विश्व शिक्षक दिवस: शिक्षा के स्तंभों को सम्मानित करने का दिन

विश्व शिक्षक दिवस: शिक्षा के स्तंभों को सम्मानित करने का दिन

World Teachers Day 

विश्व शिक्षक दिवस हर साल 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के महान योगदान को सम्मानित करने और उनके समर्पण को सराहने के लिए समर्पित है। शिक्षक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वे छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि उन्हें जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं। 

विश्व शिक्षक दिवस: शिक्षा के स्तंभों को सम्मानित करने का दिन

2024 के लिए विश्व शिक्षक दिवस की थीम है "हमारी शिक्षा के लिए जिन शिक्षकों की आवश्यकता है", जो इस बात पर केंद्रित है कि बेहतर भविष्य के लिए किस तरह के शिक्षकों की आवश्यकता है।

विश्व शिक्षक दिवस का इतिहास

विश्व शिक्षक दिवस की शुरुआत 1994 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा की गई थी। यह दिन 1966 में यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा अपनाई गई सिफारिशों की वर्षगांठ का प्रतीक है, जिसमें शिक्षकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों, उनके कार्य की स्थितियों और शिक्षा प्रणाली में उनकी भूमिका को पहचाना गया।

शिक्षकों की भूमिका और महत्व

शिक्षक शिक्षा के केंद्र में होते हैं। वे न केवल पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों को भी आकार देते हैं। एक अच्छा शिक्षक केवल एक विषय में विशेषज्ञ नहीं होता, बल्कि एक मार्गदर्शक होता है जो बच्चों में उत्सुकता, रचनात्मकता और समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित करता है।

विश्व शिक्षक दिवस अब वैश्विक स्तर पर 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है, जहाँ शिक्षकों के योगदान को मान्यता दी जाती है और उनकी बेहतरी के लिए नीतियों और कार्यक्रमों पर चर्चा की जाती है।

शिक्षा में चुनौतियाँ

हालांकि शिक्षक समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा के लिए संसाधनों की कमी, असमान वेतन और कार्य के प्रति सम्मान की कमी जैसी समस्याएं आज भी कई देशों में मौजूद हैं। शिक्षकों को प्रभावी रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, समर्थन और सम्मान देना बहुत महत्वपूर्ण है।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के विचार 

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, शिक्षा और शिक्षकों के प्रति अपने दृष्टिकोण के लिए बेहद सम्मानित हैं। डॉ. कलाम को भारत में "जनता के राष्ट्रपति" के रूप में जाना जाता है, और वे खुद को हमेशा एक शिक्षक मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षक ही समाज और देश के भविष्य का निर्माण करते हैं।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के अनुसार, एक शिक्षक न केवल ज्ञान प्रदान करता है बल्कि बच्चों को प्रेरित करता है और उन्हें अच्छे नागरिक बनने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

विश्व शिक्षक दिवस: शिक्षा के स्तंभों को सम्मानित करने का दिन

डॉ. कलाम ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक शिक्षा को बढ़ावा दिया27 जुलाई 2015 को, जब वे शिलांग में एक व्याख्यान दे रहे थे, तभी उनका निधन हो गया। यह उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उनकी शिक्षकों के प्रति श्रद्धा और विचार उन्हें शिक्षक दिवस से जुड़ी एक प्रेरणादायक शख्सियत के रूप में प्रस्तुत करते हैं,

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम शिक्षा के प्रति गहरे समर्पित थे और उन्होंने अपने जीवन में शिक्षकों और शिक्षा की महत्ता पर कई महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। यहां कुछ प्रमुख बिंदु दिए जा रहे हैं, जो उनके दृष्टिकोण और विचारधारा को स्पष्ट करते हैं:

शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्ति नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण है

डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल जानकारी या तथ्यों को सिखाना नहीं है, बल्कि छात्रों के व्यक्तित्व और नैतिक मूल्यों को विकसित करना भी है। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा से छात्रों में ईमानदारी, आत्मविश्वास, अनुशासन और सहानुभूति जैसे गुण उत्पन्न होने चाहिए। उनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल सफल करियर बनाना नहीं, बल्कि अच्छे इंसान तैयार करना होना चाहिए।

शिक्षक का कार्य भविष्य निर्माण करना है

डॉ. कलाम ने कहा कि शिक्षक का काम सिर्फ पाठ्यक्रम पढ़ाना नहीं है, बल्कि भविष्य बनाना है। उनका कहना था कि शिक्षक समाज का निर्माता है। वे मानते थे कि शिक्षक न केवल विद्यार्थियों को ज्ञान देते हैं, बल्कि उनके भविष्य को भी बनाते हैं। शिक्षक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका प्रभाव छात्रों की सोच और जीवन पर गहरा पड़ता है।

शिक्षक समाज का वास्तविक मार्गदर्शक होता है

डॉ. कलाम शिक्षकों को समाज के वास्तविक मार्गदर्शक मानते थे। उनका मानना था कि एक शिक्षक समाज में बदलाव लाने और विकास की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है। शिक्षकों के बिना कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता। 

उन्होंने कहा था, "अगर किसी राष्ट्र को भ्रष्टाचार से मुक्त और सुंदर मस्तिष्कों वाले लोगों का देश बनाना है, तो मुझे दृढ़ता से विश्वास है कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य हैं जो यह कर सकते हैं – पिता, माता और शिक्षक।"

विश्व शिक्षक दिवस: शिक्षा के स्तंभों को सम्मानित करने का दिन

शिक्षकों का छात्र जीवन पर गहरा प्रभाव

डॉ. कलाम ने अपने जीवन के कई उदाहरणों में बताया कि कैसे उनके शिक्षकों का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

उन्होंने अपने बचपन के शिक्षक अय्यादुराई सोलोमन का जिक्र करते हुए कहा कि वे न केवल विज्ञान सिखाते थे, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांत भी सिखाते थे, जैसे आत्मविश्वास और परिश्रम। डॉ. कलाम के जीवन में शिक्षक एक प्रेरणा स्त्रोत थे, और वे हमेशा मानते थे कि शिक्षक छात्रों के जीवन में प्रेरणा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।

शिक्षकों को देश के निर्माण का जिम्मा सौंपना चाहिए

डॉ. कलाम ने कहा था, "यदि आप देश को भ्रष्टाचार मुक्त और विकासशील राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो समाज में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं।" उनका यह संदेश यह बताता है कि शिक्षकों को न केवल शिक्षा प्रणाली के सुधार में शामिल किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित भी किया जाना चाहिए।

शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ना

डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षा प्रणाली को इस तरह से ढालना चाहिए कि छात्र न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि उन्हें ऐसे कौशल भी सिखाए जाएं जो उन्हें रोजगार के योग्य बनाएं। वे हमेशा युवाओं को स्व-निर्भर बनाने पर जोर देते थे, ताकि वे अपने कौशल से रोजगार पा सकें और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।

विश्व शिक्षक दिवस: शिक्षा के स्तंभों को सम्मानित करने का दिन

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का शिक्षा और शिक्षकों के प्रति दृष्टिकोण भविष्य-निर्माण पर आधारित था। उनके विचार हमें यह सिखाते हैं कि एक शिक्षक न केवल एक ज्ञानदाता होता है, बल्कि एक मार्गदर्शक, प्रेरक और राष्ट्र-निर्माता भी होता है। उनकी शिक्षाओं को अपनाकर हम बेहतर समाज और बेहतर शिक्षा प्रणाली की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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