स्वेज नहर संकट (1956): समस्या, लड़ाई और समाधान का पूरा इतिहास

स्वेज नहर संकट (1956)

मिश्र के राष्ट्रपति कर्नल नासिर ने 26 जुलाई 1956 को स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण किया तथा ब्रिटेनफ्रांस की सेनाओं को मिश्र को खाली करने का आदेश दिया। इस पर ब्रिटेनफ्रांस की सेनाओं ने मिश्र पर आक्रमण कर दिया। सुरक्षा परिषद ने युद्ध बंद कर दिया।

संघ के महासचिव हैमर शोल्ड ने एक संयुक्त राष्ट्रीय सेना को मिश्र भेजकर वहां शांति स्थापित कराई। अप्रैल 1957 को स्वेज नहर को सभी देशों के जहाजों के आवागमन के लिए खोल दिया गया।

स्वेज नहर संकट (1956): समस्या, संघर्ष और समाधान की पूरी कहानी

स्वेज नहर दुर्घटना (1956): समस्या, लड़ाई और समाधान का पूरा इतिहास

स्वेज नहर दुर्घटना (1956): परेशानियाँ, संघर्ष और समाधान

Suez Canal Crisis 1956 में हुआ, जो विश्व राजनीति, मध्य पूर्व और वैश्विक व्यापारिक मार्गों को बदल गया। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के संतुलन को भी हिला दिया। यह एक संघर्ष था जिसने मिस्र, ब्रिटेन, फ्रांस, इज़राइल और सुपरपावर यू.एस. और सोवियत संघ के बीच तनाव को बढ़ाया। इस लेख में हम इस ऐतिहासिक संकट को समस्या, संघर्ष और समाधान के चरणों में समझेंगे।

समस्या (Problem): स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण

1. स्वेज नहर का महत्व

स्वेज नहर, जो मिस्र में भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ती है, एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। और यह यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग है। 

1869 में निर्मित यह नहर व्यापार और तेल के परिवहन में समय और खर्च दोनों बचाता है। 1956 तक, एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी, जिसमें ब्रिटेन और फ्रांस के बड़े हिस्से की हिस्सेदारी थी, इस नहर का प्रबंधन और नियंत्रण करती थी।

2. नहर के नियंत्रण को लेकर विवाद

26 जुलाई 1956 को स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर ने किया था। इस कदम से नासिर ने नहर का सारा अधिकार मिस्र को सौंप दिया। 

इस कदम से ब्रिटेन और फ्रांस नाराज हो गए, क्योंकि वे नहर को अपने लिए महत्वपूर्ण आर्थिक और सामरिक संपत्ति समझते थे। उन्हें डर था कि नासिर का यह कदम नहर के राजस्व से उन्हें वंचित कर देगा और उनके सामरिक हितों को नुकसान पहुंचाएगा। 

इज़राइल भी इस फैसले से चिंतित था क्योंकि यह उसकी सुरक्षा को खतरा बना सकता था।

3. सोवियत संघ और अमेरिका की भूमिका

अमेरिका और सोवियत संघ दोनों अपने-अपने पक्ष के देशों को समर्थन दे रहे थे, जब शीत युद्ध चरम पर था। नासिर को पहले सोवियत संघ ने समर्थन दिया था, लेकिन अमेरिका ने उसके खिलाफ आर्थिक मदद रोक दी थी। 

लेकिन अमेरिका को जल्द ही पता चला कि मिस्र पर पश्चिमी देशों का हमला सोवियत संघ के प्रभाव को बढ़ा सकता है, जो शीत युद्ध को और खराब कर सकता है।

संघर्ष (Dispute): सैन्य कार्रवाई और वैश्विक तनाव

1. ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल द्वारा युद्धाभ्यास

स्वेज नहर को राष्ट्रीयकृत करने पर ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल ने सीवर्स प्लान नामक एक गुप्त सैन्य योजना बनाई। 29 अक्टूबर 1956 को मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप पर इज़राइल का हमला हुआ, जिसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने भी मिस्र पर बमबारी शुरू की। उन्हें ऐसा करने का लक्ष्य था कि नासिर को स्वेज नहर से बाहर निकाल दें और नहर को फिर से अंतर्राष्ट्रीय सरकार के अधीन कर दें।

2. विश्वव्यापी प्रतिक्रिया

विश्व भर में इस आक्रमण ने क्रोध फैलाया। अमेरिका और सोवियत संघ ने इस हमले की निंदा की। युद्ध को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत हस्तक्षेप किया। दुनिया भर में, अधिकांश लोगों ने इस सैन्य कार्रवाई को साम्राज्यवादी विचार का संकेत माना और इसे एक छोटे देश के खिलाफ शक्तिशाली देशों की जबरदस्ती बताया।

3. अर्थव्यवस्था और तेल संकट

स्वेज नहर संकट के दौरान, नहर बंद होने से विश्व व्यापर को बहुत नुकसान हुआ। खासकर यूरोप में तेल की आपूर्ति बंद हो गई, जिससे ऊर्जा संकट उत्पन्न हुआ। इससे तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई और विश्वव्यापी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आई।

समाधान: शांति और कूटनीति की स्थापना

1. यूएन की कार्रवाई

स्वेज संकट को सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने बहुत कुछ किया। ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण मिस्र से अपने सैनिकों को वापस बुलाना पड़ा। नहर के आसपास की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक शांति सेना भेजी।

2. अमेरिका और सोवियत संघ का प्रभाव

अमेरिका और सोवियत संघ ने इस संकट में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अमेरिका ने यूरोपीय देशों की इस कार्रवाई का विरोध किया क्योंकि उसे डर था कि इससे सोवियत संघ पर और अधिक नियंत्रण मिल सकता है। सोवियत संघ ने भी धमकी दी कि वह ब्रिटेन और फ्रांस की कार्रवाई का विरोध करेगा। ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल को इन दो महाशक्तियों के दबाव में कदम वापस लेना पड़ा।

3. Nasir की जीत

अंततः, नासिर इस समस्या से बाहर निकल गया। स्वेज नहर को मिस्र की सरकार ने पूरी तरह राष्ट्रीयकृत कर दिया। इस दुर्घटना के बाद, नासिर अरब देशों में एक महान नायक बन गए और उनकी लोकप्रियता बढ़ी।

स्वेज नहर संकट (1956): समस्या, लड़ाई और समाधान का पूरा इतिहास

4. लंबी अवधि का प्रभाव

स्वेज नहर संकट ने मध्य पूर्व की राजनीति और विश्व राजनीति दोनों को प्रभावित किया। ब्रिटेन और फ्रांस की औपनिवेशिक शक्तियों का पतन शुरू हुआ, जबकि अमेरिका और सोवियत संघ ने अपनी जगह मजबूत कर ली। इस घटना ने संयुक्त राष्ट्र की शांति बनाए रखने की क्षमता भी दिखाई दी।

स्वेज नहर संकट के मुख्य परिणाम

1. नासिर की शक्ति: नासिर की प्रतिष्ठा इस घटना के बाद बढ़ गई और वह पूरे अरब क्षेत्र में एक नेता के रूप में उभरा।

2. कमजोर ब्रिटिश और फ्रांसीसी स्थिति: स्वेज नहर संकट ने ब्रिटेन और फ्रांस को वैश्विक शक्ति में कमजोर कर दिया और उनके औपनिवेशिक शासन को कमजोर कर दिया।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ का प्रभाव: इस घटना ने अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध का असर वैश्विक राजनीति पर स्पष्ट कर दिया।

4. संयुक्त राष्ट्र: स्वेज नहर संकट के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने शांति कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय विवादों के समाधान में इसकी उपयोगिता को दिखाया।

यह भी पढ़ें : 👇

स्वेज नहर संकट क्या था?

स्वेज नहर संकट 1956 में हुआ एक वैश्विक विवाद था जब मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया। ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल ने इसका विरोध किया और मिस्र पर हमला किया, जिससे वैश्विक तनाव पैदा हुआ।

स्वेज नहर का महत्व क्या है?

स्वेज नहर भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है, जो यूरोप और एशिया के बीच का सबसे छोटा समुद्री मार्ग है। यह वैश्विक व्यापार और तेल परिवहन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कब हुआ?

स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण 26 जुलाई 1956 को मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर द्वारा किया गया था। इससे पहले नहर का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में था।

स्वेज नहर संकट में कौन से देश शामिल थे?

स्वेज नहर संकट में मिस्र, ब्रिटेन, फ्रांस, और इज़राइल मुख्य रूप से शामिल थे। इसके अलावा, अमेरिका और सोवियत संघ ने भी कूटनीतिक रूप से इस संकट में अहम भूमिका निभाई।

स्वेज नहर संकट का समाधान कैसे हुआ?

संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप और अमेरिका और सोवियत संघ के दबाव के कारण ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल को अपने सैनिकों को वापस बुलाना पड़ा और शांति स्थापित हुई।

स्वेज नहर संकट का दीर्घकालिक प्रभाव क्या था?

इस संकट के बाद, ब्रिटेन और फ्रांस की औपनिवेशिक शक्ति कमजोर हुई, जबकि नासिर की लोकप्रियता बढ़ी। साथ ही, अमेरिका और सोवियत संघ की वैश्विक राजनीति में प्रभावशीलता बढ़ी।

Post a Comment

0 Comments