Supreme Court : आरक्षण के अंदर कोटा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

आरक्षण के अंदर कोटा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी 

आरक्षण और सुप्रीम कोर्ट: 

आरक्षण का विषय भारत में कई दशकों से संवैधानिक, सामाजिक और राजनीतिक बहस का हिस्सा रहा है। आरक्षण को समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए न्याय का एक साधन माना गया है। लेकिन इसके अंतर्गत विशेष कोटा लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट की कई बार राय मांगी गई है।

आरक्षण के अंदर कोटा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को रिजर्वेशन कोटे को लेकर अपना 20 वर्ष पुराना फैसला पलट दिया। राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति (SC) के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी 

सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान बेंच ने बहुमत से फैसला दिया है कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों में वो सब कैटेगिरी बना सकती है जिन कैटेगिरी को ज्यादा आरक्षण का फायदा मिलेगा।

7 जजों की बेंच ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए 5 जजों के फैसले को पलट दिया। वर्ष 2004 में दिए उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी में अब सब कैटेगिरी नहीं बनाई जा सकती।

संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस बी आर गवई , जस्टिस विक्रम नाथ , जस्टिस बेला एम त्रिवेदी , जस्टिस पंकज मित्तल , जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के अंदर कोटा को मंज़ूरी देते हुए कहा है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब कैटेगरी बना सकती हैं. इस फ़ैसले के मुताबिक, राज्य सरकारें आरक्षण के अंदर कोटा बनाकर उन जातियों को ज़्यादा आरक्षण का फ़ायदा दे सकती हैं, जिन्हें ज़्यादा ज़रूरत है. 

इस फ़ैसले से जुड़ी कुछ और बातें:

यह फ़ैसला चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने दिया.

इस फ़ैसले में 6 जजों ने बहुमत से फ़ैसला दिया, जबकि एक जज ने अलग फ़ैसला दिया.

इस फ़ैसले से पहले साल 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में 5 जजों की बेंच ने फ़ैसला दिया था कि अनुसूचित जातियों में सब कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती.

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला: आरक्षण के अंदर कोटा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आरक्षण के अंदर कोटा की मंजूरी दी, जिसमें एससी/एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए उप-कोटा का प्रावधान किया गया। यह फैसला सामाजिक न्याय की अवधारणा को और भी मजबूत बनाता है, ताकि आरक्षित वर्गों के भीतर भी जो सबसे वंचित हैं, उन्हें भी उचित प्रतिनिधित्व मिले।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक तथ्य:

सुप्रीम कोर्ट का गठन 28 जनवरी 1950 को हुआ था, और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत स्थापित किया गया है। इसने आरक्षण जैसे कई संवैधानिक मामलों पर प्रमुख फैसले सुनाए हैं। इसके कुछ प्रमुख फैसले हैं:

1. इंदिरा साहनी केस (1992): इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 50% आरक्षण की सीमा तय की थी।

2. नगराज केस (2006): इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की वैधता को चुनौती दी और कहा कि इसका उपयोग तभी हो सकता है जब पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का सबूत हो।

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला 2024

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के अंदर कोटा को मंजूरी दी है। यह फैसला उन मामलों में महत्वपूर्ण है, जहां यह देखा गया कि आरक्षित वर्गों के भीतर भी असमानता है। इसलिए, आरक्षित वर्गों के भीतर और कमजोर समूहों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का क्रीमी लेयर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर की अवधारणा को पहली बार इंदिरा साहनी केस में सामने रखा था। इस फैसले के तहत OBC आरक्षण का लाभ उन लोगों को नहीं मिलेगा जो आर्थिक रूप से समृद्ध हैं। इसका उद्देश्य यह था कि आरक्षण केवल वंचितों को ही मिले, न कि समाज के समृद्ध वर्गों को।

राजनीतिक दृष्टिकोण

राजनीतिक दृष्टिकोण से आरक्षण के अंदर कोटा का मुद्दा सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच चर्चा का केंद्र रहा है। कुछ दल इसे समाजिक न्याय का कदम मानते हैं जबकि अन्य इसे तुष्टीकरण की राजनीति का हिस्सा बताते हैं। विभिन्न राज्य सरकारों ने भी अपने राज्य स्तर पर इस फैसले का समर्थन या विरोध किया है।

आरक्षण के अंदर कोटा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट से जुड़े प्रश्न और उनके उत्तर:

आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में आरक्षण के भीतर कोटा को मंजूरी दी है, जिससे एससी, एसटी और ओबीसी के अंदर उप-कोटा का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य आरक्षित वर्गों के भीतर भी वंचित समूहों को लाभ पहुंचाना है।

एससी एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2024 में क्या है?

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट की सख्ती को बनाए रखा, जिससे इसके तहत दर्ज मामलों में कोई ढील नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि इस कानून को सामाजिक अन्याय से लड़ने के लिए बनाया गया है।

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदी में क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा है, लेकिन 50% की सीमा का भी पालन किया है। हाल ही में आरक्षण के अंदर कोटा की मंजूरी एक महत्वपूर्ण कदम है।

आरक्षण का नया नियम क्या है?

आरक्षण के नए नियम के तहत आरक्षित वर्गों के भीतर भी कोटा लागू किया गया है, जिससे समाज के सबसे कमजोर वर्गों को प्राथमिकता मिल सके। इसके तहत क्रीमी लेयर का भी ध्यान रखा गया है।

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं, जिनमें आरक्षण की वैधता, प्रमोशन में आरक्षण और क्रीमी लेयर शामिल हैं। 2024 में आरक्षण के भीतर कोटा का निर्णय इसका ताजा उदाहरण है।

सुप्रीम कोर्ट का क्रीमी लेयर फैसला क्या है?

क्रीमी लेयर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OBC आरक्षण का लाभ केवल आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को ही मिलेगा। आर्थिक रूप से समृद्ध OBC वर्ग को इससे बाहर रखा जाएगा।

संविधान के अनुसार आरक्षण कब खत्म होगा?

संविधान में आरक्षण को समाप्त करने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, लेकिन इसे समय-समय पर संसद द्वारा समीक्षा की जाती है। हालांकि, कोर्ट ने कई बार कहा है कि आरक्षण का लक्ष्य समाज में समानता लाना है, और जब यह उद्देश्य पूरा होगा, तब इसे समाप्त किया जा सकता है।

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आरक्षण के अंदर कोटा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

Supreme Court of India: Historical Facts and Important Cases

The Supreme Court of India is the apex judicial authority in the country. It was established on January 28, 1950, following the adoption of the Constitution of India. 

It acts as the highest court of appeal, the guardian of the Constitution, and the protector of fundamental rights.

Key Historical Facts:

1. Establishment: The Supreme Court replaced the Federal Court of India, which was the highest judicial authority during British rule. It is located in New Delhi.

2. Constitutional Authority: Under Article 124 of the Indian Constitution, the Supreme Court is established, with powers and jurisdiction defined in Part V of the Constitution.

3. Independence of Judiciary: The Court operates independently of the executive and legislative branches of the government.

4. Composition: Initially, the Supreme Court had a Chief Justice and seven other judges. Over time, the number of judges has increased, and as of 2024, there are 34 judges in the Supreme Court, including the Chief Justice.

Important Landmark Cases:

1. Keshavananda Bharati Case (1973): The doctrine of basic structure was introduced, limiting Parliament's power to amend the Constitution. The Court ruled that Parliament could not alter the basic structure or essential features of the Constitution.

2. Maneka Gandhi v. Union of India (1978): This case expanded the scope of Article 21 (Right to Life and Personal Liberty), stating that the right to life includes various personal freedoms.

3. Indira Sawhney Case (1992): Popularly known as the Mandal Commission case, it upheld the government's decision to reserve 27% of government jobs for backward classes, affirming affirmative action in India.

4. Shah Bano Case (1985): A landmark judgment where the Court ruled in favor of maintenance rights for Muslim women under the secular Criminal Procedure Code, despite opposition from religious bodies.

5. Sabarimala Verdict (2018): The Court allowed women of all ages to enter the Sabarimala Temple in Kerala, ending a long-standing religious ban on women of menstruating age.

6. Right to Privacy Case (2017): The Supreme Court ruled that the right to privacy is a fundamental right under Article 21.

7. Ayodhya Verdict (2019): The Supreme Court settled the Babri Masjid-Ram Janmabhoomi dispute, awarding the disputed land to Hindus and directing the government to provide alternate land to the Muslim community.

Chief Justice of India (CJI): Selection, Tenure, and Functions

The Chief Justice of India (CJI) is the head of the Supreme Court and the senior-most judge in the judiciary. The position of the CJI is constitutionally recognized under Article 124 of the Constitution.

Selection Process (Chayan Prakriya):

The Chief Justice is appointed by the President of India.

Traditionally, the senior-most judge of the Supreme Court is appointed as the CJI. This is based on a convention and has been followed in most cases, though there is no written law enforcing this practice.

Before the CJI retires, they recommend their successor, generally the next senior-most judge, to the President.

Tenure (Karyakal):

The tenure of the CJI is until the age of 65. After reaching this age, the CJI must retire. Unlike political positions, there is no fixed term for the CJI’s service, but the retirement age is set by the Constitution.

Since judges are appointed based on seniority, some Chief Justices may have shorter tenures if they are close to retirement when appointed.

Role and Powers:

Administrative Head: The CJI is responsible for the administration of the court, including the distribution of work among the judges and the formation of benches.

Judicial Functions: The CJI presides over constitutional benches, significant cases, and often heads the court in matters of national importance.

Advisory Role: Under Article 143, the President can seek advice from the Supreme Court on important legal questions, with the CJI playing a key role in the process.

Notable Chief Justices:

Justice H.J. Kania: The first Chief Justice of India (1950-1951).

Justice Y.V. Chandrachud: Served as CJI from 1978 to 1985, the longest tenure in the history of the Supreme Court.

Justice Ranjan Gogoi: Delivered the landmark Ayodhya verdict.

Justice D.Y. Chandrachud (current CJI in 2024): Known for progressive rulings and significant contributions to cases on privacy, equality, and social justice.

Important Points for SSC Exam:

1. Constitutional Articles:

Article 124: Establishment of the Supreme Court.

Article 137: Supreme Court’s power to review its judgments or orders.

Article 141: Law declared by the Supreme Court is binding on all courts in India.

2. Role of Judiciary: Understand the role of the judiciary in protecting fundamental rights, its independence from the other branches, and its ability to review laws passed by Parliament.

3. Chief Justice of India:

Age limit: 65 years.

Appointment by the President.

Traditionally based on seniority.

Functions include administrative duties, judicial work, and heading constitutional benches.

4. Tenure and Retirement: The Chief Justice of India retires at 65, and there is no fixed term.











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