भारत में कहां से आया था कोहिनूर और कौन था इसका पहला मालिक।

भारत में कहां से आया था कोहिनूर और कौन था इसका पहला मालिक।

भारत में कहां से आया था कोहिनूर

कोहिनूर हीरा, जिसे दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद हीरा माना जाता है, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है। यह अद्भुत हीरा कई शासकों के हाथों से गुजरते हुए आज ब्रिटिश ताज का हिस्सा बन चुका है। 
भारत में कहां से आया था कोहिनूर और कौन था इसका पहला मालिक।

कोहिनूर का इतिहास लगभग 800 साल पुराना है। यह हीरा भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित गोलकुंडा की खानों से निकाला गया था। इसका नाम "कोहिनूर" फारसी शब्दों से लिया गया है, जिसका अर्थ "प्रकाश का पर्वत" है। यह हीरा उस समय के सबसे प्रसिद्ध और मूल्यवान रत्नों में से एक था, और इसे शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता था।

कोहिनूर का पहला मालिक काकतीय वंश के शासक थे, जिनका शासन दक्षिण भारत के तेलंगाना और आंध्र प्रदेश क्षेत्रों में था। 

19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में आ गया और इसे महारानी विक्टोरिया को उपहार के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसके बाद से यह ब्रिटेन के शाही खजाने का हिस्सा बन गया।

कोहिनूर हीरा: कहां से आया और किसने इसे सबसे पहले पहना? जानिए इसके रहस्यमयी इतिहास के बारे में

कोहिनूर की उत्पत्ति

कोहिनूर हीरा भारत की गोलकुंडा खानों से निकला था। गोलकुंडा, जो आज के आंध्र प्रदेश राज्य का हिस्सा है, उस समय विश्व के सबसे प्रमुख हीरे की खानों के लिए जाना जाता था। कोहिनूर के साथ ही "ग्रेट मोगुल" और "होप डायमंड" जैसे प्रसिद्ध हीरे भी इन्हीं खानों से निकले थे।

कोहिनूर को सबसे पहले काकतीय वंश के राजा ने पहना था, जिनके पास यह 13वीं शताब्दी में था। इस वंश ने इसे अपने शाही ताज और खजाने का हिस्सा बनाया था।

मुगल साम्राज्य के शासक बाबर के शासनकाल के दौरान यह हीरा मुगलों के पास आ गया और इसके बाद यह शाहजहां के तख्त-ए-ताउस में लगाया गया। यह वही तख्त है जिसे "मयूर सिंहासन" भी कहा जाता है।

कोहिनूर का पहला ऐतिहासिक मालिक काकतीय वंश का राजा था। इसके बाद, यह हीरा मुगलों के पास गया, और फिर 1739 में फारसी शासक नादिर शाह ने इसे दिल्ली पर हमला करके हासिल किया और इसे "कोहिनूर" नाम दिया।

इसके बाद यह अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली और उनके वंशजों के पास गया। अंततः, 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने इसे हासिल किया। 1849 में पंजाब के अंग्रेजों द्वारा विजय प्राप्त करने के बाद, कोहिनूर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में चला गया और इसे महारानी विक्टोरिया को उपहार में दिया गया।

कोहिनूर हीरे की खोज: भारत में इसकी उत्पत्ति और पहला दावा किसने किया?

हीरे की खोज

कोहिनूर हीरा भारत के आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा खानों से 13वीं शताब्दी के आसपास निकाला गया था। गोलकुंडा की खानें उस समय के विश्व के सबसे बड़े और प्रसिद्ध हीरों का स्रोत थीं। यह खानें काकतीय वंश के नियंत्रण में थीं। इसके बाद यह दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य के पास गया, जिन्होंने इसे और भी प्रसिद्ध बना दिया।

भारत में कहां से आया था कोहिनूर और कौन था इसका पहला मालिक।

माना जाता है कि 13वीं सदी में दक्षिण भारतीय हिंदू काकतीय वंश के दौर में इसे आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के हीरे की प्रसिद्ध कोलार खान से खोजा गया था। उस समय इसका भार 793 कैरेट (158.6 ग्राम) था।

दिल्ली सल्तनत 

खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी के जनरल मलिक काफूर ने 1310 ई. में काकतीय वंश की राजधानी वारंगल पर हमला कर लूटा था। वहां से वह कोहिनूर को दिल्ली लेकर आया।

दिल्ली सल्तनत की विभिन्न शासकों के बाद यह मुगल वंश के नियंत्रण में आया। हुमायूं के संस्मरण में इसका उल्लेख मिलता है। 5वें मुगल शासक शाहजहां के मयूर सिंहासन में यह जड़ा गया था। औरंगजेब के दौर में इसे काटा गया। उसके बाद इसका भार घटकर 186 कैरेट (37.2 ग्राम) रह गया।

नादिर शाह 

1739 ई. में पारस के शाह नादिर शाह (ईरान का नेपोलियन) ने दिल्ली पर आक्रमण किया। उसने कमजोर पड़ चुके मुगल साम्राज्य के खजाने को लूटा। उसे अन्य महत्वपूर्ण सामग्री के साथ मयूर सिंहासन में कोहिनूर मिला। वह इसे साथ ले गया और वहीं इसे कोहिनूर (माउंटेन ऑफ लाइट) नाम मिला।

महाराजा रणजीत सिंह 

1747 ई. में नादिर शाह की हत्या और उसके साम्राज्य के पतन के बाद उसके एक जनरल और अफगानिस्तान के अमीर अहमद शाह दुर्रानी के हाथ कोहिनूर लगा। उसका एक वंशज शुजा शाह दुर्रानी एक ब्रेसलेट में इसे धारण करता था।

अपने दुश्मनों से घिरने के बाद शुजा शाह दुर्रानी 1813 ई. में लाहौर आया। वहां महाराजा रणजीत सिंह से वह मिला।  उनके स्वागत के बदले में कोहिनूर उसने रणजीत सिंह को दे दिया।

अंग्रेजों का कब्जा 

महाराजा रणजीत सिंह ने इसी जगन्नाथ पुरी को दान करने की इच्छा व्यक्त की थी। लेकिन 1839 ई. में उनकी मृत्यु होने के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ने उनकी इच्छा पूरी नहीं की थी। 

मार्च 1849 ई. में द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध के बाद पंजाब रियासत को ब्रिटिश भारत में शामिल कर लिया गया। लाहौर संधि के अंतर्गत कोहिनूर को गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राञी महारानी विक्टोरिया के पास भेज दिया था।

1852 ई. में महारानी विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट के आदेश पर इसे पुनः काटा गया। उसके बाद यह 42% हल्का होकर 105.6 कैरेट (21.12 ग्राम) का रह गया। 

स्वतंत्रता के बाद से भारत और पाकिस्तान इस पर अपना दावा करते हुए इसे पुनः मांगते रहे हैं। अफगानिस्तान भी इस पर अपना दावा करता रहा है।

विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे को देश में वापस लाए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अप्रैल 2016 को जवाब मांगा है इसके साथ ही एक बार फिर कोहिनूर को ब्रिटेन से भारत लाने की मांग तीव्र हुई है।

भारत में कहां से आया था कोहिनूर और कौन था इसका पहला मालिक।

कोहिनूर हीरे का इतिहास 

कोहिनूर हीरा गोलकुंडा (तेलंगाना) की खान से निकाला गया था। इसका सर्वप्रथम उल्लेख अलाउद्दीन खिलजी के समय में मिलता है। जब तेलंगाना के शासक 'प्रताप रुद्रदेव' से प्रथम बार यह हीरा सल्तनत कालीन शासक अलाउद्दीन खिलजी को उसके एक सेनापति मलिक काफूर ने 1310 ई. में भेंट किया था।

पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) के बाद ग्वालियर के राजा विक्रमजीत सिहं से यह हीरा हुमायूं को मिला। उस समय कोहिनूर हीरे का वजन 320 रत्ती समग्र विश्व के लिए ढाई दिन के भोजन के बराबर था। 

हुमायूं के बाद कोहिनूर हीरा क्रमशः मुगल शासको के राजमुकुट की शोभा बढ़ाता रहा। 1739 ई को मुगल शासक मोहम्मद शाह पर आक्रमण कर यह हीरा ईरान का नेपोलियन कहा जाने वाला 'नादिरशाह' लूट ले गया था। नादिर शाह की मृत्यु के बाद इस पर अहमद शाह अब्दाली का अधिकार हो गया और उसके बाद पुत्र शाह शुजा को प्राप्त हुआ।

1809 ई. के लगभग यह कोहिनूर हीरा अफगानिस्तान के शासक शाह शुजा ने महाराजा रणजीत सिंह (अंतिम सिख शासक) को भेंट कर दिया। 30 मार्च 1849 को 'गुजरात के युद्ध' में अंग्रेजों से दिलीप सिंह पराजित हो गए। इस समय दिलीप सिंह से यह हीरा लेकर तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटेन से तत्कालीन महारानी को भेंट कर दिया , तब से यह हीरा जो वर्तमान में 3 टुकड़ों में विभाजित है। प्रथम टुकड़ा : ब्रिटिश म्यूजियम में है जबकि द्वितीय व तृतीय टुकड़ा: ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में विद्यमान है।

भारत में कहां से आया था कोहिनूर और कौन था इसका पहला मालिक।

कोहिनूर: भारत के सबसे प्रसिद्ध हीरे की कहानी और इसका पहला ऐतिहासिक मालिक कौन था?

कोहिनूर की कहानी भारत में शुरू होती है, जहां इसे पहली बार काकतीय वंश के शासकों ने प्राप्त किया। इसके बाद यह कई शासकों के पास गया और अंततः ब्रिटेन के शाही ताज का हिस्सा बना। कोहिनूर का पहला ऐतिहासिक मालिक काकतीय वंश था, जो इसे अपनी शक्ति का प्रतीक मानते थे।

कोहिनूर हीरे का इतिहास सिर्फ एक हीरे की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत और ब्रिटेन के बीच की सांस्कृतिक और राजनीतिक यात्रा की गाथा है। इसका असली मालिक काकतीय वंश था, और यह भारत की समृद्ध धरोहर का प्रतीक था। हालांकि आज यह ब्रिटेन के ताज का हिस्सा है, लेकिन इसके भारतीय कनेक्शन को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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कोहिनूर हीरा किस साल खोजा गया था?

कोहिनूर हीरे की खोज 13वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा खानों में हुई थी।

कोहिनूर का पहला मालिक कौन था?

कोहिनूर का पहला मालिक काकतीय वंश का राजा था।

कोहिनूर को भारत से कब छीन लिया गया?

नादिर शाह ने 1739 में दिल्ली से कोहिनूर हीरा छीन लिया था।

कोहिनूर हीरा ब्रिटेन कब पहुंचा?

1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे कब्जे में लिया और इसे ब्रिटेन भेजा गया।

कोहिनूर आज कहां है?

कोहिनूर आज ब्रिटेन के शाही ताज का हिस्सा है।

क्या भारत ने कोहिनूर को वापस लाने की मांग की है?

हां, भारत ने कई बार कोहिनूर हीरे को वापस लाने की मांग की है।

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