मालदीव में भी अब यूपीआई से होगा भुगतान: भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक समझौता

"मालदीव में भी अब यूपीआई से होगा भुगतान: भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक समझौता"

भारत और मालदीव ने द्वीप समूह राष्ट्र में यूपीआई से भुगतान शुरू करने के लिए 10 अगस्त 2024 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे मालदीव के पर्यटन उद्योग पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के तीन दिवसीय मालदीव दौरे के दौरान मालदीव के विदेश मंत्री मोसा जमीर की उपस्थिति में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

इस सुविधा का पर्यटन क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद है। पर्यटन मालदीव की आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख स्रोत है। देश की जीडीपी में इसका योगदान 30% है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार का 60% इसी क्षेत्र से आता है।

अब मालदीव में भी यूपीआई से पेमेंट किया जा सकता है. भारत और मालदीव के बीच एक समझौते के तहत, द्वीपसमूह देश में यूपीआई भुगतान सेवा शुरू की गई है: 

इस समझौते पर हस्ताक्षर, विदेश मंत्री एस जयशंकर के मालदीव दौरे के दौरान हुए थे. 

इस समझौते के तहत, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) और मालदीव के आर्थिक विकास और व्यापार मंत्रालय ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. 

इस समझौते का मकसद, मालदीव के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय संबंधों में आई खटास को दूर करना है. 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत ने अपने यूपीआई के ज़रिए 'डिजिटल लेनदेन में क्रांति ला दी है'. 

यूपीआई, मोबाइल फ़ोन के ज़रिए बैंकों के बीच लेन-देन को आसान बनाने के लिए एक त्वरित भुगतान प्रणाली है. 

मालदीव में भी अब यूपीआई से होगा भुगतान: भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक समझौता

मालदीव में अब यूपीआई से भुगतान संभव होगा। भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक समझौता, जानें यूपीआई की शुरुआत और इसके विकास की पूरी कहानी।

भारत और मालदीव ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे अब मालदीव में भी यूपीआई (Unified Payments Interface) से भुगतान किया जा सकेगा। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करना है। 

भारतीय पर्यटकों और व्यापारियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, क्योंकि अब वे मालदीव में भी यूपीआई का इस्तेमाल कर अपने दैनिक लेनदेन को आसानी से पूरा कर सकेंगे। यह समझौता डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत की वैश्विक पहचान को और सुदृढ़ करता है।

यूपीआई के फायदे:

यूपीआई से भुगतान प्रणाली की सरलता और सुरक्षा इसे सबसे भरोसेमंद बनाती है। भारत में इसकी सफलता के बाद अब यह वैश्विक मंच पर अपनी जगह बना रही है। 

मालदीव में यूपीआई का उपयोग होने से दोनों देशों के बीच व्यापारिक और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यूपीआई के जरिए त्वरित, सुरक्षित और आसान भुगतान की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे नकदी लेन-देन की आवश्यकता कम होगी।

यूपीआई का इतिहास 

यूपीआई (Unified Payments Interface) की शुरुआत भारत में 11 अप्रैल 2016 को हुई थी। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित किया गया और इसका उद्देश्य देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था। 

यूपीआई एकीकृत भुगतान प्रणाली के रूप में कार्य करता है, जो बैंकों और वॉलेट्स के बीच एक पुल की तरह काम करता है। इस प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके जरिए उपयोगकर्ता केवल एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर विभिन्न बैंकों के खातों से पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं।

यूपीआई ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। 2019 में, गूगल पे और फोनपे जैसी एप्स के जुड़ने से यूपीआई ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की। आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई ने नकदी रहित समाज की दिशा में भारत को काफी आगे बढ़ाया है। 

वर्तमान में, भारत में यूपीआई के माध्यम से हर महीने अरबों की लेन-देन होती है। इसके सफल कार्यान्वयन के बाद, अन्य देशों में भी इसकी शुरुआत की मांग बढ़ी, और इसी क्रम में अब मालदीव भी यूपीआई का हिस्सा बन गया है।

ऐतिहासिक तथ्य: यूपीआई की शुरुआत के पहले वर्ष में, केवल 21 बैंकों ने इसे अपनाया था। लेकिन आज, भारत में 300 से अधिक बैंक यूपीआई नेटवर्क का हिस्सा हैं, और प्रतिदिन करोड़ों लेन-देन यूपीआई के जरिए होती हैं। 

भारत सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत यूपीआई ने डिजिटल भुगतान को सुलभ और सुरक्षित बनाकर लोगों के जीवन को सरल बनाया है। अब इसका विस्तार भारत से बाहर मालदीव जैसे देशों तक हो रहा है।

निष्कर्ष:

भारत और मालदीव के बीच यूपीआई को लागू करने का समझौता दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में मजबूती आएगी। 

यूपीआई का इतिहास और इसका निरंतर विकास इसे भारत की एक सबसे सफल डिजिटल उपलब्धियों में से एक बनाता है।

मालदीव में भी अब यूपीआई से होगा भुगतान: भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक समझौता

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत मालदीव संबंध

चर्चा में क्यों?

मालदीव ने हाल ही में खुद को राजनयिक उथल-पुथल के बीच पाया है, जिससे गैर-राजनयिक टिप्पणियों, सैन्य स्थिति और महत्त्वपूर्ण समझौतों को रद्द करने के माध्यम से भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। 

मालदीव ने भी चीन के साथ नए समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे भू-राजनीतिक परिदृश्य और जटिल हो गया है।

भारत और मालदीव संबंधों से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

ऐतिहासिक संबंध: जब अंग्रेजों ने द्वीपों का नियंत्रण छोड़ दिया था तब से भारत और मालदीव के बीच राजनयिक और राजनीतिक संबंध वर्ष 1965 से रहे हैं।

वर्ष 2008 में लोकतांत्रिक परिवर्तन के बाद से, भारत ने मालदीव में राजनीतिक, सैन्य, व्यापार और नागरिक समाज के लोगों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ गहरे संबंध बनाने में वर्षों का निवेश किया है।

भारत के लिये मालदीव का महत्त्व: 

सामरिक स्थान: भारत के दक्षिण में स्थित, मालदीव हिंद महासागर में अत्यधिक रणनीतिक महत्त्व रखता है, जो अरब सागर और उससे आगे के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।

इससे भारत को समुद्री यातायात की निगरानी करने और क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने की अनुमति मिलती है।

सांस्कृतिक संबंध: भारत और मालदीव के बीच सदियों पुराना गहरा सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंध है।

12वीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक, बौद्ध धर्म मालदीव में प्रमुख धर्म था।

वज्रयान बौद्ध धर्म का एक शिलालेख है, जो प्राचीन काल में मालदीव में मौजूद था।

क्षेत्रीय स्थायित्व: एक स्थिर और समृद्ध मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति के अनुरूप है।

मालदीव के लिए भारत का महत्त्व: 

आवश्यक आपूर्ति: भारत चावल, मसालों, फलों, सब्ज़ियों और दवाओं सहित रोज़मर्रा की आवश्यक वस्तुओं का एक महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता है।

भारत सीमेंट और रॉक बोल्डर जैसी सामग्री प्रदान करके मालदीव के बुनियादी ढाँचे के निर्माण में भी सहायता करता है।

शिक्षा: भारत मालदीव के उन छात्रों के लिये प्राथमिक शिक्षा प्रदाता के रूप में कार्य करता है जो भारतीय संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिसमें योग्य छात्रों के लिये छात्रवृत्ति भी शामिल है।

आपदा सहायता: जब भी कोई संकट आया, जैसे– सुनामी या पेयजल की कमी, भारत ने लगातार सहायता प्रदान की है।

कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं एवं समर्थन का प्रावधान एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की भूमिका को प्रदर्शित करता है।

सुरक्षा प्रदाता: भारत का सुरक्षा सहायता प्रदान करने में  ऑपरेशन कैक्टस के माध्यम से वर्ष 1988 में तख्तापलट के प्रयास के दौरान हस्तक्षेप करने तथा मालदीव की सुरक्षा के लिये संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित करने का इतिहास रहा है।

संयुक्त अभ्यासों में शामिल हैं- "एकुवेरिन", "दोस्ती" एवं "एकथा"

मालदीव में पर्यटन: कोविड-19 महामारी के बाद से, भारतीय यात्रियों ने मालदीव के मुख्य स्रोत बाज़ार में अग्रणी भूमिका निभाई है। वर्ष 2023 में कुल 18.42 लाख यात्राओं के साथ, उन्होंने सभी पर्यटकों का उल्लेखनीय 11.2% प्रतिनिधित्व किया।

नोट: 8 डिग्री चैनल भारतीय मिनिकॉय (लक्षद्वीप द्वीप समूह का हिस्सा) को मालदीव से अलग करता है।

भारत मालदीव संबंधों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

 इंडिया-आउट अभियान: हाल के वर्षों में मालदीव की राजनीति में "इंडिया आउट" मंच पर केंद्रित एक अभियान देखा गया है, जिसमें भारतीय उपस्थिति को मालदीव की संप्रभुता के लिये खतरा बताया गया है।

अभियान के प्रमुख बिंदुओं में भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग शामिल है।

मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति ने भारतीय सैनिकों की वापसी के लिये 15 मार्च, 2024 की समय-सीमा निर्धारित की है।

पर्यटन दबाव: लक्षद्वीप द्वीप की प्रचार यात्रा के बाद भारत के प्रधानमंत्री पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों से उत्पन्न राजनयिक विवाद के कारण लक्षद्वीप का पर्यटन उद्योग गहन जाँच के दायरे में आ गया है।

परिणामस्वरूप, विवाद की प्रतिक्रिया के रूप में सोशल मीडिया पर मालदीव के बहिष्कार का चलन चल रहा है।

मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव: मालदीव में चीनी लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। मालदीव के रणनीतिक महत्त्व, भारत से निकटता एवं महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों के कारण चीन मालदीव के साथ अग्रगामी जुड़ाव में अधिक रुचि ले सकता है।

भारत इसे लेकर असहज है और साथ ही इससे क्षेत्र में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा छिड़ सकती है।

चीन-मालदीव के बीच हुए हालिया समझौतों के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

द्विपक्षीय संबंधों में बेहतरी:

चीन और मालदीव ने अपने देशों के संबंधों को व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी तक विस्तारित करने की घोषणा की जो उनके संबंधों में बढ़ती भागीदारी को प्रदर्शित  करता है।

प्रमुख समझौते:

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिवइसका उद्देश्य राष्ट्रों द्वारा संयुक्त रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर सहयोग योजना के निर्माण में तेज़ी लाने हेतु प्रेरित करना है जिससे कनेक्टिविटी तथा बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

पर्यटन सहयोग: दोनों देशों ने मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिये इसके महत्त्व को पहचानते हुए पर्यटन क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।

आपदा जोखिम न्यूनीकरणइस समझौतों के तहत आपदा जोखिम न्यूनीकरण में सहयोग करना शामिल है जिसमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिये संयुक्त प्रयासों पर ज़ोर दिया गया है।

नीली अर्थव्यवस्थादोनों देशों ने समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए नीली अर्थव्यवस्था में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

डिजिटल अर्थव्यवस्था: इसके तहत डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश को सुदृढ़ करने के प्रयासों को रेखांकित किया गया।

आर्थिक सहायता:

चीन ने अनुदान सहायता प्रदान करके मालदीव की सहायता की, हालाँकि प्रदान की गई विशिष्ट निधि का खुलासा नहीं किया गया। 

ये समझौते चीन-मालदीव व्यापार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालते हैं। वर्ष 2022 में द्विपक्षीय व्यापार कुल 451.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।

निष्कर्ष 

मालदीव सरकार द्वारा संबद्ध मंत्रियों को निलंबित करके त्वरित कार्रवाई करना संकट का समाधान करने के प्रयास को दर्शाता है। अतः दोनों देशों को विश्वास बहाल करने हेतु नियमित राजनयिक वार्ता करनी चाहिये। साझा मुद्दों पर सहयोग करना, शिकायतों का समाधान करना एवं लंबे समय से चले आ रहे संबंधों पर बल देना जिससे दोनों देश लाभान्वित हुए हैं जो राजनयिक समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।






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