FAQ
1. भारतीय नौसेना में शामिल प्रथम नाभिकीय पनडुब्बी का नाम क्या था?
भारत को अपने एटीवी कार्यक्रम के तहत चार परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (एसएसबीएन) का निर्माण करने की उम्मीद है। इस श्रेणी का पहला पोत, आईएनएस अरिहंत , अगस्त 2016 में चालू किया गया था, और 2018 में सक्रिय सेवा में प्रवेश किया।
2. भारतीय जल सेना द्वारा हाल में कौन सी पनडुब्बी खड़ी गई है?
आईएनएस वाघशीर (INS Vagsheer)...
ये कलवारी क्लास यानी स्कॉर्पीन क्ला की डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है. यह पनडुब्बी इस साल दिसंबर में तैनात हो जाएगी. यह एंटी-सरफेस, एंटी-सबमरीन वारफेयर में माहिर है.
3. भारत की पहली पनडुब्बी का नाम क्या है?
आईएनएस कलवरी (एस23) भारतीय नौसेना की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की कलवरी श्रेणी का प्रमुख पोत था। यह भारतीय नौसेना द्वारा सेवा में शामिल की गई पहली पनडुब्बी थी।
4. हाल ही में विशाखापत्तनम में लॉन्च की गई स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी का नाम क्या है?
आईएनएस अरिघाट अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी का उन्नत संस्करण है। यह विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी पोत (एटीवी) परियोजना के तहत भारत द्वारा बनाई गई दूसरी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है। इसका कोड नाम S3 है।
5. भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग की जाने वाली पनडुब्बी प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल का नाम क्या है?
भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग की जाने वाली पनडुब्बी प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल का नाम के-4 मिसाइल है।
6. हाल ही में भारतीय नौसेना द्वारा कमीशन किया गया विनेत्रा क्या है?
विनेत्रा भारतीय नौसेना की पनडुब्बी पलायन प्रशिक्षण सुविधा है, जिसे पनडुब्बी क्रू को आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षित पलायन की ट्रेनिंग देने के लिए कमीशन किया गया है।
7. विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना के पनडुब्बी प्रशिक्षण अड्डे का नाम क्या है?
विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना के पनडुब्बी प्रशिक्षण अड्डे का नाम आईएनएस सातवाहन (INS Satavahana) है।
8. कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी का निर्माण भारत में किस भारतीय शिपयार्ड द्वारा किया गया है?
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण मज़गांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई द्वारा किया गया है।
9. भारतीय नौसेना की कलवरी पनडुब्बी पलायन प्रशिक्षण सुविधा, विनेत्रा का निर्माण किस कंपनी ने किया है?
विनेत्रा पनडुब्बी पलायन प्रशिक्षण सुविधा का निर्माण L&T (Larsen & Toubro) कंपनी द्वारा किया गया है।
10. भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 के तहत कितनी पनडुब्बियों का निर्माण किया गया है?
प्रोजेक्ट 75 के तहत भारतीय नौसेना के लिए 6 पनडुब्बियों का निर्माण किया गया है।
11. IDAX-24 एक्सपो का उद्घाटन किसने किया?
उत्तर: IDAX-24 एक्सपो का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2024 में जोधपुर में किया।
12. IDAX-24 एक्सपो क्या है?
उत्तर: IDAX-24 (International Defence and Aerospace Exhibition) एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रक्षा और एयरोस्पेस प्रदर्शनी है, जहां नवीनतम रक्षा तकनीकों और उत्पादों का प्रदर्शन होता है।
13. IDAX-24 एक्सपो कहां आयोजित किया गया?
उत्तर: IDAX-24 एक्सपो जोधपुर, राजस्थान में आयोजित किया गया।
14. राजनाथ सिंह ने IDAX-24 एक्सपो में कौन से मुख्य मुद्दों पर बात की?
उत्तर: राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता, नवीनतम रक्षा तकनीकों और भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर ज़ोर दिया।
15. IDAX-24 एक्सपो का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: IDAX-24 एक्सपो का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग में नवीनतम तकनीकों का आदान-प्रदान करना और भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
16. IDAX-24 एक्सपो में किन देशों ने हिस्सा लिया?
उत्तर: IDAX-24 एक्सपो में विभिन्न देशों ने हिस्सा लिया, जिनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजराइल जैसे प्रमुख रक्षा उत्पादक देश शामिल थे।
17. IDAX-24 एक्सपो में किस प्रकार की तकनीकों का प्रदर्शन किया गया?
उत्तर: एक्सपो में ड्रोन, मिसाइल सिस्टम, लड़ाकू विमान, और अन्य रक्षा और एयरोस्पेस से जुड़ी उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
18. IDAX-24 एक्सपो का भारत के लिए क्याें महत्व है?
उत्तर: IDAX-24 एक्सपो भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की रक्षा तकनीकों को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का एक बेहतरीन मंच है।
19. राजनाथ सिंह ने IDAX-24 एक्सपो के दौरान कौन से नए रक्षा समझौते किए?
उत्तर: राजनाथ सिंह ने कई प्रमुख देशों के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग और तकनीकी साझेदारी के समझौतों पर चर्चा की, हालांकि विशिष्ट समझौतों की जानकारी मीडिया में आने के बाद स्पष्ट होगी।
20. IDAX-24 एक्सपो भारतीय रक्षा क्षेत्र को कैसे प्रभावित करेगा?
उत्तर: IDAX-24 एक्सपो भारतीय रक्षा उद्योग को नई तकनीकों और वैश्विक साझेदारी के अवसर प्रदान करेगा, जिससे भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
21. नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य कहां स्थित हैं?
नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य बिहार राज्य में स्थित हैं। ये दोनों अभयारण्य जमुई जिले के समीप हैं। ये क्षेत्र अपने विविध पक्षी जीवन और आर्द्रभूमियों के कारण प्रसिद्ध हैं। हाल ही में इन दोनों अभयारण्यों को रामसर साइट्स के रूप में मान्यता मिली है।
22. रामसर साइट्स क्या होती हैं?
रामसर साइट्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से बनाई गई सूची होती हैं। इसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिक महत्व को पहचानना और उनका संरक्षण करना है। भारत में कई महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को इस सूची में शामिल किया गया है।
23. नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट्स में क्यों शामिल किया गया?
नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट्स में उनकी जैवविविधता और पक्षियों की विविधता के कारण शामिल किया गया। ये स्थल कई लुप्तप्राय और प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो इन आर्द्रभूमियों पर निर्भर हैं, जिससे इनका संरक्षण जरूरी हो जाता है।
24. रामसर कन्वेंशन क्या है?
रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसका उद्देश्य विश्व की आर्द्रभूमियों को संरक्षित करना है। इसे 1971 में ईरान के रामसर शहर में स्थापित किया गया था। यह संधि आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिक महत्व को मान्यता देती है और उनके सतत उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
25. नागी और नकटी अभयारण्य में कौन से पक्षी प्रमुख रूप से पाए जाते हैं?
नागी और नकटी अभयारण्य में प्रवासी और स्थानीय दोनों प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। प्रमुख पक्षियों में बार-हेडेड गीज़, ग्रेटर फ्लेमिंगो, और भारतीय सारस शामिल हैं। इन अभयारण्यों में सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है।
26. रामसर साइट्स में नागी और नकटी को शामिल करने का क्या महत्व है?
नागी और नकटी अभयारण्य को रामसर साइट्स में शामिल करने से उनकी वैश्विक पहचान बढ़ेगी और संरक्षण के प्रयासों में तेजी आएगी। यह कदम इन अभयारण्यों की पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित रखने और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
27. बिहार में और कौन से स्थल रामसर साइट्स के रूप में मान्यता प्राप्त हैं?
बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और काबर ताल रामसर साइट्स के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। नागी और नकटी के शामिल होने के बाद राज्य में रामसर साइट्स की संख्या बढ़ गई है, जो आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
28. नागी और नकटी अभयारण्य पर्यटकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
नागी और नकटी अभयारण्य अपने पक्षी जीवन और जैवविविधता के कारण पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ के शांत वातावरण और विविध पक्षियों की उपस्थिति पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने में मदद करती है। यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श है।
29. रामसर साइट्स के रूप में मान्यता मिलने के बाद इन अभयारण्यों में कौन से संरक्षण उपाय लागू किए जाएंगे?
रामसर साइट्स के रूप में मान्यता मिलने के बाद नागी और नकटी अभयारण्य में आर्द्रभूमि संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और जैवविविधता की रक्षा के लिए कई उपाय किए जाएंगे। इन क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों को रोकने और स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
30. नागी और नकटी अभयारण्य के निकट कौन से प्रमुख आकर्षण स्थल हैं?
नागी और नकटी अभयारण्य के निकट जमुई के कई प्रमुख स्थल हैं, जिनमें नागी-नकटी झीलें और आसपास के पहाड़ी क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटन और ट्रैकिंग के लिए भी विशेष आकर्षण होते हैं, जो पर्यटकों को खींचते हैं।
31. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण को कब मंजूरी मिली?
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के चौथे चरण को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024 में मंजूरी दी। इस चरण के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में सड़कों के निर्माण और सुधार के लिए लगभग 64,000 किलोमीटर की सड़कें बनाई जाएंगी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
32. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के चौथे चरण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जिससे दूरदराज के गांवों को शहरों और मुख्य मार्गों से जोड़ा जा सके। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा और विकास में योगदान देगा।
33. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण की लागत कितनी है?
चौथे चरण की अनुमानित लागत लगभग ₹40,000 करोड़ है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर योगदान देंगी। इस राशि का उपयोग नई सड़कों के निर्माण और पुरानी सड़कों के उन्नयन के लिए किया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात की स्थिति में सुधार होगा।
34. PMGSY के चौथे चरण के अंतर्गत कितनी सड़कें बनाई जाएंगी?
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में लगभग 64,000 किलोमीटर की सड़कें बनाई जाएंगी। इसका उद्देश्य पिछड़े और दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य सड़कों से जोड़ना है ताकि वहां की जनसंख्या को यातायात और रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।
35. चौथे चरण के तहत किन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी?
PMGSY के चौथे चरण में पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन इलाकों में सड़कों के निर्माण से ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी सुधरेगी और विकास की धारा में ये क्षेत्र शामिल हो सकेंगे। साथ ही, दुर्गम क्षेत्रों को भी मुख्य मार्गों से जोड़ा जाएगा।
36. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के पिछले चरणों में क्या सफलता मिली?
PMGSY के पिछले तीन चरणों में 1.8 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है, जिससे लगभग 90% ग्रामीण भारत को मुख्य मार्गों से जोड़ा गया है। इन सड़कों ने ग्रामीण इलाकों में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
37. PMGSY के चौथे चरण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
PMGSY के चौथे चरण से ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे कृषि उत्पादों का परिवहन सुगम होगा। बेहतर सड़कों के कारण रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे समग्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
38. PMGSY के चौथे चरण में पर्यावरण संरक्षण को कैसे ध्यान में रखा गया है?
PMGSY के चौथे चरण में पर्यावरण संरक्षण के उपायों का भी ध्यान रखा गया है। इसमें सड़क निर्माण के दौरान स्थानीय सामग्री का उपयोग किया जाएगा और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण जैसे कार्यों पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही हरित प्रौद्योगिकियों का भी उपयोग किया जाएगा।
39. PMGSY के चौथे चरण में कौन सी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा?
PMGSY के चौथे चरण में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिसमें ड्रोन सर्वेक्षण, जीपीएस आधारित ट्रैकिंग, और डिजिटल मैपिंग जैसी तकनीकों का समावेश होगा। ये तकनीकें सड़कों के निर्माण और रखरखाव की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेंगी।
40. PMGSY के चौथे चरण से ग्रामीण लोगों को किस प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी?
PMGSY के चौथे चरण से ग्रामीण लोगों को बेहतर सड़कों की सुविधा मिलेगी, जिससे उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और बाजारों तक पहुंच में आसानी होगी। इस योजना से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार आएगा।
41. नोएडा में मोटो जीपी इवेंट का क्या महत्व है?
नोएडा में मोटो जीपी इवेंट भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि यह पहली बार है जब देश में विश्व स्तरीय मोटरसाइकिल रेसिंग इवेंट का आयोजन हो रहा है, जो उत्तर प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगा।
42. नोएडा में मोटो जीपी इवेंट कब आयोजित होगा?
नोएडा में मोटो जीपी इवेंट 22 से 24 सितंबर 2023 के बीच आयोजित होगा, जो भारत में पहली बार हो रही इस रोमांचक रेसिंग प्रतियोगिता को दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाएगा।
43. नोएडा में मोटो जीपी रेस कहां आयोजित हो रही है?
नोएडा में मोटो जीपी रेस बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में आयोजित हो रही है, जो अपनी अत्याधुनिक सुविधाओं और रेसिंग ट्रैक के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
44. नोएडा में मोटो जीपी इवेंट का आर्थिक प्रभाव क्या होगा?
मोटो जीपी इवेंट से नोएडा की अर्थव्यवस्था को पर्यटन, होटल उद्योग और परिवहन क्षेत्रों में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार के नए अवसरों का लाभ मिलेगा, जिससे स्थानीय विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
45. नोएडा मोटो जीपी इवेंट के लिए सुरक्षा उपाय क्या हैं?
मोटो जीपी इवेंट के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल टीम, आपातकालीन सेवाएं और अत्याधुनिक ट्रैक सुरक्षा व्यवस्था की गई है, ताकि रेसर और दर्शक दोनों सुरक्षित रहें।
46. नोएडा मोटो जीपी में कौन से प्रमुख रेसर भाग ले रहे हैं?
नोएडा मोटो जीपी में मार्क मार्केज़, फैबियो क्वार्टरारो और फ्रांसेस्को बागनाइया जैसे प्रसिद्ध रेसर भाग ले रहे हैं, जिनके अद्वितीय कौशल और तेज गति से दर्शक रोमांचित होंगे।
47. नोएडा मोटो जीपी इवेंट के लिए टिकट कैसे खरीदे जा सकते हैं?
नोएडा मोटो जीपी इवेंट के लिए टिकट बुक माई शो और इवेंट की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं, जहाँ दर्शकों के लिए विभिन्न प्रकार की सीटिंग व्यवस्था उपलब्ध है।
48. बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट मोटो जीपी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, जो पहले फॉर्मूला 1 रेस की मेजबानी कर चुका है, मोटो जीपी के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है। इसकी उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर और चुनौतीपूर्ण ट्रैक इसे विश्व स्तरीय रेसिंग के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
49. नोएडा मोटो जीपी में दर्शकों के लिए कौन-कौन सी परिवहन सुविधाएं हैं?
मोटो जीपी के दर्शकों के लिए नोएडा में मेट्रो, बस और टैक्सी जैसी परिवहन सुविधाओं के साथ-साथ विशेष यातायात व्यवस्था की गई है, जिससे आसानी से इवेंट स्थल तक पहुँचा जा सके।
50. मोटो जीपी की मेजबानी से उत्तर प्रदेश की वैश्विक छवि को क्या लाभ होगा?
मोटो जीपी की मेजबानी से उत्तर प्रदेश की वैश्विक छवि को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल आयोजनों की मेजबानी करने में सक्षम बताया जाएगा और प्रदेश में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।
Q51. प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) क्या है?
प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी):
प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) भारत की एक महत्वपूर्ण रक्षा परियोजना है जिसका उद्देश्य स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का निर्माण करना है। इस परियोजना के तहत भारत अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक पनडुब्बियों का विकास कर रहा है। एवीटी परियोजना का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करना और भारतीय नौसेना को सामरिक रूप से मजबूत बनाना है।
Q52. प्रोजेक्ट एवीटी के तहत निर्मित होने वाली पहली परमाणु ऊर्जा पनडुब्बी कौन सी थी?
प्रोजेक्ट एवीटी के तहत निर्मित पहली पनडुब्बी:
प्रोजेक्ट एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) के तहत निर्मित होने वाली पहली परमाणु-संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत थी। यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक प्रतीक है। आईएनएस अरिहंत को 2016 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
Q53. आईएनएस अरीघात क्या है, जो हाल ही में खबरों में था?
आईएनएस अरीघात:
आईएनएस अरीघात भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जिसे हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। यह पनडुब्बी भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। आईएनएस अरीघात में अत्याधुनिक तकनीक और हथियार प्रणालियों का समावेश है, जो इसे समुद्री युद्ध में बेहद सक्षम बनाती है।
Q54. आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात पनडुब्बियों को किस प्रकार का परमाणु रिएक्टर शक्ति प्रदान करता है?
आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात के परमाणु रिएक्टर:
आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात पनडुब्बियों को 83 मेगावाट के स्वदेशी परमाणु रिएक्टर द्वारा शक्ति प्रदान की जाती है। ये रिएक्टर भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए हैं और यह पनडुब्बियों को लंबी अवधि तक पानी के अंदर रहकर संचालन करने की क्षमता देते हैं, जिससे भारत की सामरिक ताकत में वृद्धि होती है।
Q55. K15 मिसाइल क्या है?
K15 मिसाइल:
K15 मिसाइल, जिसे सागरिका के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वदेशी रूप से विकसित की गई परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल 750 किलोमीटर की रेंज तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है और इसे विशेष रूप से आईएनएस अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल भारत की समुद्री रक्षा शक्ति को मजबूत करती है।
Q56. स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी विकसित करने की परियोजना में कौन सी एजेंसियां शामिल हैं?
परमाणु-संचालित पनडुब्बी परियोजना की एजेंसियां:
भारत की स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी विकसित करने की परियोजना में भारतीय नौसेना, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग (DAE) मुख्य रूप से शामिल हैं। इन एजेंसियों ने मिलकर एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) परियोजना के तहत परमाणु पनडुब्बियों का विकास किया है।
Q57. परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में किसने शामिल किया?
आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल:
परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने की घोषणा हाल ही में की गई, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईएनएस अरीघात के शामिल होने से भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
Q58. परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघता को भारतीय नौसेना में शामिल करने का समारोह कहाँ आयोजित हुआ?
आईएनएस अरीघात को नौसेना में शामिल करने का स्थान:
आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने का समारोह विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में आयोजित किया गया। यह शहर भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान का मुख्यालय है और यह समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
59. आईएनएस अरीघात क्या है?
आईएनएस अरीघात भारत की स्वदेशी रूप से विकसित की गई परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जो भारतीय नौसेना में शामिल की गई है। यह पनडुब्बी अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और समुद्री रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आईएनएस अरीघात में लंबी दूरी की मिसाइलें और शक्तिशाली हथियार प्रणालियां हैं, जो इसे समुद्र के नीचे से भी उच्च स्तर की रक्षा क्षमता प्रदान करती हैं।
60. आईएनएस अरीघात का भारतीय नौसेना में क्या महत्व है?
आईएनएस अरीघात का भारतीय नौसेना में शामिल होना भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह पनडुब्बी न केवल दुश्मनों को जवाब देने के लिए तैयार है, बल्कि यह भारत की सामरिक रक्षा क्षमताओं को भी सुदृढ़ करती है। इससे नौसेना की अंडरवॉटर स्ट्राइक क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
61. आईएनएस अरीघात की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
आईएनएस अरीघात एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु रिएक्टर, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें, और उन्नत रक्षा प्रणाली शामिल हैं। यह पनडुब्बी पानी के अंदर लंबे समय तक काम कर सकती है और इसके साथ ही यह दुश्मनों के खिलाफ परमाणु हमला करने में सक्षम है।
62. आईएनएस अरीघात को किस परियोजना के तहत विकसित किया गया?
आईएनएस अरीघात को एडवांस वेसल टेक्नोलॉजी (एवीटी) परियोजना के तहत विकसित किया गया। यह परियोजना भारत की स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण के उद्देश्य से शुरू की गई थी। एवीटी परियोजना के तहत, भारत ने अपनी सामरिक रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्वदेशी रूप से पनडुब्बियों का निर्माण किया है।
63. आईएनएस अरीघात में किस प्रकार की मिसाइलें लगी हुई हैं?
आईएनएस अरीघात में K-15 और K-4 मिसाइलें लगी हुई हैं, जो भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करती हैं। K-15 मिसाइल की मारक क्षमता 750 किलोमीटर है, जबकि K-4 मिसाइल 3500 किलोमीटर तक वार कर सकती है। ये मिसाइलें पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती हैं और यह दुश्मनों के खिलाफ सटीक परमाणु हमले करने में सक्षम हैं।
64. आईएनएस अरीघात की लॉन्चिंग कब और कहाँ हुई थी?
आईएनएस अरीघात को आधिकारिक तौर पर 2023 में विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसे विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग यार्ड में बनाया गया था, और यह भारतीय नौसेना की अत्याधुनिक पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा है। यह पनडुब्बी अब भारतीय नौसेना की ताकत में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है।
65. आईएनएस अरीघात के संचालन की क्षमता क्या है?
आईएनएस अरीघात पानी के अंदर लंबे समय तक बिना उभरे काम करने में सक्षम है, जिससे यह समुद्र में गहराई से दुश्मनों पर नजर रख सकती है। इसके अलावा, यह पनडुब्बी परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित होती है, जिससे इसे लंबी अवधि तक संचालन करने की क्षमता मिलती है। इसका संचालन इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
66. आईएनएस अरीघात का निर्माण किसके द्वारा किया गया?
आईएनएस अरीघात का निर्माण भारत की सरकारी रक्षा कंपनियों और वैज्ञानिक संगठनों द्वारा किया गया है। इसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग (DAE) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह पनडुब्बी भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है।
67. आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने का उद्देश्य क्या है?
आईएनएस अरीघात को भारतीय नौसेना में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। यह पनडुब्बी दुश्मनों के खिलाफ जवाबी हमला करने की क्षमता रखती है और भारत की सामरिक रक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
68. आईएनएस अरीघात को शामिल करने से भारत की नौसेना को क्या लाभ मिलेगा?
आईएनएस अरीघात के शामिल होने से भारत की नौसेना की समुद्री रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यह पनडुब्बी न केवल दुश्मनों को जवाब देने के लिए तैयार है, बल्कि यह परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक है। इससे भारतीय नौसेना को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति प्राप्त होगी और समुद्री सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
69. What are Sonobuoys, and how do they enhance India's naval strength?
Sonobuoys are advanced anti-submarine warfare devices that detect and track enemy submarines. They are equipped with sensors that can pick up underwater sounds and transmit them to aircraft or ships. India's acquisition of Sonobuoys from the US strengthens its capability to monitor and counter submarine threats, especially from Pakistan and China, enhancing maritime security in the Indian Ocean region.
70. How does the Sonobuoy system work in detecting enemy submarines?
Sonobuoys operate by releasing sensors into the water, which detect acoustic signals from submarines. These signals are transmitted to a control station, where they are analyzed to locate and track the enemy submarine. This system allows for real-time tracking, providing critical data to Indian naval forces to counter submarine threats from adversaries like Pakistan and China.
71. Why is the acquisition of Sonobuoys significant for India's defense against Pakistan and China?
The acquisition of Sonobuoys boosts India's anti-submarine warfare capabilities, crucial for countering the growing submarine fleets of Pakistan and China. These devices enhance India's ability to detect, track, and neutralize underwater threats in critical maritime zones. By increasing surveillance efficiency, Sonobuoys help protect India's coastal waters and maintain strategic dominance in the region.
72. What role do Sonobuoys play in modern naval warfare?
In modern naval warfare, Sonobuoys are essential tools for anti-submarine operations. They are deployed to detect enemy submarines' movements, enabling navies to act swiftly and neutralize threats. With increasing submarine activity from nations like Pakistan and China, India’s possession of Sonobuoys significantly boosts its ability to monitor, track, and engage hostile underwater forces.
73. How do Sonobuoys help India in the Indian Ocean region?
Sonobuoys enhance India's surveillance in the Indian Ocean, an area of strategic importance due to increasing submarine activity from China and Pakistan. These devices improve India's ability to detect and neutralize enemy submarines, safeguarding critical maritime routes. This technological edge fortifies India’s naval defenses and its position as a dominant force in the region.
74. What is the strategic impact of Sonobuoys on India's naval operations?
Sonobuoys provide India with enhanced underwater surveillance capabilities, critical for monitoring enemy submarines from China and Pakistan. These systems allow real-time tracking of submarine movements, giving India a strategic advantage in responding to potential threats. With better detection capabilities, India can protect its maritime borders more effectively, enhancing national security.
75. How does India's acquisition of Sonobuoys from the US affect its defense partnerships?
India's acquisition of Sonobuoys strengthens its defense partnership with the US, showcasing increased cooperation in military technology. This transfer boosts India's naval capabilities, helping counter threats from Pakistan and China. The move also signals a deepening strategic alliance between India and the US, with both nations working together to maintain stability in the Indo-Pacific region.
76. What are the technological features of Sonobuoys that make them effective in anti-submarine warfare?
Sonobuoys come equipped with advanced acoustic sensors capable of detecting submarine movements deep underwater. They can be deployed from aircraft or ships, transmitting real-time data on enemy submarines to naval forces. Their long-range detection and tracking capabilities make them an essential tool in anti-submarine warfare, helping India stay ahead of potential threats from Pakistan and China.
77. How will Sonobuoys improve India's defense posture in the Indo-Pacific region?
With Sonobuoys, India gains superior underwater surveillance in the Indo-Pacific, where submarine threats from China and Pakistan are increasing. These devices provide early warning of hostile movements, enabling the Indian Navy to respond swiftly. Enhanced anti-submarine capabilities help maintain India's strategic dominance and contribute to regional security in the Indo-Pacific.
78. What are the potential threats from Pakistan and China that Sonobuoys can help counter?
Pakistan and China are rapidly expanding their submarine fleets, posing significant threats to India's maritime security. Sonobuoys help counter these threats by detecting and tracking enemy submarines in real-time. By boosting India's anti-submarine warfare capabilities, Sonobuoys enable timely responses to hostile actions, safeguarding critical naval assets and maritime routes.
79. Sonobuoys क्या हैं और यह भारत की नौसेना को कैसे मजबूत बनाते हैं?
Sonobuoys एक एंटी-सबमरीन डिवाइस है, जो पनडुब्बियों का पता लगाने और ट्रैक करने में मदद करता है। ये सेंसर पानी के अंदर ध्वनि का पता लगाते हैं और इसे भारतीय नौसेना के जहाजों या विमानों तक भेजते हैं। US से मिले इन Sonobuoys से भारत की समुद्री सुरक्षा बढ़ेगी और पाकिस्तान और चीन की पनडुब्बी गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी।
80. Sonobuoys पनडुब्बियों का पता कैसे लगाते हैं?
Sonobuoys पानी में सेंसर छोड़ते हैं, जो पनडुब्बियों द्वारा उत्पन्न ध्वनि तरंगों को पकड़ते हैं। यह डेटा नौसेना के नियंत्रण केंद्र तक भेजा जाता है, जिससे दुश्मन की पनडुब्बी की सटीक स्थिति का पता चलता है। इससे भारतीय नौसेना को पाकिस्तान और चीन की पनडुब्बियों पर नजर रखने और उन्हें समय रहते रोकने की क्षमता मिलती है।
81. भारत को Sonobuoys मिलने से पाकिस्तान और चीन पर क्या असर पड़ेगा?
Sonobuoys मिलने से भारत की एंटी-सबमरीन क्षमता में भारी सुधार हुआ है। यह उपकरण पाकिस्तान और चीन की पनडुब्बियों का पता लगाकर उन्हें बेअसर करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेगा, जिससे भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा।
82. Sonobuoys का उपयोग आधुनिक नौसेना युद्ध में कैसे होता है?
आधुनिक नौसेना युद्ध में Sonobuoys पनडुब्बियों की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह पानी के अंदर दुश्मन पनडुब्बियों की गतिविधियों का पता लगाकर सटीक डेटा प्रदान करता है। पाकिस्तान और चीन जैसे देशों की पनडुब्बियों के खतरे को देखते हुए, यह उपकरण भारतीय नौसेना की निगरानी और सुरक्षा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
83. हिंद महासागर क्षेत्र में Sonobuoys का भारत के लिए क्या महत्व है?
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती पनडुब्बी गतिविधियों को देखते हुए, Sonobuoys भारत को पनडुब्बी ट्रैकिंग में बढ़त देते हैं। यह उपकरण दुश्मन की पनडुब्बियों का सटीक पता लगाकर उन्हें बेअसर करने में मदद करता है, जिससे भारत अपने समुद्री मार्गों और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत कर पाता है।
84. Sonobuoys भारत की नौसैनिक रणनीति को कैसे प्रभावित करेंगे?
Sonobuoys के जरिए भारत की नौसेना दुश्मन पनडुब्बियों की सटीक निगरानी कर पाएगी, खासकर पाकिस्तान और चीन की पनडुब्बियों की। यह उपकरण वास्तविक समय में पनडुब्बियों की जानकारी प्रदान करता है, जिससे भारत दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखकर त्वरित कार्रवाई कर सकता है। इससे समुद्री सुरक्षा को बड़ी मजबूती मिलती है।
85. Sonobuoys से भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?
Sonobuoys की खरीद से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग मजबूत हुआ है। इससे भारत की नौसेना क्षमता में वृद्धि होगी और पाकिस्तान और चीन से आने वाले खतरे को प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह कदम भारत-अमेरिका के बढ़ते रणनीतिक संबंधों का प्रमाण है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा।
86. Sonobuoys की तकनीकी विशेषताएँ क्या हैं जो इसे प्रभावी बनाती हैं?
Sonobuoys अत्याधुनिक ध्वनि सेंसर से लैस होते हैं, जो पानी के नीचे पनडुब्बियों की गतिविधियों का सटीक पता लगाते हैं। यह उपकरण विमानों या जहाजों से लॉन्च किए जाते हैं और वास्तविक समय में जानकारी भेजते हैं। इनकी लंबी दूरी तक दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और ट्रैकिंग की क्षमता इसे एंटी-सबमरीन युद्ध में एक शक्तिशाली उपकरण बनाती है।
87. Sonobuoys हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रक्षा को कैसे मजबूत करेंगे?
Sonobuoys के माध्यम से भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बेहतर समुद्री निगरानी क्षमता मिलेगी, जहाँ पाकिस्तान और चीन की पनडुब्बी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है। यह उपकरण दुश्मन की पनडुब्बियों का जल्द पता लगाने में मदद करता है, जिससे भारतीय नौसेना त्वरित और सटीक कार्रवाई कर सकेगी। इससे भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी।
88. Sonobuoys पाकिस्तान और चीन से उत्पन्न किस प्रकार के खतरों को कम करेंगे?
पाकिस्तान और चीन के पास तेजी से बढ़ती पनडुब्बी ताकतें हैं, जो भारत के समुद्री सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं। Sonobuoys इन पनडुब्बियों की गतिविधियों का पता लगाकर उन्हें बेअसर करने में मदद करेंगे। इससे भारतीय नौसेना को दुश्मन की पनडुब्बियों पर नजर रखने और उनकी हरकतों का सटीक जवाब देने की क्षमता मिलेगी, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी।
89. 2024 में नए भारतीय सेना प्रमुख कौन नियुक्त हुए हैं?
उत्तर: 2024 में भारतीय सेना के नए प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह बने हैं। उनकी नियुक्ति सेना में उनकी दीर्घकालिक सेवा और असाधारण नेतृत्व कौशल के आधार पर की गई है। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना को कई रणनीतिक सुधारों और आधुनिक तकनीकों के समावेश की दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद है।
90. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर 2024 में कौन हैं?
उत्तर: 2024 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने और महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में, आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है।
91. भारत के नए मुख्य न्यायाधीश 2024 कौन बने हैं?
उत्तर: 2024 में भारत के नए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार बने हैं। वे अपने निष्पक्ष निर्णय और न्याय प्रणाली में सुधारों के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों पर फैसले दिए हैं।
92. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में 2024 में किसे नियुक्त किया गया है?
उत्तर: 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में एंटोनियो गुटेरेस की नियुक्ति हुई है। यह उनका दूसरा कार्यकाल है। गुटेरेस ने वैश्विक शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए कई प्रभावशाली कदम उठाए हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर विशेष ध्यान देना।
93. 2024 में भारत के वित्त मंत्री कौन हैं?
उत्तर: 2024 में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण बजट सुधारों की शुरुआत की है। उनके नेतृत्व में, भारत ने विदेशी निवेश और रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।
94. भारत के नए विदेश मंत्री 2024 में कौन हैं?
उत्तर: 2024 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर बने रहे। उन्होंने भारत की विदेश नीति को और भी प्रभावी बनाया, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत किया है।
95. इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष 2024 में कौन हैं?
उत्तर: 2024 में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में अजय पटेल को नियुक्त किया गया है। उन्होंने खेल के क्षेत्र में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार लाने और ओलंपिक स्तर पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने का संकल्प लिया है।
96. नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) 2024 में कौन बने हैं?
उत्तर: 2024 में भारतीय सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के रूप में जनरल अनिल चौहान नियुक्त हुए हैं। उनके नेतृत्व में सशस्त्र बलों के बीच समन्वय को मजबूत करने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
97. भारत के नए गृह सचिव 2024 में कौन हैं?
उत्तर: 2024 में भारत के नए गृह सचिव के रूप में राजेश कुमार को नियुक्त किया गया है। उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई अहम कदम उठाए गए हैं।
98. नए लोकसभा अध्यक्ष 2024 में किसे बनाया गया है?
उत्तर: 2024 में भारत की नए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को नियुक्त किया गया है। वह अपने संयमित नेतृत्व और संसदीय प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए जानी जाती हैं। उनके नेतृत्व में लोकसभा में महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और पारित होने की प्रक्रिया में तेजी आई है।
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