मुख्य स्थानों पर तैनात किए जाएंगे: आईएनएस राजाली (चेन्नई के पास), पोरबंदर (गुजरात), सरसावा और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)। इन स्थानों पर ड्रोन की तैनाती से भारत की समुद्री और सीमा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
प्रीडेटर ड्रोन सौदा भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
यह सौदा भारतीय सेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ दुश्मनों पर सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करता है। चीन और पाकिस्तान के साथ चल रहे सीमा विवादों को देखते हुए, यह सौदा भारत की सुरक्षा के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
प्रीडेटर ड्रोन की लागत कितनी है?
भारत ने 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ लगभग 32,000 करोड़ रुपये (4 अरब डॉलर) का सौदा किया है। यह ड्रोन भारत की सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में यह सौदा कितना महत्वपूर्ण है?
प्रीडेटर ड्रोन सौदा भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा और सामरिक सहयोग का प्रतीक है। यह सौदा दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत करेगा और चीन जैसे देशों के साथ भारत की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में मदद करेगा।
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