अब भारत का कानून अंधा नहीं है: सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ की नई मूर्ति

अब भारत का कानून अंधा नहीं है: सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ की नई मूर्ति

जानें सुप्रीम कोर्ट में 'न्याय की देवी' की नई मूर्ति के बारे में, जिसमें आंखों से पट्टी हटा दी गई है और हाथ में संविधान की किताब दी गई है। संविधान के इतिहास और इसकी प्रासंगिकता पर एक गहन नज़र।

अब भारत का कानून अंधा नहीं है: सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति

हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट में 'न्याय की देवी' की नई मूर्ति का अनावरण किया गया है, जिससे भारतीय न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आया है। इस मूर्ति के जरिए एक नया संदेश दिया गया है।

नई मूर्ति की खासियत

1. आंखों से पट्टी हटाई गई: पहले न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती थी, जो यह दर्शाती थी कि न्याय अंधा होता है। लेकिन अब नई मूर्ति में पट्टी हटा दी गई है। यह बदलाव न्याय के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता को दर्शाता है।

2. हाथ में संविधान की किताब: पहले न्याय की देवी के हाथ में तलवार होती थी, जो शक्ति का प्रतीक था। अब उसे संविधान की किताब दी गई है, जो कानून और अधिकारों का प्रतीक है। यह बदलाव बताता है कि न्याय केवल दंड नहीं है, बल्कि यह अधिकारों की रक्षा भी करता है।

3. CJI का योगदान: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने इस मूर्ति को बनाने का आदेश दिया है, जो इस बात का संकेत है कि न्यायपालिका की सोच में बदलाव आ रहा है।

भारतीय संविधान का इतिहास

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। यह दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधानों में से एक है और इसमें नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को शामिल किया गया है।

1. संविधान की रचना: भारतीय संविधान की रचना 1946 में शुरू हुई थी। डॉ. भीमराव अंबेडकर को इसका मुख्य शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने कई सत्रों में संविधान के अनुच्छेदों पर चर्चा की।

2. महत्वपूर्ण विशेषताएँ:

समावेशिता: संविधान ने विभिन्न वर्गों, धर्मों और जातियों को समान अधिकार दिए हैं।

नागरिक अधिकार: यह संविधान नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान करता है, जैसे समानता, स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार।

संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान में न्यायपालिका, कार्यपालिका, और विधायिका के बीच संतुलन स्थापित किया गया है।

3. संविधान का विकास: समय-समय पर संविधान में संशोधन किए जाते हैं, जिससे यह समाज की बदलती जरूरतों के अनुसार बना रहे।

4. संविधान की प्रासंगिकता: आज का संविधान केवल अधिकारों का एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक जीवित दस्तावेज है, जो समाज के विकास के साथ बदलता है।

अब भारत का कानून अंधा नहीं है: सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति

D.Y. चंद्रचूड़: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश

न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने 49वें मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित का स्थान लिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का कार्यकाल लगभग दो वर्षों का होगा और उनकी सेवानिवृत्ति 10 नवंबर 2024 को होगी।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) के बारे में प्रमुख तथ्य:

योग्यता:

मुख्य न्यायाधीश को भारत का नागरिक होना चाहिए। उन्हें निम्नलिखित में से एक होना चाहिए:

1. न्यायालय के न्यायाधीश: किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कम से कम पांच वर्षों का अनुभव होना चाहिए या दो या दो से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार न्यायाधीश रहे हों।

2. वकील: किसी उच्च न्यायालय के वकील के रूप में कम से कम दस वर्षों का अनुभव होना चाहिए या दो या दो से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार वकील रहे हों।

3. विशिष्ट कानूनी विद्वान: राष्ट्रपति की राय में, एक distinguished jurist होना चाहिए।

CJI की नियुक्ति:

मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124 की धारा (2) के तहत की जाती है। CJI के मामले में, पिछले CJI अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करते हैं। केंद्रीय विधि मंत्री सिफारिश को प्रधानमंत्री को भेजते हैं, जो राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने "द सेकंड जजेज केस" (1993) में यह फैसला दिया कि सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को ही CJI के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए। CJI के नेतृत्व में SC कॉलेजियम चार अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों का समूह होता है।

CJI की प्रशासनिक शक्तियाँ (मास्टर ऑफ रोस्टर):

मुख्य न्यायाधीश का पद आमतौर पर "प्राइमस इंटर पेरिस" – समानता में पहला – कहा जाता है। अपने न्यायिक कार्य के अलावा, CJI कोर्ट के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में भी कार्य करता है।

CJI विशेष बेंचों को मामलों को आवंटित करने का अधिकार रखता है। वह यह भी तय करता है कि कितने न्यायाधीश किसी मामले की सुनवाई करेंगे। इस प्रकार, वह केवल न्यायाधीशों को चुनकर परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

यह प्रशासनिक शक्तियाँ कॉलेजियल सहमति के बिना, और बिना किसी स्पष्ट कारण के उपयोग की जा सकती हैं।

हटाने की प्रक्रिया:

मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति के आदेश से हटाया जा सकता है, लेकिन यह केवल तब संभव है जब संसद द्वारा राष्ट्रपति को एक प्रस्ताव पेश किया जाए। इसे संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से समर्थन मिलना चाहिए।

हालिया विकास:

2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के दायरे में आता है।

यह जानकारी भारतीय न्यायपालिका के कार्य प्रणाली और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को समझने में मदद करती है।

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भारतीय संविधान के बारे में विस्तृत जानकारी

1. संविधान की परिभाषा:

संविधान किसी राष्ट्र के मूलभूत कानूनों और सिद्धांतों का समूह है, जो उस राष्ट्र के शासन, राजनीतिक प्रक्रिया और नागरिकों के अधिकारों को परिभाषित करता है।

2. स्थापना और अंगीकरण:

भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3. संविधान की विशेषताएँ:

लंबाई: भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें 470 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ और 118 संशोधन शामिल हैं (2024 तक)।

संविधानिक प्रावधान: यह संघीय ढांचे, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्यों, नीति निर्देशक सिद्धांतों और विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के बारे में प्रावधान करता है।

4. मौलिक अधिकार:

संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों की सूची दी गई है, जिसमें व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा के लिए 6 प्रमुख अधिकार शामिल हैं:

1. समानता का अधिकार

2. स्वतंत्रता का अधिकार

3. संरक्षण के अधिकार

4. सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

5. संविधान के अधीन विधियों के अनुसार संविधान में दी गई कोई भी कार्रवाई के खिलाफ अधिकार

6. विधि द्वारा दिए गए अधिकार

5. संशोधन प्रक्रिया:

संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को अनुच्छेद 368 में वर्णित किया गया है। इसमें सरल बहुमत, विशेष बहुमत और संघीय बहुमत की आवश्यकता होती है।

6. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत:

संविधान के भाग IV में नीति निर्देशक सिद्धांत दिए गए हैं, जो राज्य की नीति और उद्देश्यों को निर्धारित करते हैं। ये सिद्धांत सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास, और नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए हैं।

7. संविधान की अदालत:

भारतीय संविधान में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई है, जो न्यायपालिका का हिस्सा हैं और संविधान की व्याख्या और अधिकारों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।

8. संविधान के अनुच्छेद:

संविधान के अनुच्छेदों में विभिन्न विषयों पर विस्तृत विवरण दिया गया है, जैसे:

शासन प्रणाली

निर्वाचन आयोग

मौलिक कर्तव्य

आपातकालीन प्रावधान

9. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:

भारतीय संविधान में कई अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का समावेश किया गया है, जैसे मानव अधिकारों की सुरक्षा, सामाजिक न्याय और विकास के सिद्धांत।

10. संविधान का महत्व:

यह संविधान भारतीय लोकतंत्र का आधार है, जो नागरिकों को उनके अधिकारों की सुरक्षा करता है और सरकार की शक्तियों को सीमित करता है। यह एक सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक प्रणाली को स्थापित करता है।

11. संविधान की विशेषता:

समानता: सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार है।

अवशिष्टता: संविधान में विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार अवशिष्ट शक्तियों का प्रावधान है।

12. लोकतंत्र का स्तंभ:

भारतीय संविधान भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन स्थापित किया गया है।

अब भारत का कानून अंधा नहीं है: सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति

भारत के सुप्रीम कोर्ट में 'न्याय की देवी' की नई मूर्ति का अनावरण एक महत्वपूर्ण सामाजिक और न्यायिक बदलाव का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि न्याय अब केवल शक्ति का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह संविधान के सिद्धांतों और मानवाधिकारों का सम्मान करता है। 

इस बदलाव के माध्यम से, भारत ने न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित किया है।

यह नई मूर्ति न केवल न्यायपालिका के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि न्याय का स्वरूप और उसकी प्रक्रिया बदल रही है। 

भारत का संविधान, जो न्याय का आधार है, आज भी हमें दिशा प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को न्याय मिले।

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