पीएम-प्रणाम योजना: किसानों की उर्वरक समस्या का समाधान
भारत में रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से पर्यावरण और कृषि दोनों को नुकसान हो रहा है। किसानों की लागत बढ़ रही है, जबकि जमीन की उर्वरता घट रही है। रासायनिक उर्वरकों के कृषि क्षेत्र में बढ़ते उपयोग से खेती की लागत और पर्यावरणीय संकट दोनों बढ़ रहे हैं।
पीएम-प्रणाम योजना किसानों को जैविक उर्वरकों की ओर प्रेरित करने और रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है।
योजना का लक्ष्य जैविक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना और रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग को नियंत्रित करना है। इसके साथ ही, इस योजना का मुख्य लक्ष्य कृषि उत्पादन को स्थायी बनाना है और किसानों की लागत को कम करना है।
केंद्र सरकार ने इन समस्याओं का समाधान करने के लिए पीएम-प्रणाम योजना शुरू की है।
पीएम-प्रणाम योजना
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने पीएम-प्रणाम (PM-PRANAM) योजना को मंज़ूरी दी है जिसका उद्देश्य जैव उर्वरकों के उपयोग से धरती की उर्वरता को पुनर्स्थापित और पोषित करना है।
इसके अतिरिक्त अक्तूबर से शुरू होने वाले 2023-24 सीज़न के लिये गन्ने के उचित मूल्य को 10 रुपए और बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त सरकार ने 3.68 लाख करोड़ रुपए के आवंटन के साथ यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। साथ ही वर्ष 2023-24 के खरीफ सीज़न के लिये 38,000 करोड़ रुपए की पोषक तत्त्व-आधारित सब्सिडी को भी मंज़ूरी दे दी गई है।
पीएम-प्रणाम योजना:
परिचय:
पीएम-प्रणाम का मतलब धरती माता की उर्वरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम (PM Programme for Restoration, Awareness, Nourishment and Amelioration of Mother Earth) है।
पीएम-प्रणाम की घोषणा पहली बार केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के बजट में की गई थी।
इस योजना का उद्देश्य राज्यों को वैकल्पिक उर्वरक अपनाने के लिये प्रोत्साहित करके रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाना है।
उद्देश्य:
जैव उर्वरकों और जैविक उर्वरकों के साथ उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करना।
रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करना, जो कि वर्ष 2022-2023 में लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपए था।
योजना की मुख्य विशेषताएँ:
वित्तपोषण:
इस योजना को रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत से वित्तपोषित किया जाएगा।
पीएम-प्रणाम योजना के लिये अलग से कोई बजट नहीं होगा।
सब्सिडी बचत और अनुदान:
केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को सब्सिडी बचत का 50% अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा।
अनुदान में से 70% का उपयोग विभिन्न स्तरों पर वैकल्पिक उर्वरकों और उत्पादन इकाइयों के तकनीकी उत्थान हेतु परिसंपत्तियों के निर्माण में उपयोग किया जा सकता है।
शेष 30% का उपयोग किसानों, पंचायतों और उर्वरक कटौती एवं जागरूकता सृजन में शामिल अन्य हितधारकों को पुरस्कृत तथा प्रोत्साहित करने के लिये किया जा सकता है।
उर्वरक कटौती की गणना:
किसी राज्य द्वारा यूरिया की खपत में कमी की तुलना पिछले तीन वर्षों में यूरिया की औसत खपत से की जाएगी।
यह गणना सब्सिडी बचत और अनुदान के लिये पात्रता निर्धारित करेगी।
सतत् कृषि को बढ़ावा:
जैव उर्वरकों और जैविक उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने से सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा।
इससे मृदा उर्वरता बढ़ेगी, पर्यावरण प्रदूषण कम होगा और दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता को समर्थन मिलेगा।
परेशानियाँ: रासायनिक उर्वरकों का बढ़ता उपयोग
भारत कृषि में उर्वरक का अधिक उपयोग कर रहा है। भारत ने 2020–2021 में 27.5 मिलियन टन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया था। इस बढ़ते उपयोग ने किसानों की उत्पादन लागत बढ़ा दी है और मृदा की उर्वरता भी घटी है।
भूमि की स्थिति खराब हो रही है, जिससे फसल उत्पादन भी कम हो गया है।
भारत में कृषि के लिए रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग चिंता का कारण बन गया है। इससे जमीन की उर्वरता घट रही है, पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है और किसान भारी लागत का सामना कर रहे हैं।
प्रमुख चुनौतियाँ:
1. उर्वरक संकट:
वर्ष 2020-21 में भारत में 27.5 मिलियन टन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया गया था, जिससे भूमि की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ा।
2. किसानों पर वित्तीय दबाव:
रासायनिक उर्वरकों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे किसानों की आय में कमी आ रही है। अधिक उर्वरक खरीदने के लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ता है, जिससे वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं।
3. पर्यावरणीय असर:
रासायनिक उर्वरक नदियों और जल स्रोतों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं। इससे पानी की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जो मानव और पशु स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा है।
किसान क्यों फंसे हैं उर्वरकों के जाल में?
किसानों को अधिक पैदावार चाहिए, इसलिए वे लगातार रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन इससे लागत बढ़ती जा रही है, जबकि जमीन की गुणवत्ता बिगड़ रही है। उर्वरक खरीदने के लिए किसानों को ऋण लेना पड़ रहा है, जिससे वे कर्ज में डूबते जा रहे हैं।
समस्या: कृषि के सामने खड़े बड़े सवाल
किसान समझ रहे हैं कि रासायनिक उर्वरक अब समस्या बनते जा रहे हैं। लेकिन उनके पास कोई स्पष्ट विकल्प नहीं है।
खर्च बढ़ रहा है: रासायनिक उर्वरकों की कीमतें बढ़ रही हैं।
जमीन की गुणवत्ता घट रही है: अधिक उर्वरकों के उपयोग से मृदा की उर्वरता घट रही है, जिससे पैदावार कम हो रही है।
पर्यावरण का सवाल: नदियों और भूमिगत जल में रासायनिक अवशेष बढ़ रहे हैं, जो पीने के पानी को दूषित कर रहे हैं। किसानों को यह भी पता है कि आने वाले समय में यह स्थिति और भी खराब हो सकती है। लेकिन अब समाधान क्या है?
उर्वरकों के उपयोग पर बढ़ती चिंता
किसानों और विशेषज्ञों के सामने यह सवाल है कि उर्वरकों के बिना कैसे उत्पादन बढ़ाया जाए।
खर्च का बढ़ना: उर्वरकों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे उत्पादन लागत बढ़ रही है।
मिट्टी की उर्वरता घट रही है: लगातार रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मृदा में पोषक तत्वों की कमी हो रही है, जिससे कृषि उत्पादन घट रहा है।
पर्यावरण का खतरा: नदियों, भूमिगत जल स्रोतों और हवा में रासायनिक उर्वरकों का असर बढ़ रहा है।
समाधान: पीएम-प्रणाम योजना
केंद्र सरकार ने पीएम-प्रणाम योजना के तहत एक सरल और प्रभावी समाधान पेश किया है। इस योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को घटाकर जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देना है।
रासायनिक उर्वरकों की खपत में कटौती:
पीएम-प्रणाम योजना के तहत, राज्यों को रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाने पर अनुदान मिलेगा। इस अनुदान का 70% जैविक उर्वरकों के उत्पादन और किसानों को जागरूक करने पर खर्च किया जाएगा।
उर्वरक सब्सिडी का उपयोग:
योजना के तहत, केंद्र सरकार रासायनिक उर्वरकों की सब्सिडी में होने वाली बचत को पीएम-प्रणाम के लिए इस्तेमाल करेगी। इसमें कोई अलग बजट नहीं दिया गया है, बल्कि सब्सिडी की बचत से इसे संचालित किया जाएगा।
राज्यों को अनुदान:
राज्यों को रासायनिक उर्वरकों की खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्यों द्वारा की गई बचत का 50% हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा उन्हें अनुदान के रूप में दिया जाएगा। यह राशि जैविक उर्वरकों के उत्पादन और किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए उपयोग की जाएगी।
Promise: भविष्य की स्थिर कृषि का रास्ता
पीएम-प्रणाम योजना के जरिए सरकार का वादा है कि यह केवल उर्वरक खपत को कम करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों को दीर्घकालिक समाधान भी प्रदान करेगी। जैविक उर्वरकों के उपयोग से फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा, मृदा की उर्वरता बनी रहेगी, और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इससे किसानों की लागत कम होगी और उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी।
समाप्ति
पीएम-प्रणाम योजना से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि इससे पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। यह योजना भविष्य की स्थिर और स्वस्थ कृषि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पीएम-प्रणाम योजना किसानों के लिए एक ऐसा समाधान है जो न केवल कृषि को स्थिर बनाएगा, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम करके और जैविक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देकर, यह योजना भारत की कृषि के भविष्य को स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में मदद करेगी।
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पीएम-प्रणाम योजना
जैविक उर्वरक
रासायनिक उर्वरक
उर्वरक सब्सिडी
कृषि सुधार
पीएम प्रणाम योजना क्या है
पीएम प्रणाम योजना कब लागू हुई
पीएम प्रणाम योजना से संबंधित
पीएम प्रणाम योजना फुल फॉर्म
FAQ
पीएम-प्रणाम योजना क्या है?
केंद्र सरकार ने किसानों की इन समस्याओं का समाधान पीएम-प्रणाम योजना के माध्यम से पेश किया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों की खपत को घटाना और जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देना है। यह केंद्र सरकार की एक पहल है जो पर्यावरण और कृषि दोनों के लिए लाभदायक है।
PM प्रणाम योजना कब लागू हुई?
पीएम-प्रणाम योजना की घोषणा 2023 में केंद्र सरकार ने की थी और इसे उसी वर्ष के अंत तक लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई। राज्यों को इसके लिए जागरूक किया गया और उर्वरक खपत में कमी लाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए।
PM प्रणाम योजना फुल फॉर्म क्या है?
PM-PRANAM का फुल फॉर्म है "प्रमोशन ऑफ अल्टरनेट न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट"। यह योजना किसानों को रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में जैविक और प्राकृतिक उर्वरकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
पीएम-प्रणाम योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना और जैविक उर्वरकों के माध्यम से कृषि को स्थिर बनाना है।
पीएम-प्रणाम योजना के तहत राज्यों को कैसे अनुदान मिलेगा?
रासायनिक उर्वरकों की खपत में कटौती करने पर राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा अनुदान मिलेगा, जो उर्वरक सब्सिडी की बचत से प्रदान किया जाएगा।
पीएम-प्रणाम योजना से किसानों को कैसे फायदा होगा?
किसानों की लागत कम होगी क्योंकि वे जैविक उर्वरकों का उपयोग करेंगे, जो अधिक सस्ते और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं। इससे मृदा की उर्वरता भी बनी रहेगी और पैदावार में वृद्धि होगी।
पीएम-प्रणाम योजना का कृषि पर क्या असर होगा?
इस योजना से मृदा की उर्वरता में सुधार होगा, किसानों की लागत घटेगी, और फसल की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इससे कृषि क्षेत्र में स्थिरता आएगी।
रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक उर्वरक क्यों जरूरी हैं?
रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मृदा की गुणवत्ता घट रही है, जबकि जैविक उर्वरक पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं और फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार लाते हैं।
पीएम-प्रणाम योजना किससे संबंधित है?
पीएम-प्रणाम योजना का संबंध रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम करने और जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने से है। इस योजना का उद्देश्य मृदा और पर्यावरण की सुरक्षा है।
पीएम-प्रणाम योजना से किसानों को क्या फायदा होगा?
पीएम-प्रणाम योजना से किसानों की लागत कम होगी, जैविक उर्वरकों का उपयोग बढ़ेगा, और मृदा की उर्वरता बनी रहेगी। इससे फसल उत्पादन भी स्थिर होगा।
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