सम्राट अकबर के नवरत्न: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

सम्राट अकबर के नवरत्न: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

सम्राट अकबर के नवरत्न: मुग़ल साम्राज्य के 9 प्रमुख रत्न

जानिए सम्राट अकबर के नवरत्नों के बारे में, जिन्होंने मुग़ल साम्राज्य को समृद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाई। इनके जीवन और योगदान की जानकारी प्राप्त करें।

सम्राट अकबर के नवरत्न: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

सम्राट अकबर और उनके नवरत्न

मुग़ल सम्राट अकबर (1556-1605) न केवल एक शक्तिशाली शासक थे बल्कि एक बुद्धिमान और दूरदर्शी नेता भी थे। अकबर ने अपने दरबार में 9 प्रमुख सलाहकारों और विद्वानों को एकत्रित किया, जिन्हें 'नवरत्न' कहा जाता था।

इन नवरत्नों ने अकबर के शासन को समृद्ध बनाने, सांस्कृतिक विकास में योगदान देने और उनकी नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नवरत्नों का चयन और उनकी भूमिका

अकबर के नवरत्नों का चयन उनकी विशिष्ट योग्यता और उनके विविध क्षेत्रों में विशेषज्ञता के आधार पर किया गया था। इन नवरत्नों में विद्वान, संगीतकार, सैनिक, और कूटनीतिज्ञ शामिल थे। ये सभी अकबर के शासन के स्तंभ थे और उनके साथ महत्वपूर्ण निर्णयों में सलाहकार के रूप में कार्य करते थे।

अकबर के नवरत्नों की सूची और उनका योगदान

1. बीरबल (महमूद अबुल फजल)

बीरबल अकबर के सबसे करीबी और चहेते नवरत्नों में से एक थे। वह अपनी चतुराई और हाजिरजवाबी के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अकबर के दरबार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कूटनीति में भी उनकी सहायता की।

नवरत्नों में सबसे बुद्धिमान बीरबल को ही माना जाता था। इनका जन्म 1528 ई. में काल्पी के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम महेश दास था। बीरबल को अकबर के दरबार में पहुंचाने का श्रेय आमेर के राजा भारमल के पुत्र भगवान दास को है।

इनकी योग्यता का सम्मान करते हुए सम्राट ने उन्हें कविराजराजा की उपाधि के साथ-साथ 2000 का मनसब प्रदान किया। बीरबल एक कुशल सैनिक भी थे। 

अकबर ने उन्हें नगरकोट, कांगड़ा एवं कालिंजर में जागीरें भी प्रदान की थी। 1583 ई. में अकबर के न्याय विभाग के सर्वोच्च अधिकारी बने।

अकबर द्वारा 1582 ई. में चलाए गए दीन-ए-इलाही धर्म को स्वीकार करने वाले एकमात्र हिंदू राजा बीरबल ही थे। 1586 ई. में यूसुफजई कबीले से लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई।

ज्ञातव्य हो कि बीरबल की मृत्यु से अकबर इतने दुखी हुए कि उन्होंने तीन दिन तक अन्य ग्रहण नहीं किया।

2. अबुल फजल

अबुल फजल अकबर के मुख्य इतिहासकार और लेखक थे। उन्होंने अकबरनामा और आइने-अकबरी जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की, जो अकबर के शासन और मुग़ल प्रशासन के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं। वे अकबर के दार्शनिक सलाहकार भी थे।

अबुल फजल सूफी शेख मुबारक के पुत्र थे जिनका जन्म 1505 ई. में हुआ था। अपनी योग्यता के कारण ये भी सम्राट के संपर्क में आते ही उनके अभिन्न मित्र हो गए। ये इतिहास, दर्शन एवं साहित्य के विद्वान थे।

अबुल फजल दीन-ए-इलाही धर्म के मुख्य पुरोहित थे। मनसबदार होने के साथ-साथ यह एक कुशल योद्धा भी थे। इन्होंने दक्षिण भारत में कई युद्धों का सफल संचालन भी किया।

इनकी हत्या 1602 ई. में शाहजादा सलीम ने उस समय कर दी जब वे दक्षिण से आगरा की ओर आ रहे थे।

3. राजा टोडरमल

राजा टोडरमल अकबर के वित्तीय सलाहकार थे और उन्होंने मुग़ल शासन के कर प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी नीति 'टोडरमल बंदोबस्त' आज भी एक मिसाल के रूप में मानी जाती है।

टोडरमल का जन्म अवध के जिला सीतापुर के तहसील लहरपुर में हुआ था। अकबर के यहां आने से पूर्व ये शेरशाह सूरी के यहां नौकरी करते थे। ये 1526 ई. में अकबर की सेना में भर्ती हुए। 1572 ई. में इन्हें गुजरात का दीवान बनाया गया। इनकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण इनके द्वारा किए गए भूमि-सुधार थे।

दीवान-ए-अशरफ के पद पर रहकर इन्होंने भूमि-सुधार की सफल योजना चलाई। ये अपने धर्म के कट्टर समर्थक थे।

इसलिए इन्होंने दीन-ए-इलाही धर्म अस्वीकार कर दिया। इनकी मृत्यु 1589 ई. में हुई।

4. तानसेन

तानसेन संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय थे और उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत का स्तंभ माना जाता है। अकबर के दरबार में उनका सम्मान विशेष रूप से किया जाता था। उनकी रचनाएँ और संगीत के प्रति उनके योगदान को अमर माना जाता है।

मिर्जा तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था। तानसेन को संगीत सम्राट भी कहा जाता है। अकबर ने इन्हें कंठ्ठाभरणवाणी विलास की उपाधि से सम्मानित किया।

इनके समय में ध्रुपद गायन शैली का विकास हुआ। इनकी प्रमुख कृतियों में मियां की टोड़ी, मियां की मल्हार, मियां की सारंग, दरबारी कान्हड़ा शामिल हैं।

ज्ञातब्य हो कि बाद में तानसेन ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया। उनकी मृत्यु 1589 ई. में हुई।

सम्राट अकबर के नवरत्न: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

5. मान सिंह

राजा मान सिंह अकबर के सेनापति थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में विजय प्राप्त की। उनकी बहादुरी और सैन्य कौशल के कारण अकबर के साम्राज्य की सीमाएँ और मजबूत हुईं।

ये आमेर के राजा भारमल के पौत्र तथा भगवान दास के पुत्र थे। इनके परिवार से अकबर का वैवाहिक संबंध स्थापित हुआ जिससे अकबर ने हिंदुओं से उदारता का व्यवहार करते हुए जजिया कर समाप्त कर दिया।

महाराणा प्रताप के विरुद्ध अकबर की विजय मानसिंह ने ही दिलाई थी। सम्राट अकबर की ओर से इन्होंने काबुल, बंगाल तथा बिहार प्रदेशों पर सफल सैनिक अभियान चलाये।

मान सिंह की मृत्यु 1611 ई. में हुई थी।

6. अब्दुर्रहीम खानखाना

अब्दुर्रहीम अकबर के दरबार में कवि और विद्वान थे। उन्होंने रहीम दास के नाम से हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य का अनमोल हिस्सा मानी जाती हैं।

ये बैरम खान के पुत्र थे। ऐसा माना जाता है कि इनका पालन पोषण अकबर ने ही किया था। इन्होंने तुर्की में लिखे बाबरनामा का फारसी में अनुवाद किया था। इनके हिंदी में लिखे दोहे आज भी पढ़े जाते हैं। अकबर के पुत्र जहांगीर भी इनके व्यक्तित्व से प्रभावित था।

गुजरात के शासक को युद्ध में अपनी वीरता से पराजित करने पर अकबर ने इन्हें खानखाना की उपाधि से सम्मानित किया।

7. फैज़ी

फैज़ी अबुल फजल के भाई थे और अकबर के दरबार में कवि और विद्वान के रूप में प्रसिद्ध थे। वे फारसी में काव्य रचना करते थे और अकबर की साहित्यिक सभा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

सम्राट अकबर ने इन्हें राजकवि के पद पर आसीन किया था। इन्होंने महाभारतश्रीमद्भगवत गीता का फारसी अनुवाद किया व अकबरनामा नामक ग्रंथ की भी रचना इन्होंने की थी।

ये दीन-ए-इलाही धर्म के कट्टर समर्थक थे। गणित की प्रसिद्ध पुस्तक लीलावती का फारसी में अनुवाद किया। 

इनकी मृत्यु 1595 ई. में हुई थी।

8. मुल्ला-दो-प्याजा

मुल्ला-दो-प्याजा अकबर के दरबार में एक विदूषक और सलाहकार थे। उनकी चतुराई और हाजिरजवाबी के कारण वे दरबार में खास स्थान रखते थे और अकबर के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन थे।

ये अरब के रहने वाले थे और इन्हें भोजन में दो प्याज बहुत पसंद थे इसलिए अकबर ने इनका नाम मुल्ला-दो-प्याजा रख दिया। 

9. हकीम हुमाम

हकीम हुमाम अकबर के विश्वासपात्र मित्र थे। अकबर के रसोईघर का प्रबंध करना इनकी जिम्मेदारी थी।

अकबर के नवरत्नों का महत्व

अकबर के नवरत्नों ने न केवल प्रशासनिक और सैन्य क्षेत्रों में बल्कि कला, साहित्य, और संगीत में भी अपार योगदान दिया। उनकी उपस्थिति ने अकबर के शासन को मजबूती दी और मुग़ल साम्राज्य को सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से समृद्ध बनाया।

सम्राट अकबर के नवरत्न: मुग़ल साम्राज्य-भारत का मध्यकालीन इतिहास

अकबर के नवरत्नों ने मुग़ल साम्राज्य को हर क्षेत्र में समृद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाई। चाहे वह प्रशासन हो, सेना हो, कला हो या साहित्य—इन सभी नवरत्नों का योगदान अतुलनीय था। उनके बिना अकबर का स्वर्णिम काल और भी कठिन होता। 

नवरत्नों की यह परंपरा भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय उदाहरण है, जो अकबर की दूरदर्शिता और उनके नेतृत्व के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाती है।

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अकबर के नवरत्नों के नाम क्या थे?

अकबर के नवरत्नों में शामिल थे: 1. बीरबल 2. तानसेन 3. अबुल फज़ल 4. फैजी 5. राजा टोडरमल 6. राजा मान सिंह 7. मुल्ला दो प्याज़ा 8. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना (रहीम) 9. हकीम हुमाम

अकबर के नवरत्न की ट्रिक

अकबर के नवरत्नों के नाम याद रखने के लिए एक ट्रिक हो सकती है: "बी-ता-अब-फै-रा-मु-र-हकीम" जिसमें: बी = बीरबल ता = तानसेन अब = अबुल फज़ल फै = फैजी रा = राजा टोडरमल मु = मुल्ला दो प्याज़ा र = रहीम ह = हकीम हुमाम

नवरत्न कौन-कौन से थे?

अकबर के नवरत्न थे: 1. बीरबल (हास्य और सलाहकार) 2. तानसेन (संगीतज्ञ) 3. अबुल फज़ल (इतिहासकार और लेखक) 4. फैजी (कवि) 5. राजा टोडरमल (राजस्व मंत्री) 6. राजा मान सिंह (सैनिक कमांडर) 7. मुल्ला दो प्याज़ा (हास्य और सलाहकार) 8. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना (कवि) 9. हकीम हुमाम (धार्मिक गुरु)

अकबर कालीन नवरत्नों पर टिप्पणी लिखें ?

अकबर के नवरत्न उसके शासनकाल के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और विद्वान व्यक्ति थे। इनकी भूमिका अकबर के दरबार में न केवल सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण थी, बल्कि प्रशासनिक, सैनिक, और धार्मिक नीतियों में भी अहम थी। बीरबल हास्य और राजनीति के माध्यम से दरबार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। तानसेन के संगीत ने अकबर के दरबार को अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान दी, वहीं अबुल फज़ल और फैजी ने साहित्य और इतिहास लेखन में योगदान दिया। राजा टोडरमल ने अकबर की भूमि और राजस्व व्यवस्था में क्रांति लाई। राजा मान सिंह ने सैन्य अभियानों में सफलता दिलाई।

अकबर के नवरत्न के नाम लिखें

अकबर के नवरत्न थे: 1. बीरबल 2. तानसेन 3. अबुल फज़ल 4. फैजी 5. राजा टोडरमल 6. राजा मान सिंह 7. मुल्ला दो प्याज़ा 8. रहीम (अब्दुल रहीम खान-ए-खाना) 9. हकीम हुमाम

अकबर के दरबार में कितने रत्न थे?

अकबर के दरबार में नौ प्रमुख रत्न थे जिन्हें नवरत्न कहा जाता था। यह रत्न अकबर की दरबारी सभाओं और नीतियों में अत्यधिक प्रभावशाली भूमिका निभाते थे।

अकबर के दरबारी कवियों के नाम

अकबर के दरबार में कई कवि थे, जिनमें प्रमुख हैं: 1. अबुल फज़ल 2. फैजी 3. रहीम (अब्दुल रहीम खान-ए-खाना) 4. मुल्ला दो प्याज़ा

मुगल बादशाह अकबर के नवरत्न में शामिल नहीं थे

नवरत्नों में शामिल नहीं थे: अकबर के नवरत्नों में कोई महिला या अन्य साधारण अधिकारी शामिल नहीं थे। नवरत्न केवल विद्वान, कवि, संगीतज्ञ, और सलाहकार थे। उदाहरण के लिए, मिर्ज़ा गालिब अकबर के नवरत्नों में शामिल नहीं थे, क्योंकि वे बाद के काल के कवि थे।

अकबर के पिता का नाम

अकबर के पिता का नाम था हुमायूं, जो मुगल साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे। हुमायूं ने अपने जीवनकाल में कई संघर्ष किए और अफगान शासक शेरशाह सूरी से हारने के बाद पुनः साम्राज्य स्थापित किया।

बादशाह अकबर के दरबार में कितने मंत्री थे और उन्हें क्या कहा जाता था?

अकबर के दरबार में प्रमुख रूप से नवरत्न और कई मंत्री थे। उन्हें वज़ीर या दरबारी कहा जाता था। इनके अलावा, अकबर की मंत्रिपरिषद में अलग-अलग विभागों के प्रमुख होते थे, जिन्हें विभिन्न जिम्मेदारियों के लिए नियुक्त किया गया था, जैसे: राजस्व मंत्री राजा टोडरमल सेना प्रमुख राजा मान सिंह

अकबर के पुत्र का नाम

अकबर के तीन प्रमुख पुत्र थे: 1. सलीम (जहांगीर) 2. मुराद 3. दानियाल सलीम ने अकबर के बाद मुगल साम्राज्य का नेतृत्व किया और वे जहांगीर के नाम से प्रसिद्ध हुए।

अकबर की भू-राजस्व व्यवस्था

अकबर की भू-राजस्व व्यवस्था को दहसाला प्रणाली कहा जाता था, जिसे उसके मंत्री राजा टोडरमल ने लागू किया। इस प्रणाली के अंतर्गत किसानों से भूमि की पैदावार के अनुसार राजस्व लिया जाता था, जो फसल की कीमत और उपज के औसत के आधार पर तय किया जाता था।

अकबर की मनसबदारी प्रथा

मनसबदारी प्रथा अकबर के प्रशासन की एक अनूठी प्रणाली थी, जिसमें अधिकारी या सैनिकों को उनकी सेवा और पद के आधार पर रैंक (मनसब) दी जाती थी। इसके अंतर्गत अधिकारियों को जागीर के रूप में भूमि दी जाती थी, जिससे उन्हें अपने सैनिकों का वेतन देने और राजस्व एकत्र करने का अधिकार मिलता था।

रहीम मुगल सम्राट अकबर के नवरत्न थे

हां, अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जिन्हें रहीम के नाम से जाना जाता है, अकबर के नवरत्नों में से एक थे। वे एक महान कवि, विद्वान, और सेनापति थे। उनकी हिंदी और फारसी में लिखी कविताएं आज भी प्रसिद्ध हैं।

सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे

सम्राट अकबर के नवरत्नों में एक थे: राजा बीरबल, जो अपने बुद्धिमत्ता और हास्य के लिए अकबर के प्रिय थे।

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